बथनाहा. पिछले एक पखवाड़े से देह झुलसा देने वाली गर्मी के चलते क्षेत्र में दूध उत्पादन भी 50 प्रतिशत प्रभावित हो गया है. गर्मी के चलते पशु हांफने लगे हैं व पशुओं की दूध देने की क्षमता भी आधी हो गई है. इस समय बथनाहा क्षेत्र में दुधारू पशुओं की संख्या का आंकड़ा 44 हजार है, जबकि पिछले वर्ष 38 दुधारू पशु थे. गर्मी के मौसम में हरे चारे की कमी व लगातार बढ़ रहे तापमान का असर पशुओं की सेहत पर भी होने लगा है. प्रखंड पशु चिकित्सालय बथनाहा के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. उमाशंकर गुप्ता ने बताया कि मई-जून माह में गर्मी चरम पर है व तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जैसे-जैसे तापमान बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे पशुधन में भी दुग्ध कम होता जा रहा है. तापमान बढ़ने के साथ-साथ पशुओं का शारीरिक तापमान बढ़ जाता है एवं पशु हांफना शुरू कर देते हैं. पशु चरना व पानी पीना कम कर देते हैं, जिससे पशुओं में दुग्ध उत्पादन कम हो जाता है एवं पशुओं की प्रजनन क्षमता भी कम हो जाती है. अगर समय पर ध्यान न दिया जाए तो पशु में ताप घात की समस्या उत्पन्न हो सकती है एवं पशु की मृत्यु भी हो सकती है. तिमुल दुग्ध डेयरी सीतामढ़ी के सुपरवाइजर आलोक कुमार ने बताया कि पशु पालकों तक सूचना पहुंचाने के लिए व्हाट्सएप पर एक ग्रुप बनाया है. ग्रुप के माध्यम से मौसम के हिसाब से आने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ उनका समाधान करने की जानकारी उपलब्ध करवाई जाती है. वहीं पशुपालकों का कहना है कि गर्मी के कारण इस बार पशुओं की दूध देने की क्षमता काफी प्रभावित हुई है. भीषण गर्मी और लू के चलते जो पशु पहले प्रतिदिन 15 लीटर दूध देता था वह इस समय 7 से 8 लीटर दूध ही दे पा रहा है. ऊपर से इस मौसम में हरे चारे की कमी भी दूध देने की क्षमता घटने का कारण है. क्या कहते हैं पशु चिकित्सा पदाधिकारी
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