कोचस. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सह रेफरल अस्पताल में चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सरकारी आवास नहीं रहने से आये दिन मरीजों का इलाज प्रभावित हो रहा है. चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी शहर में किराये के मकान में रहते हैं. इमरजेंसी में कॉल करने पर उन्हें अस्पताल पहुंचने में कम से कम 15 से 20 मिनट का समय लग जाता है. अगर प्रखंड क्षेत्र में कोई बड़ी दुर्घटना हो जाये, तब शहर में किराये के मकान में रहने वाले डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को अस्पताल पहुंचने में देर हो जाती है. इससे घायलों का इलाज प्रभावित होता है. मरीज के परिजनों का कहना है कि अगर अस्पताल परिसर में चिकित्सकों व अन्य कर्मचारियों का आवास होता, तो उन्हें ऑन कॉल ड्यूटी करने में दिक्कत नहीं होती और न ही दुर्घटना होने पर घायलों को इलाज करने के लिए पहुंचने में देर होती. ऐसे में मरीज से लेकर कर्मचारियों तक का कहना है कि अस्पताल परिसर में चिकित्सकों व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के लिए आवास का निर्माण कराना जरूरी है. गौरतलब है कि अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटी करने वाले डॉक्टर के लिए कोई रेस्ट रूम नहीं है. इस वार्ड में एक डॉक्टर की 24 घंटे ड्यूटी रहती है. लेकिन, अन्य डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मचारी प्राइवेट कमरे में शहर के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं, जो अस्पताल से डयूटी कर वापस चले जाते हैं. अस्पताल में फिलहाल प्रतिनियुक्त समेत चार डाॅक्टर, दो जीएनएम व 67 एएनएम सहित अन्य कई कर्मचारी कार्यरत हैं. इन सभी स्वास्थ्यकर्मियों के आवासन के लिए अस्पताल में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. बताया जाता है कि डॉक्टर व कर्मचारियों के आवास के लिए मूल वेतन का छह प्रतिशत किराया भत्ते के रूप में मिलता है, जबकि शहर में दो से तीन कमरों का फ्लैट होने पर तीन से पांच हजार रुपये लगते हैं. इस संबंध में सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ तुषार कुमार ने बताया कि अस्पताल परिसर में सरकारी आवास के लिए विभाग को पत्र लिखा गया है. इसके अभाव में डॉक्टर व अन्य कर्मचारियों को मजबूरन प्राइवेट मकान में भारी-भरकम किराया देकर रहना पड़ता है. अस्पताल परिसर में चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मियों के रहने से आपातकाल सेवाओं में सुविधा होगी.
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