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शहर का विकास कार्य ठप, पटना से मांगा गया मार्गदर्शन

करीब तीन महीनों से नगर निगम का विकास कार्य ठप है. सभी अधिकारी लोकसभा चुनाव कार्य को संपन्न कराने में जुटे थे. लोकतंत्र के इस महापर्व में नगर आयुक्त यतेंद्र कुमार पाल को भी कई कोषांगों की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी.

सासाराम नगर. करीब तीन महीनों से नगर निगम का विकास कार्य ठप है. सभी अधिकारी लोकसभा चुनाव कार्य को संपन्न कराने में जुटे थे. लोकतंत्र के इस महापर्व में नगर आयुक्त यतेंद्र कुमार पाल को भी कई कोषांगों की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. इसके अलावा निगम के अन्य कर्मचारी भी चुनाव कार्य में फंसे हुए थे. अब चुनाव समाप्त हो चुका है. लेकिन, इस चुनाव के बीच निगम के कई कार्य ठप पड़ गये थे. इसे फिर से शुरू करने के लिए मेयर काजल कुमारी ने शनिवार को सशक्त स्थायी समिति की बैठक बुलायी है. लेकिन, इसके पहले ही नगर आयुक्त ने कुछ ऐसा किया है, जिस पर फिर से मेयर को नगर विकास एवं आवास विभाग को पत्र लिखना पड़ा है. यह पत्र जिलाधिकारी और विभाग के मंत्री को भी भेजा गया है. इस पत्र के माध्यम से मेयर ने बताया है कि विभाग को नगर आयुक्त गलत सूचना देकर किसी व्यक्ति को लाभ दिलाने का प्रयास कर रहे हैं. मेयर ने अपने पत्र में जिक्र किया है कि नगर आयुक्त 36 योजनाओं पर करीब 1.66 करोड़ रुपये खर्च किये हैं, जिसकी अनुमति न तो सशक्त स्थायी समिति से ली गयी है, न ही इन योजनाओं का जिक्र बोर्ड की बैठक में किया गया था. ऐसे में प्रशासनिक स्वीकृति की बात कर नगर आयुक्त विभाग को गुमराह कर रहे हैं.

अधिकार का हो रहा दुरुपयोग

नगरपालिका अधिनियम में मुख्य नगरपालिका पदाधिकारी को 60 लाख रुपये खर्च करने का अधिकार दिया गया है. लेकिन, इस अधिकार का इस्तेमाल कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया जाने लगा है, जिसका खामियाजा नगर निकायों में बनने वाली सरकारों को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि, यह 60 लाख रुपये का केवल विभागीय कार्य कराया जाता है. यहीं 60 लाख रुपये की वजह से निकायों में मुख्य पार्षद और मुख्य नगरपालिका पदाधिकारी के बीच अक्सर टकराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है. कुछ जानकारों का कहना है कि मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी एक ही योजना पर यह रुपये खर्च कर सकते हैं. इसको मासिक या वार्षिक खर्च के रूप में नहीं देखा जाये.

रद्द योजनाओं का आयुक्त ने किया भुगतान

मेयर के पत्र में यह जिक्र किया गया है कि जिस योजना को रद्द कर दिया गया था, उसका भुगतान नगर आयुक्त ने कर दिया है. हालांकि, इसी योजना के संदर्भ में नगर आयुक्त ने विभाग को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है कि प्रशासनिक स्वीकृति मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा देकर कार्यादेश निकाला गया, जिसके बाद कार्य समाप्त हो गया. लेकिन, सशक्त स्थायी समिति ने इस कार्यादेश को रद्द कर दिया. ऐसे में पूर्ण हो चुके कार्य के भुगतान में समस्या उत्पन्न हो रही है. नगर आयुक्त ने 15 मार्च को वार्ड संख्या-44 के अंतर्गत बिंदेश्वरी साह के मकान से प्राथमिक विद्यालय अमरा तालाब तक ह्यूम पाइप के साथ नाला निर्माण करने का कार्यादेश निर्गत किया था. इस पर 10.15 लाख रुपये खर्च किये गये हैं, जिसका भुगतान दो जून को कर दिया गया है. इसके बाद ही यह मामला तूल पकड़ने लगा है.

तालमेल होना जरूरी

इस संबंध में सशक्त स्थायी समिति की सदस्य रौशन आरा ने कहा कि सभी चयनित योजनाओं पर ही आप अपने 60 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं. नगर आयुक्त को योजना चयन और खुद स्वीकृति प्रदान करने का अधिकार नहीं है. लेकिन, इनकी मनमानी है. इसलिए यह चुनी हुई सरकार को पंगु बनाने का कार्य कर रहे हैं. वहीं, पूर्व पार्षद नगर अतेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि आयुक्त एक ही योजना पर 60 लाख रुपये खर्च कर सकते हैं. उन्हें अधिकार है. पूर्ण हो चुके कार्य व चाहे विभागीय हो या निविदा के माध्यम से किया गया हो. उसका कार्यादेश नहीं रद्द करना चाहिए. क्योंकि इसका असर यहीं के रहनेवाले लोगों पर पड़ेगा.

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