नोखा. नोखा में वट सावित्री पूजा को लेकर व्रती उत्साहित हैं. पूजा को लेकर बाजार से घर तक तैयारी शुरू हो गयी है. गुरुवार को होनेवाले वट सावित्री व्रत को लेकर बाजार में डलिया, पंखा, शृंगार की दुकानें सज गयी हैं. महिलाएं पूजन सामग्री में बांस का पंखा, लाल धागा, बांस की डलिया आदि की खरीदारी कर रही हैं. इसके अलावा शृंगार व अन्य सामग्री की दुकानें सजी हुई है. नगर के विभिन्न चौक-चौराहों पर संबंधित खरीदारी चल रही है. पूजन के समय महिलाएं वट वृक्ष में फल-फूल, प्रसाद को अर्पण कर रक्षा सूत्र बांधती हैं. पूजा के दौरान वट सावित्री पूजन कथा को भी सुना जाता है, जिसमें पतिव्रता सावित्री द्वारा पति के लिए यमराज से संघर्ष की कहानी है. इसके पश्चात उपस्थित लोगों के बीच चना, शक्कर, पकवान, मिष्ठान प्रसाद के रूप में वितरण किया जाता है.
बाजार में दुल्हन पंखे की है मांग
वट सावित्री पूजन में बांस के पंखे का उपयोग किया जाता है. इस साल बाजार में बांस के रंगीन पंखे खूब बिक रहे हैं. रंगीन पंखे को दुल्हन पंखा कहा जा रहा है. वट सावित्री की पूजा को देखते हुए बाजार में कई जगहों पर दुल्हन पंखे बिक रहे हैं. दुकानदार ने बताया कि वट सावित्री पूजा को लेकर झारखंड ेके पलामू से पंखे मंगाये गये हैं. इसमें दुल्हन पंखा लोगों को आकर्षित कर रहा है.शिव मंदिर और रामधनी साह मंदिर में की गयी विशेष तैयारी
वट सावित्री को लेकर गंजेड़ी शिव मंदिर और रामधनी साह मंदिर में विशेष तैयारी की गयी है. मंदिर परिसर में मौजूद बरगद के पेड़ में वट सावित्री की पूजा कई दशकों से होती आ रही है. यहां हजारों की संख्या में महिलाएं फेरी लगाती है. इसी साल गोवर्धन मंदिर के नवनिर्माण के बाद रोजाना भक्तों की भीड़ दर्शन के लिए आ रही है. इसको लेकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि वट सावित्री के दिन भीड़ में इजाफा होगा.वट पूजा का बताया महत्व
पांच जून की शाम सात बजकर 54 मिनट से तिथि शुरू होगी. इसका समापन छह जून को शाम छह बजकर 7 मिनट पर होगा. नोखा काली मंदिर के पुजारी मनोज तिवारी ने बताया कि उदया तिथि के कारण वट सावित्री व्रत छह जून को ही मनाया जायेगा. अमृत काल समय छह जून को सुबह 5:35 से लेकर सुबह 7:16 तक है, जबकि पूजन का शुभ मुहूर्त छह जून सुबह 8:56 से लेकर सुबह 10:37 तक है. पितरों का तर्पण करने का शुभ करने का समय दोपहर 12:45 से लेकर दोपहर 1:45 तक है.
वट पूजा का महत्व
वट सावित्री व्रत की विधि और महत्व को लेकर पुजारी मनोज तिवारी ने बताया कि वट देव वृक्ष है. वट वृक्ष के मूल में भगवान ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और अग्र भाग में देवाधिदेव महादेव स्थित रहते हैं. देवी सावित्री भी वट वृक्ष में प्रतिष्ठित रहती हैं. वट वृक्ष की परिक्रमा करते समय 108 बार सौभाग्यवती महिलाओं को सूत लपेटना चाहिए. महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य व कल्याण के लिए वट वृक्ष में कच्चा सूत लपेटकर 108 बार परिक्रमा करती हैं. महिलाओं द्वारा सौभाग्य पिटारी व पूजन सामग्री जैसे-सिंदूर, दर्पण, मौली, काजल, मेहंदी, चूड़ी, साड़ी, हिंगुल, स्वर्ण-आभूषण आदि वस्तुएं एक बांस की टोकरी में रख कर वट वृक्ष के नीचे कच्चा सुता लपेट कर पूजा अर्चना करती है. इसमें पंखा ताड़ और बास दोनों रह सकते है.
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