अकोढ़ीगोला.
शरीर तो है हमारे पास, लेकिन हमारे शरीर में पाशविक व राक्षसी प्रवृत्तियां प्रवेश कर गयी हैं. भविष्य में क्या है. एक काला पर्दा लगा हुआ है. स्पष्ट दिखाई नहीं देता है. हम केवल अनुमान लगा सकते हैं. कोई भी व्यक्ति नहीं बता सकता कि आने वाला समय में क्या होगा. लेकिन एक चीज निश्चित है कि भविष्य में कुछ मिले या न मिले, पर मौत मिलना निश्चित है. लेकिन, मौत से हमारी मुलाकात कब होगी, कहां होगी और कैसे होगी, यह मालूम नहीं है. ये बातें गांधी आश्रम के समीप श्रीकांत पाल के आवास पर प्रवचन करते हुए सतीश स्वामी ने कहीं. उन्होंने कहा हमारा मानव से मानव को जोड़ने का अभियान चल रहा है. हमारा मिशन मनुष्य के अंदर बैठे पाशविक व राक्षसी विचारों को दूर करना है. मनुष्य एक सामाजिक व विवेकशील प्राणी है. मनुष्य चिंतन व समीक्षा कर सकता है कि गलत क्या है, सही क्या है. यदि आप ज्ञान की गहराई में जायेंगे, तो पता चलेगा कि प्रभु ने हमें क्यों भेजा है अपने अंश के रूप में. मानव में प्रभु का अंश समाहित है. मानव शरीर में मानव प्रवृत्तियाें का ह्रास हो रहा है. जिस तरह पर किसी को हम ढक कर रखते हैं, लेकिन बर्फ पिघल ही जाता है. इसी तरह आपका शरीर भी नश्वर है. आप रोक नहीं सकते. उन्होंने कहा कि तीन साल पहले कोरोना आया था. कोरोना ने हमलोग को सीख दी. मनुष्य अकेला आता है और अकेला जाना है. कोई किसी का नहीं था. कोरोना काल में अपने भी पराये नजर आते थे. जो ऑक्सीजन को हमलोग भगवान से फ्री से लेते हैं. कोरोना काल में उसी आक्सीजन के लिए मारामारी हो रही थी. हर कोई अपने को बचाना चाहता था. इसलिए मानव को मानव से जोड़ने के अभियान में लोगो को एक संदेश देना है कि समाज में प्रेम, भाईचारा, सद्भावना बढ़ाएं. मनुष्य का धरती पर जन्म अच्छे कार्यों करने के लिए हुआ है. मौके पर ललन पाल, कृष्णा प्रसाद, सुभाष सिंह, हरिहर पाल, सुरेश सिंह, संजीव कुमार उर्फ गुड्डू गुप्ता, राकेश साव, गोलू कुमार आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है