जितेंद्र उपाध्याय, सीवान गेहूं उत्पादन को बढ़ावा देने की सरकारी कोशिश में जिले के किसानों ने भी अपना कदम बढ़ाया है. पहली बार जिले के किसान गेहूं के प्रमाणित बीज के उत्पादन करने की तैयारी में हैं. इसके तहत चयनित 915 किसानों ने इस बार बीज उत्पादन के लिए गेहूं की बोआई की है. इनके द्वारा उत्पादित बीज को सरकारी स्तर पर खरीद की जायेगी, जिससे किसानों को समर्थन मूल्य से 30 फीसदी तक अधिक कमाई होगी. साथ ही इनके तैयार बीज बिहार के अलावा अन्य राज्यों में भी सप्लाइ की जायेगी. धान के बाद परंपरागत खेती के मामले में राज्य में सर्वाधिक गेहूं की बोआई किसान करते हैं. इस दौरान बीज की पर्याप्त उपलब्धता न होने से जरूरतमंद किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसे देखते हुए गेहूं की सामान्य खेती के अलावा बीज के अधिक-से-अधिक उत्पादन पर सरकार का जोर है. इसके तहत पहली बार सीवान सहित राज्य के 21 जिलों में गेहूं प्रमाणित बीज उत्पादन योजना की शुरुआत की गयी है.
ये जिले हैं बीज उत्पादन में शामिल
सीवान सहित राज्य के 21 जिलों को इस बार गेहूं प्रमाणित बीज उत्पादन योजना में शामिल किया गया है. इनमें पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, वैशाली, गोपालगंज, शेखपुरा, भोजपुर, अरवल, जमुई, बांका, मुंगेर, मधुबनी, सारण, सीतामढ़ी, दरभंगा, बक्सर, नवादा, जहानाबाद, पटना एवं लखीसराय शामिल हैं.
सीवान के नौ प्रखंडों के किसान तैयार कर रहे बीज
जिले के 915 किसानों का चयन किया गया है. छह सौ हेक्टेयर में गेहूं की बोआई की गयी है. सबसे अधिक दरौंदा प्रखंड क्षेत्र के 219 किसानों ने 96 हेक्टेयर में गेहूं की बोआई की है, जबकि सबसे कम हसनपुरा प्रखंड के 14 किसानों ने 14 हेक्टेयर में खेती की है. आंदर में 62 किसानों ने 70 हेक्टेयर, भगवानपुर हाट के 176 किसानों ने 80 हेक्टेयर, जीरादेई के 184 किसानों ने 84 हेक्टेयर, महाराजगंज के 125 किसानों ने 60 हेक्टेयर, मैरवा के 46 किसानों ने 55 हेक्टेयर, रघुनाथपुर के 38 किसानों ने 90 हेक्टेयर व सिसवन के 51 किसानों ने 55 हेक्टेयर में गेहूं के बीज उत्पादन के लिए बोआई की है.
योजना का है यह है उद्देश्य
विभाग के मुताबिक गेहूं के प्रमाणित बीज उत्पादन को बढ़ावा देना योजना का प्राथमिक उद्देश्य है, जिससे राज्य गेहूं बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सके. इससे गुणवत्ता वाले बीजों के उपयोग करने से उत्पादन में वृद्धि होगी. साथ ही गुणवत्तायुक्त बीज की उपलब्धता बढ़ेगी, जिससे किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.
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