चेनारी. इस डिजिटल युग में लगभग हर किसी के पास स्मार्टफोन है और एक स्थान से देश-दुनिया की जानकारी के साथ कृषि, सरकारी योजना एवं अन्य सूचना मोबाइल पर मिल जाती है. लेकिन, आप सोचिए कि जिस गांव में मोबाइल नेटवर्क नाममात्र का हो, वहां के लोग कृषि से जुड़ी या अन्य योजनाओं की जानकारी कैसे हासिल करते होंगे. प्रखंड क्षेत्र की उगहनी पंचायत के अवरैया, भुरकुडा और उरदग तीन ऐसे ही गांव हैं, जहां इंटरनेट छोड़िए फोन पर बात तक सही ढंग से नहीं हो पाती है. कैमूर पहाड़ी के ऊपर बसे तीन गांवों के लोग घर से एक-दो किलोमीटर दूर जाकर फोन पर बात करते हैं. मोबाइल नेटवर्क ठीक न होने से ग्रामीणों को काफी दिक्कत होती है. गौरतलब है कि उक्त गांव को सरकार इको फ्रेंडली बनाने की कवायद कई सालों से कर रही है. लेकिन, वहां की जमीनी हकीकत काफी अलग है. इस गांव की आबादी करीब 1280 के आसपास है. यहां जीविकोपार्जन का मुख्य साधन खेती है. इन गांवों में जाने के लिए न सड़क अच्छी है, न ही पेयजल की व्यवस्था है. मोबाइल के उपयोग की बात तो दूर. कई वर्ष पहले डीएम पंकज दीक्षित ने औरैया गांव में जाकर लोगों से बात की थी और उनका दुख दर्द जाना था. उस समय लोगों को लगा था कि अब यहां सड़क, पेयजल और नेटवर्क की समस्या दूर होगी, लेकिन अब भी वही हालत है. गांव से कई किलोमीटर दूर जाकर किसी पेड़ के नीचे टावर पकड़वा कर अपने परिजनों से लोग कभी-कभार बात करते हैं. इससे उक्त गांव के लोगों को काफी परेशानियां होती हैं. इस गांव के रहने वाले दीनबंधु यादव कहते हैं कि गांव में मोबाइल नेटवर्क और सिंचाई की व्यवस्था सही नहीं होने से आधुनिक दुनिया में रहने के बाद भी वे अलग-थलग पड़े हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है