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शहर में भूजल से लाखों कमा रहे वाटर सप्लायर, नियम का अभाव

नगर निगम क्षेत्र में पीने के पानी का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. निगम क्षेत्र में धड़ल्ले से भूजल का दोहन हो रहा है. लेकिन, अब तक निगम इसको गंभीरता से नहीं ले रहा है और नियम कोई तैयार नहीं किया गया है.

सासाराम ऑफिस. नगर निगम क्षेत्र में पीने के पानी का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. निगम क्षेत्र में धड़ल्ले से भूजल का दोहन हो रहा है. लेकिन, अब तक निगम इसको गंभीरता से नहीं ले रहा है और नियम कोई तैयार नहीं किया गया है. इस कारोबार में जुड़े कारोबारी लाखों रुपये कमा रहे हैं. लेकिन, इसका फायदा निगम को नहीं मिल रहा है. निगम को पानी के लिए न तो टैक्स मिल रहा है और न ही प्लांट चलाने का लाइसेंस लिया है. इसके बावजूद धड़ल्ले से पानी बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं. पानी कारोबार में कारोबारियों को मोटा मुनाफा कमाते देख अन्य बेरोजगारों को भी इसका चस्का लग रहा है. यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों में इसके कारोबारियों की संख्या निगम क्षेत्र में तेजी से बढ़ी है. प्रशासनिक रोक टोक न होने से इस कारोबार में पैसा लगाकर मुनाफा कमाने को लोग तैयार हैं. थोड़ा मुनाफा के चक्कर में यह पीने का पानी का कारोबार करने वाले आम दिनों के साथ साथ शादी समारोह या अन्य कोई बड़े अवसरों पर अधिक बुकिंग के लिए आरओ के नाम पर गंदा या बिना फिल्टर वाला सप्लाई कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने को तैयार हैं. यही नहीं इससे भूमिगत जल का भी दोहन हो रहा है. सब कुछ नाक के नीचे होने के बावजूद न तो नगर निगम, न पीएचइडी और न ही जिला प्रशासन इसके विरुद्ध कोई ठोस कदम उठा रहा है.

बिना सैंपल जांच के पानी की सप्लाइ

निगम क्षेत्र में बिना लाइसेंस व पानी की जांच के भूमिगत पानी निकालकर फिल्टर करने के बाद अवैध तरीके से सप्लाइ किया जा रहा है. बावजूद इसके अब तक प्रशासन की किसी शाखा ने न तो पानी की चेकिंग करने की जरूरत समझी और न ही सप्लाइ किये जा रहे पानी का सैंपल लिया. हद तो यह है कि यही जिला प्रशासन शहर के इन अवैध पीने का पानी का कारोबार करने वालों से बिना पूछताछ कर अपने कार्यक्रमों में पानी ले रहा है. लेकिन, लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े इस गंभीर मामले में अनदेखी किये जाने से नगर व जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठने लगे हैं.

पाउच व कैन में पानी भर हो रहा कारोबार

अब तक एक से दो लीटर वाले बोतलों में अवैध पानी का कारोबार चल रहा था. अब धड़ल्ले से पीने का पानी का पाउच व कैन बेचा जा रहा है. नगरों में सबमर्सिबल पंप से पानी निकालकर फिल्टर करने के बाद पाउच, बोतलों और केनों में भरकर उसकी सप्लाइ कर रहे हैं.

पीएचइडी से एनओसी आवश्यक

प्लांट संचालक दुकानों व होटलों में पाउच व बोतल सप्लाइ करने के साथ-साथ केन में पानी भरकर सरकारी, गैर सरकारी कार्यालयों और घरों में सप्लाइ कर रहे हैं. पानी कारोबारी भारी मात्रा में पानी की आपूर्ति कर खासा मुनाफा कमा रहे हैं. मौजूदा समय में निगम में आठ से दस कारोबारी पानी का व्यवसाय कर रहे हैं. सूत्रों की मानें, तो एक भी पानी कारोबारी के पास लाइसेंस नहीं है, जबकि यह कारोबारी बिना लाइसेंस के लाखों रुपये महीना कमा रहे हैं. चूंकि पानी प्राकृतिक संपदा है. इसलिए पानी के कारोबार को लाइसेंस के साथ-साथ पीएचइडी से एनओसी लेना जरूरी है. इसके अलावा पानी के व्यवसाय को ब्यूरो ऑफ इंडिया स्टैंडर्ड (बीआइएस) का प्रमाणपत्र होना भी आवश्यक है. मगर पानी कारोबारी नियम कायदों का मखौल उड़ाकर अवैध तरीके से पानी का कारोबार कर भारी मुनाफा कमा रहे हैं.

हर दिन 20 हजार से अधिक लोगों को हो रहा पानी सप्लाइ

पेटदर्द की बढ़ी परेशानी

निगम क्षेत्र में लोग केन के पानी पर अधिक भरोसा जता रहे हैं. निगम क्षेत्र में लगे छोटे-छोटे 8 से दस आरओ प्लांट से करीब 20 हजार लोगों को पानी की सप्लाई दी जा रही है. इसके बिना क्लोरीन व मिनरल के लोगों आरओ के नाम पर केन द्वारा पानी सप्लाई किया जा रहा है. 20 हजार से अधिक लोग आरओ पानी का उपयोग कर रहे हैं, जिस पर संचालकों द्वारा 600 रुपए तक प्रति केन महीने में वसूल किया जा रहा है. हालांकि पानी की कमी के कारण लोग केन का पानी पीने को मजबूर हैं. वहीं, आरओ से केन का पानी पीकर लोगों में पेट दर्द और गैस की समस्या बढ़ गयी है. संचालकों द्वारा बिना फिल्टर किए पानी की सप्लाइ दी जाती है, जो हैंडपंप व नलों की भांति है. इस संबंध में मेयर काजल कुमारी ने कहा कि नगर निगम क्षेत्र में बोरिंग करने से पहले अनुमति लेनी जरूरी है. आरओ प्लांट को लेकर नियम को सख्ती से लागू किया जायेगा. अगली बैठक में इस एजेंडो को शामिल कर चर्चा की जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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