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Modi Cabinet: सतीश चंद्र दूबे ने ली राज्यमंत्री पद की शपथ, भाजपा पंचायत अध्यक्ष से शुरू किया था सियासी सफर

भाजपा पंचायत अध्यक्ष के रूप में अपना सियासी सफर शुरू करने वाले सतीश चंद्र दूबे को नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया है. वो फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं.

Satish Chandra Dubey: केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई सरकार के मंत्रिमंडल में बिहार के चंपारण से आने वाले सतीश चंद्र दूबे को भी शामिल किया गया है. उन्होंने ने केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में शपथ ले ली है. सतीश चंद्र दूबे फिलहाल भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं. वो बिहार भाजपा के प्रमुख ब्राह्मण चेहरा हैं. चंपारण में सतीश दूबे की पहचान जमीनी नेता के रूप में रही है.

पंचायत अध्यक्ष से शुरू किया सियासी सफर

2019 और फिर 2022 में राज्यसभा के सदस्य बने सतीश चंद्र दुबे का राजनीतिक सफर भाजपा के पंचायत अध्यक्ष से शुरू हुआ. 1993 से 1996 तक भाजपा के पंचायत अध्यक्ष बने. 2000 में शिवसेना के टिकट से चनपटिया से चुनाव लड़े, हालांकि मामूली वोटों से चुनाव हार गये. इसके बाद 2005 में चनपटिया से विधायक बने. सुरक्षित सीट खत्म होने पर भाजपा ने नरकटियागंज से 2010 में टिकट दिया. चुनाव जीते. 2014 में वाल्मीकिनगर लोकसभा से चुनाव लड़े और रिकार्ड 1 लाख 17 हजार 634 वोटों से चुनाव जीते. 2019 में गठबंधन में जदयू के खाते में सीट चली गयी. 2019 में राज्यसभा सांसद बने फिर दुबारा 2022 में राज्यसभा के लिए नॉमिनेट हुए.

अपने परिवार में तीन भाइयों में सबसे छोटे सतीश चंद्र दुबे 2014 से 2019 तक श्रम व रोजगार मंत्रालय तथा ऊर्जा मंत्रालय के परामर्शदात्री व स्थायी समिति के सदस्य रहे. 2019 से खाद उपभोक्ता व जन वितरण मंत्रालय और इस्पात मंत्रालय में वर्तमान समय स्थायी समिति के सदस्य व परामर्शदात्री है. वर्तमान में वह 2005 से अब तक नरकटियागंज टाउन क्लब के मुख्य संरक्षक, छठ पूजा और दुर्गा पूजा नरकटियागंज, रामनगर, लौरिया, सिकटा और मैनाटाड़ के संरक्षक भी हैं.

तीनों सदनों का प्रतिनिधित्व करने वाले चंपारण के पहले नेता सतीश

सतीश चंद्र दूबे विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा तीनों सदनों के सदस्य रहे हैं. अब मंत्री पद से नवाजा गया है. करीब 15 महीने पहले 25 फरवरी, 2023 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लौरिया आये थे. यहां वह जनसभा को संबोधित कर रहे थे. मंच से ही अमित शाह ने सतीश चन्द्र दुबे का नाम पुकारा. भारी भीड़ के बीच उन्हें सामने लाया. कहा कि सतीश कहां हो जरा आगे आओ तो, सतीश के लिए ताली बजाओ. यह वह संकेत था इसमें सतीश चन्द्र दुबे के भविष्य की संभावनाएं छिपी थीं.

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