Sasaram News: सोन नदी के जलस्तर में अचानक हुई वृद्धि के कारण तीनों दिनों से सोन टीले पर फंसे लोगों में से भदसा व सरैया सोन टीले से कुल 18 किसानों का एनडीआरएफ की टीम के द्वारा रेस्क्यू किया गया है. इसकी जानकारी सीओ हर्ष हरि ने दी. उन्होंने बताया कि तिलौथू व सरैया भदसा सोन टीले पर सोन के जलस्तर में हुई वृद्धि के बाद कई लोग बाढ़ में फंसे हुए थे. इनके परिजनों द्वारा सूचना मिली. इसके बाद एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया. एनडीआरएफ की टीम अमझोर थाना क्षेत्र के भदसा सोन टीले पर मंगलवार की सुबह से ही रेस्क्यू में लग गयी थी. एनडीआरएफ की टीम का नेतृत्व कर रहे टीम कमांडर धीरज कुमार ने बताया कि हमारी टीम में कुल 29 जवान शामिल हैं. तीन बोट लायी गयी है. दो दिनों से रोहतास व नौहट्टा के सोन टीले पर बाढ़ में फंसे लोगों का रेस्क्यू किया जा रहा था. 100 से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू किया गया है. वहीं, तिलौथू के भदसा व सरैया सोन टीले पर बाढ़ में फंसे कुल 18 किसानों को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया है. कुछ लोग अब भी सोन टीले पर जमे हुए हैं.
किसानों को सोन टीले से वापस लाने में काफी करनी पड़ी मशक्कत
सोन टीले पर रह रहे किसानों को खेती-बाड़ी का मोह सता रहा है. सीओ ने कहा है कि सोन टीले पर अभी भी कुछ लोग हैं, जिन्हें चेतावनी भी दी गयी है, लेकिन वे लौटना नहीं चाह रहे हैं. सोन टीले से लोगों को लाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. सरैया व भदसा के कुल मिलाकर 18 किसानों को सोन टीले से एनडीआरएफ की टीम ने बोट के जरिये लाया है. ये किसान अपनी जान दे देंगे, पर सोन टीले को छोड़ना नहीं चाहते हैं. इन्हें अपनी खेती व मवेशियों का मोह नहीं छोड़ता है. सोन टीले से रेस्क्यू किये गये किसानों में कृत चौधरी, कृष्णा चौधरी, सुरेंद्र चौधरी, मुन्ना चौधरी, सनी कुमार, अजय चौधरी, विपिन कुमार, मेघु चौधरी, रवि चौधरी, रामेश्वर चौधरी, रणजीत चौधरी ,रघुराई बिंद, आशा देवी, सोमारी देवी, रामपाल चौधरी, रीता देवी, विजय सिंह, श्री चौधरी शामिल हैं.
यह भी पढ़ें : नारियल की खेती से किसानों की बढ़ेगी आमदनी और घर की सुन्दरता, सरकार दे रही 75 प्रतिशत का अनुदान
बताई अपनी कहानी: एक दिन ऐसा लगा कि नहीं बचेगी जान
सोन टीले से रेस्क्यू करके लाने के बाद अजय चौधरी, मुन्ना चौधरी, कृष्णा चौधरी, विपिन कुमार व सन्नी कुमार और रवि कुमार ने बताया कि तीन दिन बाढ़ से घिरे होने के कारण ठीक से खाना-पीना भी नहीं हो पाया है. एक दिन तो ऐसा लगा कि हम लोग अब बचेंगे नहीं. दूसरे दिन जलस्तर में हुई वृद्धि के बाद ऐसा लगा था कि हमलोग अब बाढ़ में बह जायेंगे. एक रात पानी में भी खड़ा रहना पड़ गया था, लेकिन जब धीरे-धीरे जलस्तर कम हुआ, तब कुछ आस जगी. इसके बाद परिजनों से बात हुई. परिजनों ने बताया कि पदाधिकारियों से बातचीत हो गयी है. बहुत जल्द ही आप लोगों का रेस्क्यू कर लिया जायेगा. इसके बाद उम्मीद जगी कि अब हम लोग सुरक्षित बच जायेंगे. नाव पर ही खाना-पीना हुआ करता था.
कई किसानों के बह गये दर्जनों मवेशी
किसानों को अपने मवेशियों की भी काफी चिंता सता रहा है. किसानों का कहना है कि एक-एक किसान की 50-50 बकरियां हैं. कई किसानों के दर्जनों मवेशी बह भी गये हैं. भदसा गांव से मराछु यादव, राजू यादव समेत कई पशुपालकों के एक दर्जन से अधिक पशु बह गये हैं. बहने वाले पशुओं में गाय और भैंस शामिल हैं. कई किसानों की बकरियां भी बह चुकी हैं. वहीं, सोन टीले पर खेतों में लगी फसल जैसे धान, सब्जी में परवल, नेनुआ, करेला इत्यादि सभी डूब कर बर्बाद हो गया है. किसानों का कहना है कि लाखों रुपये की क्षति हुई है.
किसानों को लाने सोन टीले पर गये पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि
सीओ हर्ष हरि ने बताया कि एनडीआरएफ की टीम सोमवार की रात पहुंच चुकी थी, लेकिन रात्रि में सोन में बोट लेकर जाना मुनासिब नहीं समझ गया. लेकिन, मंगलवार की अहले सुबह तिलौथू पूर्वी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि सत्येंद्र द्विवेदी, सरैया पंचायत के मुखिया संजय चौधरी, अमझोर के थानाध्यक्ष श्याम कुमार, अपर थाना अध्यक्ष पूनम कुमारी ये सभी एनडीआरएफ की टीम के साथ बोट पर सवार होकर सोन टीले पर गये.
खेती-बाड़ी से ज्यादा आपकी जान की कीमत
सोन टीले पर पहुँचने के बाद जनप्रतिनिधियों एवं पदाधिकारी द्वारा किसानों को काफी समझाया बुझाया गया कि आप सोन टीला छोड़कर घर वापस चलें, क्योंकि जलस्तर में अब भी वृद्धि होने की काफी आशंका है. लोगों को समझाया गया कि खेती-बाड़ी से ज्यादा आपकी जान की कीमत है. पदाधिकारी व जनप्रतिनिधियों के काफी समझाने बुझाने के बाद 18 महिला-पुरुष सोन टीले से एनडीआरएफ की टीम के द्वारा वापस लाये गये हैं.
अपना घर छोड़कर आने को नहीं होते तैयार, रेस्क्यू के लिए करनी पड़ती है मशक्कत
एनडीआरएफ की टीम के साथ जनप्रतिनिधियों पदाधिकारी में स्वयं सीओ हर्ष हरि भी सोन टीले पर गये हुए थे. सीओ का कहना है कि किसान टीले पर जान जोखिम में डालकर रहते हैं. इसके बावजूद भी वापस आने का नाम नहीं लेते हैं. इनका रेस्क्यू करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है. एनडीआरएफ के टीम कमांडर धीरज कुमार ने कहा कि अगर किसान आसानी से मान जायें, तो रेस्क्यू आसानी से किया जा सकता है.