करगहर. करगहर स्थित बाबा सिद्धेश्वरनाथ महादेव का मंदिर सदियों पुराने शिव मंदिरों में से एक है, जिन्हें प्राचीन शिव मंदिर के नाम से जाना जाता है..जहां सालों भर क्षेत्र के शिव भक्तों का ताता लगा रहता है.लेकिन सावन के महिना में इनके दर्शन का खासा महत्व होता है. मान्यता के अनुसार, सावन के महीने में बाबा सिद्धेश्वर नाथ महादेव के दर्जन मात्र से श्रद्धालुओं के सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते है.मान्यताओं के अनुसार सिद्धेश्वर नाथ महादेव का शिव लिंग अपने आप प्रकट हुआ है. किवदंतियों के अनुसार खरदूषण भी सिद्धेश्वर नाथ महादेव का पूजन करने आता था. यही नही महान संत बाबा मुरार नाथ भी जब करगहर क्षेत्र में आते थे तो बाबा सिद्धेश्वर नाथ का पूजा अर्चना जरूर करते थे .बाबा सिद्धेश्वर नाथ के मंदिर से सौ मीटर दक्षिणी छोर पर बाबा मुरार नाथ का समाधि स्थल आज भी प्रमाण के तौर पर विराजमान है. शिव लिंग की सच्चाई जानने के लिए स्थानीय ग्रामीणों द्वारा मंदिर के गर्भ गृह में खुदाई का कार्य भी कराया गया लेकिन 20 फुट तक खुदाई होने के बावजूद जब शिवलिंग की गहराई का पता नही चल पाया, तो मंदिर के अस्तित्व को खतरा भांपते हुए लोगों ने खुदाई कार्य रोक दिया था. मंदिर के मुख्य पुजारी मिथलेश मिश्रा के अनुसार सावन के सोमवार को सिद्धेश्वर नाथ महादेव के जलाभिषेक करने व दर्शन करने से श्रद्धालुओं के सभी मनोरथ पूर्ण होते है. उन्होंने कहा कि कोई सच्चा भक्त बाबा के दरबार से निराश होकर नही लौटता.
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