सासाराम ऑफिस. बदलते भारत की तस्वीर में महिलाओं व दबे कुचले समुदाय का शैक्षणिक विकास एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. हमें शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति व माटी से भी कसकर जुड़ा रहना चाहिए, ताकि कितनी भी विषम परिस्थिति क्यों न हो, हम मजबूती से उसका मुकाबला कर सकें. ये बातें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय (जीएनएसयू) के तृतीय दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहीं. उन्होंने अधिक संख्या में बेटियों के गोल्ड मेडल प्राप्त करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह बढ़ते बिहार और विकसित होते भारत की निशानी है. इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने छात्रों का आह्वान किया कि आप केवल नौकरी पाने वाली शिक्षा ग्रहण न करें, बल्कि अपनी शिक्षा से दूसरों को नौकरी प्रदान करने की क्षमता रखने का संकल्प लें. उन्होंने कहा कि आज लोग कृषि और व्यवसाय को अच्छी दृष्टि से नहीं देखते हैं, जो कि उचित नहीं है. उन्होंने कई उदाहरण देते हुए कहा कि इंजीनियरिंग करने के बाद नौकरी छोड़कर लोग कृषि से अपनी आय को दोगुना कर रहे हैं और इस परिस्थिति में कई अन्य को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की और पूर्व सांसद सह कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह की प्रशंसा करते हुए कहा कि ग्रामीण परिवेश में स्थित यह विश्वविद्यालय बिहार ही नहीं, बल्कि राष्ट्र के शैक्षणिक मानचित्र पर स्थापित हो चुका है और निश्चित रूप से शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी संस्थान बनकर उभरा है. कार्यक्रम को कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह, बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार, भूमि राजस्व मंत्री दिलीप कुमार जायसवाल आदि ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम का संचालन गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ प्रो धर्मेश श्रीवास्तव ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के सचिव गोविंद नारायण सिंह ने किया. इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों के अलावा कुलाध्यक्ष व छपरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ हरिकेश सिंह व लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ संजय कुमार सिंह को भी सम्मानित किया गया. कार्यक्रम के आरंभ में प्रबंध निदेशक त्रिविक्रम नारायण सिंह ने शिक्षा मंत्री व भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री को पुष्प गुच्छ, प्रतीक चिह्न व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के अध्यक्ष, वरीय शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी, उपाधि व पदक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राएं, उनके अभिभावक उपस्थित रहे.
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