सासाराम ग्रामीण. सावन का महीना भी सात दिन बीत गया. बारिश के अभाव में जिले पर सूखा का साया मंडराने लगा है. किसानों का दिन आसमान की ओर टकटकी लगाये हुए बीत रहा है. न ऊपर से राहत की बारिश हो रही है, न ही नहरों से पर्याप्त पानी मिल रहा है. इतना ही नहीं, भूगर्भ जलस्तर खिसकने से डीजल पंप व सबमर्सिबल भी देर तक नहीं चल पा रहे हैं. आसमान में कुछ देर के लिए छाये काले बादल ललचा कर चले जाते हैं. निराश किसान बस उन्हें निहारते भर रह जाते हैं. रोपनी किये हुए खेतों में तो दरारें फट गयी हैं. रोपनी के लिए खेत में लगे बिचड़े भी सूख कर लाल हो रहे हैं. ऐसे में अकाल की आहट से किसानों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी हैं. किसी तरह कदई में धान के पौधों को गाड़ कर किसान रोपनी का कोरम पूरा करने में लगे हैं. गत वर्ष की अपेक्षा इस बार जुलाई माह में अब तक 35 प्रतिशत खेतों की रोपनी कम हुई है. धान के खेती के आरंभिक चरण में एक बार फिर किसानों के सामने घोर संकट गहराया है.
जून माह में किसान बिचड़े के लिए बरसात कर इंतजार करते रहे. लेकिन, बरसात के नाम पर पड़ी फुहारों ने किसानों को निराश किया था. किसी तरह मोटर पंप के सहारे अपना बिचड़ा डालकर आगे बढ़ रहे किसानों के सामने जुलाई माह में भी मॉनसून का संकट दूर नहीं हुआ है. लगभग एक पखवारे पहले जिले में हुई अच्छी बरसात के बाद एक बार फिर आसमान नीला पड़ गया है और किसानों की चिंता बढ़ने लगी है. हालांकि, साधन संपन्न और सिंचाई साधनों के मुहाने पर खेती करने वाले किसानों के सामने अभी पानी की गंभीर समस्या पैदा नहीं हुई है, लेकिन असिंचित इलाकों में बरसात नहीं होने के कारण अभी भी किसान हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. इस साल धान के कटोरे से जिला विख्यात जिला रोहतास धान के रोपनी का लक्ष्य 209206.32 हेक्टेयर निर्धारित है. लेकिन, लक्ष्य के अनुपात मात्र 52.8 फीसदी धान की रोपनी हो सकी है. गत वर्ष 2023 में जिला का 2 लाख 6 हजार हेक्टेयर धान रोपनी का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन, गत वर्ष 28 जुलाई तक लक्ष्य के अनुपात 85 फीसदी धान की रोपनी हो गयी थी.जुलाई में अब तक 101 एमएम कम हुई है बारिश
जिले में जुलाई माह में धान की रोपनी के लिए जितने पानी की आवश्यकता थी. लेकिन, जरूरत के अनुपात बरसात अब तक कम दर्ज की गयी है. सांख्यिकी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 28 जुलाई तक जिले में अब तक 138 एमएम बरसात दर्ज की गयी है. जबकि, जुलाई माह में अब तक जिले में 238.95 एमएम वर्षा की जरूरत थी. हालांकि, पिछले साल 28 जुलाई तक 202.13 एमएम वर्षा दर्ज की गयी थी, जो जरूरत से कम तो थी लेकिन इस साल के अपेक्षा पिछले साल इस वर्ष की तुलना में 28 जुलाई तक लगभग एक सौ एमएम वर्षा अधिक हुई थी.आधे से अधिक नष्ट हो गये रोहिणी में डाले गये बीज
इस वर्ष मौसम वैज्ञानिकों ने अच्छी बारिश होने का अनुमान लगाया था. जिससे उत्साहित धान के कटोरा के किसानों ने रोहिणी नक्षत्र में ही धान के बीज डाल दिए थे. सोच रहे थे आर्दा नक्षत्र के अंतिम में रोपाई भी कर देंगे. लेकिन प्रकृति मानो अन्नदाताओं की बैरी बन गई है. किसानों ने धान रोपनी की पूरी तैयारी कर ली है पर बारिश न होने से तैयारियां धरी की धरी रह गई हैं. एक-एक दिन बादलों को इंतजार में ही किसानों का बीत रहा है. कुछ किसानों ने डीजल व सबमर्सिबल चलाकर थोड़ी-बहुत धान की रोपनी कराई है, लेकिन अब वह भी सूखने लगी है.जुलाई में होनी चाहिए 318 एमएम बारिश
कृषि विभाग के अनुसार जिले में सामान्यत: 318 एमएम बारिश होनी चाहिए. लेकिन अब तक 138 एमएम बारिश भी नहीं हुई है. जिससे किसानों को सूखे की चिंता सताने लगी है. हर बीतता दिन उनकी चिंता को और बढ़ा रहा है. जिले के शत-फीसद किसानों ने धान की पैदावार के लिए नर्सरी लगायी थी. लेकिन, किसान पानी नहीं बरसने के कारण धान की रोपाई अपने खेतों में नहीं कर पा रहे हैं. वह रोज बादलों की तरफ आशा भरी नजरों से निहारते हैं, लेकिन पानी बरसने की उनकी आशा पूरी नहीं हो रही है.होती बारिश, तो खाद की बढ़ती डिमांड
जिले में बारिश की कमी होने के कारण खाद का डिमांड कम हो गया है. क्योकि, रोपनी तो पूरा हुई ही नहीं. कुछ रोपनी भी हुई वह भी सूखने लगे है. यदि पानी के कमी के दौरान किसान खेतों में खाद डालेंगे. तो उनकी फसल बर्बाद हो सकती है. हालांकि, जिले में खाद की कमी नहीं है. लेकिन, इस समय डिमांड भी नहीं है.
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