सीवान. मजदूरों को सौ दिन रोजगार की गारंटी देने की योजना मनरेगा का बुरा हाल है. जिले में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2023-24 में विभाग के तमाम प्रयास के बाद भी तकरीबन आधे फीसदी से भी कम मजदूरों को सौ दिनाें का रोजगार मिल सका.जिसके चलते काम के तलाश में अधिकांश मजदूर बड़े शहरों की ओर पलायन को मजबूर हुए. मनरेगा एक ऐसी योजना है जो मजदूरों को वर्ष में 100 दिन रोजगार देने की गांरटी की बात करती है.कोरोनाकाल में बड़े शहरों से अपने गांवों की ओर लौटे मजदूरों के लिये यह योजना सहायक बनी थी.हालांकि काम मिलने के मामले में यह आंकड़ा धीरे धीरे कम होते गया.आंकड़ों में बात करें तो जिले में वर्ष 2023-24 में कुल 3 लाख 5 हजार 2 सौ चौहत्तर परिवारों में से 1266 परिवारों को ही मनरेगा के तहत 100 दिन का रोजगार मिल सका है.जिनमें अनुसुचित जाति परिवार की संख्या 174,अनुसुचित जाति जनजाति परिवार की संख्या 80 व अन्य परिवारों की संख्या 1012 रही है.किसी परिवार को सौ दिनों तक काम करने का औसत इस साल भी 0.41 प्रतिशत एक फीसदी से कम रहा है. 100 दिन रोजगार देने में बड़हरिया अव्वल परिवार को 100 दिन रोजगार देने में बड़हरिया प्रखंड अव्वल रहा है.वहां 491 परिवारों को 100 दिन का रोजगार मिला है.जिले में सबसे फिसड्डी हसनपुरा रहा है जहां मात्र 1 परिवार को 100 दिन का रोजगार मिला है.लकड़ी नबीगंज व गुठनी प्रखंड में मात्र 4 परिवारों को 100 दिन का रोजगार मिला है.100 दिन का रोजगार देने में दूसरे स्थान दरौंदा व तीसरे नम्बर पर भगवानपुरहाट प्रखंड के स्थान रहा है.परिवार को 100 दिन रोजगार की बात करें तो बसन्तपुर प्रखंड में 70,रघुनाथपुर 75,महाराजगंज 67,सिसवन मे 50,गोरेयाकोठी में 35 तो दरौली में 34 परिवार को इसका लाभ मिल है.वही सीवान सदर प्रखंड में 32,हुसैनगंज में 18 ,पचरुखी में 15 ,मैरवां 13,नौतन में 12 तो जीरादेई प्रखंड में 5 परिवारों को 100 दिन का रोजगार मिला है. कम मजदूरी के कारण भी घट रही संख्या मनरेगा मजदूरों को इस वर्ष जनवरी से मजदूरी तक भुगतान नही हुआ है.मनरेगा मजदूरी 245 रुपये निर्धारित है ,आम तौर पर दैनिक मजदूरी 400 रुपये है.बीते चार वर्षों में मनरेगा मजदूरी 57 रुपये ही बढ़ायी गयी है.जिले के जीरादेई के सुरवल निवासी मजदूर विवेक कुमार ने बताया कि मनरेगा में मजदूरी काफी कम है. काम करने के बाद भी पैसे का इंतजार करना होता है .भगवानपुरहाट के महमदा निवासी मजदूर कृष्णा प्रसाद का कहना है कि मनरेगा में मजदूरी कम मिलने के कारण दूसरे काम को तरजीह देना पड़ता है. बोले अधिकारी विभाग द्वारा ससमय काम व मजदूरी देने का भरसक प्रयास रहता है.अपने तरफ से डीआरडीए काम में लगा है.पूरे राज्य में परिवार को रोजगार देने का औसत इसी के आसपास है. शहवाज खान, निदेशक डीआरडीए,सीवान
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सालभर में आधी फीसदी से भी कम मजदूरों को मिला 100 दिनों का काम
मजदूरों को सौ दिन रोजगार की गारंटी देने की योजना मनरेगा का बुरा हाल है
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