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निगम के ठेकेदारों के डूब सकते हैं 1.66 करोड़ रुपये, पेच में फंसे जेइ

लोकसभा चुनाव की मतगणना मंगलवार को पूरी हो जायेगी. छह जून को आदर्श आचार संहिता भी समाप्त हो जायेगी. इसके समाप्त होते ही मेयर काजल कुमारी ने आठ जून को सशक्त स्थायी समिति की बैठक बुलाने को लेकर नगर आयुक्त को पत्र लिखा है.

सासाराम नगर. लोकसभा चुनाव की मतगणना मंगलवार को पूरी हो जायेगी. छह जून को आदर्श आचार संहिता भी समाप्त हो जायेगी. इसके समाप्त होते ही मेयर काजल कुमारी ने आठ जून को सशक्त स्थायी समिति की बैठक बुलाने को लेकर नगर आयुक्त को पत्र लिखा है. इस बैठक केवल एक एजेंडा है नगर आयुक्त यतेंद्र कुमार पाल की सेवा वापसी, जिसपर चर्चा करने के लिए सभी सशक्त स्थायी समिति के सदस्य एकजुट होंगे. इसलिए बैठक में शामिल होने के लिए किसी अन्य पदाधिकारी को अधिकृत करने का निर्देश दिया गया है. अगर ऐसा होता है, तो नगर आयुक्त द्वारा बिना सशक्त स्थायी समिति की अनुशंसा के दिये गये करीब 1.66 करोड़ रुपये की योजनाओं के कार्यादेशों पर रोक लग सकती है, जिसका खामियाजा ठेकेदारों और जेई को भुगतना पड़ सकता है. अमूमन सभी समिति के सदस्य उन निर्णयों की सूची तैयार कर रहे हैं, जिसे नगर आयुक्त धरातल पर उतारने में अबतक विफल रहे हैं. साथ उन योजनाओं का भी खाका तैयार किया जा रहा है, जिसपर आपत्ति जताने के बावजूद उसका टेंडर निकाला गया.

पेयजल को लेकर केवल खानापूर्ति

नगर निगम शहरी और विस्तारित क्षेत्र में पेयजल की बेहतर व्यवस्था के लिए बोर्ड और स्टैंडिंग की बैठकों में खूब चर्चा की गयी और सुधार के लिए निर्णय भी लिये गये. लेकिन, दोनों ही क्षेत्रों में स्थिति खराब है. पुराने शहरी क्षेत्र में बुडको पिछले एक वर्ष से अवधि विस्तार पर नल-जल का कार्य करा रहा है. लेकिन, अब भी कई मुहल्लों में सुचारू रूप से नलों में पानी नहीं आ रहा है. इसके अलावा विस्तारित क्षेत्रों में पीएचइडी की ओर से इस भीषण गरमी में पेयजल सुविधा को दुरुस्त करने की पहल नहीं की गयी है. हालांकि इसको लेकर निगम के बोर्ड की बैठक में चर्चा हुई थी, जिसमें पंचायती राज द्वारा बनाये गये नल-जल की टंकियों को दुरुस्त करने का निर्णय लिया गया था. लेकिन, पीएचइडी के माध्यम से इस योजना में हुए कार्यों को दुरुस्त कराने कि जिम्मेदारी पीएचइडी को सौंपी गयी थी.

कई योजनाओं को किया गया अनदेखा, खाका हो रहा तैयार

पेयजल ही नहीं. निगम की कई ऐसी योजनाएं हैं, जिन्हें धरातल पर उतारने का प्रयास उस स्तर पर नहीं किया गया, जिस तेजी से पार्षदों ने निर्णय लिया था, जिसमें फुट ओवरब्रिज महत्वपूर्ण है. निगम की ओर से बैरकेडिंग, यूटर्न और नो इंट्री के समय में किये गये बदलावों को जिला प्रशासन के आदेश पर लागू कर दिया. लेकिन, फुटओवरब्रिज बनाने पर विचार नहीं किया गया, जिससे अब भी लोग बैरिकेडिंग के रस्सी को हटाकर सड़क पार करते हैं. इसके अलावा सैरातों की बंदोबस्ती रोकने के लिए मेयर ने पत्र लिखा था, जिसका अवहेलना कर नगर आयुक्त ने बंदोबस्ती कर दी.

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