महाराजगंज. अभी तक शहरों में ही लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध है. जहां बड़ी संख्या में छात्र से लेकर हर वर्ग के लोग किताबों व अन्य अभिलेखों का गहन अध्ययन करते हैं. लेकिन अब यह पहल धीरे-धीरे गांव की ओर शुरू हो चुकी है. आने वाले दिनों में लाइब्रेरी में पढ़ने की व्यवस्था गांव में भी दिखाई देगी. इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है. सरकार ने सभी पंचायत में सामुदायिक पुस्तकालय खोलने की घोषणा की है. पुस्तकालय के लिए केंद्र सरकार की 15 वीं एवं राज्य सरकार की षष्टम वित्त योजना का संयुक्त खर्च किया जायेगा. पुस्तकालय को पंचायत सरकार भवन या सामुदायिक भवन में खोलने का निर्देश है. पंचायत के पढ़ने वाले छात्रों को शहर की तरफ किसी भी किताब के लिए जाना नहीं पड़ेगा. इस लाइब्रेरी का लाभ युवाओं के साथ बुजुर्ग भी लाभ उठा सकते हैं. इसमें छात्रों से जुड़ी किताबों के अलावे प्रेमचंद, कबीर इत्यादि जैसे महापुरुषों के किताब भी मौजूद रहेंगी. एक लाइब्रेरी पर हो सकता है दो से तीन लाख का खर्च महाराजगंज के बीडीओ डॉ रविरंजन ने बताया कि पंचायत भवन या सामुदायिक भवन के पुस्तकालय में इंटरनेट के साथ कंप्यूटर की भी व्यवस्था की जाएगी. ताकि ग्रामीण छात्रों को महंगी किताबों का इ-बुक आसानी से मिल सके. वहीं कई किताबें परीक्षा से जो जुड़ी होती है, वो इंटरनेट पर ही उपलब्ध रहती हैं. उसको खोजने या पढ़ने के लिए इंटर में आसानी होगी. कंप्यूटर की ख़रीद जेम पोर्टल के माध्यम से होगी. जिस पंचायत में नये पंचायत सरकार भवन में अतिरिक्त कक्ष हैं, इसी भवन में इसको स्थापित किया जाएगा. इसके लिए करीब दो से तीन लाख रुपया खर्च किए जाने का अनुमान है. लाइब्रेरी में कई तरह की व्यवस्थाएं की जायेंगी. इसमें दीवारों पर थीम आधारित पेंटिंग के साथ ही कंप्यूटर का व्यवस्था होगी. इसके साथ ही एकसाथ 10 लोगों के बैठने के लिए कुर्सी-टेबल की भी व्यवस्था की जाएगी. लाइब्रेरी में हिन्दी व अंग्रेजी के अखबार भी पढ़ने को मिल जाएंगे. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी वाली मैगजीन के साथ ही साहित्य, कहानी और नाटक आदि की किताबें भी रहेंगी. एक क्लिक में मिलेगा इ-बुक: लाइब्रेरी को वाई-फाई के माध्यम से इसमें लगे कंप्यूटर को जोड़ दिया जाएगा. इसका उपयोग गांव के बच्चे एवं विभिन्न प्रायोगिक परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र एवं छात्राएं करेंगी. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाली मैगजीन के साथ ही साहित्य, कहानी और नाटक आदि की किताबें भी रहेंगी.
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