इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जिला इकाई ने मनाया राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस सासाराम ऑफिस. धरती पर चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया जाता है. यह दर्जा यूं ही नहीं मिला है, बल्कि उसके सेवा भाव, मरीज के प्रति पूर्ण समर्पण एवं जवाबदेही की बदौलत हासिल हुआ है. चिकित्सकीय गरिमा को सुरक्षित रखते हुए पूरी क्षमता व निष्ठा के साथ हमारे डॉक्टर काम करें. क्योंकि, आम जनता आज भी चिकित्सकों के प्रति विश्वास रखती है. यह बातें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के जिलाध्यक्ष डॉ सचिन कुमार सिंह ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर सदर अस्पताल सासाराम के प्रांगण में आइएमए के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में कहीं. उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक हजार की आबादी पर एक चिकित्सक होना चाहिए. लेकिन, हमारे यहां आज भी दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में यह आदर्श अनुपात नहीं है. इस कारण मौजूदा कार्यरत चिकित्सकों पर कार्यभार बढ़ गया है. चिकित्सक बर्न आउट के शिकार हो रहे हैं. कई चिकित्सक गांवों में सेवाएं देने के इच्छुक हैं. लेकिन, वहां पर उनके लिए सुविधाओं व अवसरों का नितांत अभाव है. उन्होंने कहा कि मेरी मांग है कि नीति निर्माताओं के स्तर पर इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर और बढ़ाये जाये. कार्यस्थल की परिस्थितियों में सुधार हो, युवा चिकित्सकों के लिए नये अवसरों की उपलब्धता सुनिश्चित हो. चिकित्सक मरीज अनुपात में सुधार हो. उन्होंने समाज व आमजन से अपील करते हुए कहा कि समाज व आमजन भी समझें कि कुछ गंभीर मामलों में चिकित्सक व चिकित्सकीय विद्या की अपनी सीमाएं होती हैं. इससे चिकित्सकों पर अनावश्यक तनाव कम होगा. उन्होंने डॉक्टरों से कहा कि चिकित्सक के स्तर पर भी कई कोशिशें जरूरी हैं, जिसमें सबसे अहम है चिकित्सक व मरीज के परिजनों के बीच संवाद, ताकि संवाद की कमी के चलते उत्पन्न होने वाली भ्रांतियों से बचा जा सके. उन्होंने लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने के लिए भी आह्वान किया. क्योंकि, बीमारी के इलाज से बेहतर बचाव होता है. चिकित्सक भी स्वस्थ जीवनशैली का अनुसरण करें आइएमए के सचिव डॉ अमित कुमार ने अपने एक साल के कार्यकाल की समीक्षा की व उपलब्धियों पर प्रकाश डाला. कहा कि हर वर्ष डॉक्टर्स डे मनाने का उद्देश्य समाज द्वारा चिकित्सक समुदाय के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना हो सकता है, पर यही मौका है कि घाव भरने वालों के घावों पर मरहम लगाने की भी चर्चा की जाये. इसके लिए नीति निर्माताओं, समाज, आमजन व स्वयं चिकित्सकों द्वारा पहल की दरकार है. ऐसा कहा जाता है कि चिकित्सक स्वयं ही सबसे बुरा मरीज होता है. क्योंकि, वे खुद सब जानते हुए भी खुद के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के प्रति उपेक्षित रवैया अपनाते हैं. आवश्यक है कि चिकित्सक भी एक स्वस्थ जीवनशैली का अनुसरण करें. कार्यक्रम में उपस्थित आइएमए के पदाधिकारियों व अन्य सदस्यों ने भी अपने विचार रखे. डॉक्टरों ने काटा केक इस कार्यक्रम में भारत रत्न से विभूषित डॉ विधान चंद्र राय को स्मरण किया गया. उनके जन्मदिन पर आइएमए जिला इकाई के पदाधिकारियों व सदस्यों ने आइएमए के जिला अध्यक्ष के नेतृत्व में सामूहिक रूप से केक काटा. कार्यक्रम के अंत में दिवंगत डॉ नरेश प्रसाद राय के प्रति दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की. मौके पर पूर्व सिविल सर्जन सदर अस्पताल सासाराम डॉ केएन तिवारी, डॉ वीएस चौहान, डॉ श्री भगवान सिंह, डॉ आरके राजेश, डॉ हरीश कुमार, डॉ अभिषेक कुमार, डॉ अजय कुमार, डॉ इम्तियाज़, डॉ मनोज कुमार, डॉ मृत्युंजय चौधरी, डॉ आंबेडकर रंजन, डॉ आकाश अम्बष्ठा, डॉ अमित के साथ अन्य डॉक्टर मौजूद रहे.
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