दिनारा. धान के बिचड़े सूख रहे हैं और खेतों में दरारें पड़ने के आसार हैं. धान के बिचड़े को बचाने के लिए किसान अपने खेतों में पंपसेट चलाकर पटवन कर रहे हैं. इसी फसल पर किसानों की सारी उम्मीदें टिकी रहती हैं. बच्चे को पढ़ाना हो, बेटी की शादी करनी हो या महाजन का कर्ज चुकाना हो, सब इसी फसल पर निर्भर करता है. इसको लेकर किसान परेशान नजर आ रहे हैं. पूरे प्रखंड के किसान अपने खेतों में बीज डालने के बाद किसी तरह बिचड़े को बचाने का प्रयास कर रहे हैं. मौसम का मिजाज देखकर नहीं लगता कि लक्ष्य पूरा हो पायेगा. किसानों को कुछ सूझ नहीं रहा कि वे क्या करें. मॉनसून सही समय पर नहीं होने से इस बार खरीफ फसल पर ग्रहण लगता दिख रहा है. प्रखंड की विभिन्न पंचायतों के किसान इस बार कड़ी मेहनत व काफी खर्च कर अपने खेतों का पटवन कर धान का बिचड़ा तैयार कर रहे हैं. किंतु मौसम की बेरुखी भीषण गर्मी और पानी के कमी के कारण धान के बिचड़े सूखने के कगार पर हैं. अभी से हीं किसानों के परिवारों के चेहरे पर महाजन का डर और फसल की चिंता दिख रही है. एक-दो दिन पानी पड़ने से किसान खुश तो हुए थे लेकिन फिर से वही गर्मी शुरू हो गया.
क्या कहते हैं किसान
किसान सरोज गुप्ता, नेपाली प्रसाद, छोटे साह, पूना साह आदि किसानों का कहना है कि पानी का लेयर इतना नीचे है कि मोटर भी पानी थोड़ा-थोड़ा दे रही है. यही स्थिति बनी रही, तो बीज बचाना मुश्किल हो जायेगा. इस बार की प्रचंड गर्मी, चिलचिलाती धूप आने घरों से निकलना मुश्किल कर दिया है. ऐसे में किसान रातों में जग कर अपने खेतों के डाले बिचड़े को बचाने के लिए विवश है.
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