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बारिश ने गर्मी से दिलायी राहत, छह डिग्री लुढ़का पारा

उमसभरी गर्मी से जूझ रहे जिलावासियों को राहत मिली है. गुरुवार की दोपहर तेज पुरवा हवा के साथ झमाझम बारिश हुई, जिसके चलते अधिकतम तापमान में छह डिग्री गिरावट दर्ज की गयी. सुबह से लेकर दोपहर तक लोग भीषण गर्मी का अनुभव कर रहे थे. बारिश के बाद लोगों को राहत मिली. सुबह से आसमान में बादलों ने डेरा डाल रखा था. दोपहर होते ही तेज हवा के साथ झमाझम बारिश होने लगी.

सीवान. उमसभरी गर्मी से जूझ रहे जिलावासियों को राहत मिली है. गुरुवार की दोपहर तेज पुरवा हवा के साथ झमाझम बारिश हुई, जिसके चलते अधिकतम तापमान में छह डिग्री गिरावट दर्ज की गयी. सुबह से लेकर दोपहर तक लोग भीषण गर्मी का अनुभव कर रहे थे. बारिश के बाद लोगों को राहत मिली. सुबह से आसमान में बादलों ने डेरा डाल रखा था. दोपहर होते ही तेज हवा के साथ झमाझम बारिश होने लगी. इसके बाद उमस भरी गर्मी से बेहाल हो रहे लोगों को राहत मिल गयी. मौसम सुहाना हो गया और लोग घरों के बाहर गली-मुहल्लों की सड़कों पर व घरों की बालकनी पर मौसम का आनंद लेते दिखायी देने लगे. वहीं देर शाम तक आसमान में बादल छाये रहे. गुरुवार को करीब एक घंटे हुई झमाझम बारिश ने किसानों के चेहरे पर मुस्कान वापस ला दी है, जिससे किसानों के साथ-साथ आम आदमी को भी गर्मी से बड़ी राहत मिली है. गुरुवार के दिन अधिकतम तापमान 32 व न्यूनतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. तापमान में आयी भारी गिरावट से लोग राहत महसूस कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि पिछले तीन महीने से भीषण गर्मी के चलते जीना मुहाल हो गया था. इधर, बारिश व आकाश में बादल देखकर किसानों के चेहरे खिल गये हैं. खरीफ फसल नहीं होने की आशंका से चिंतित किसान एक बार फिर कृषि कार्यों में जुट गये हैं. बारिश के बावजूद भी लोगों को गर्मी से राहत नहीं मिल पायी. उमस से लोग परेशान रहे. उमसभरी गर्मी से राहत पाने के लिए लोग एसी, कूलर और पंखा के सामने बैठे रहे. इसके बावजूद लोगों को गर्मी से राहत नहीं मिल पायी. पुरवा हवा के चलने, आसमान में बादल छाये रहने व 66 फीसदी आर्द्रता के कारण चिपचिपाती गर्मी होने से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. लोगों का कहना है कि आर्द्रता जैसे-जैसे और बढ़ेगी पंखे व कूलर का असर भी कम होता जायेगा. चिकित्सकों का कहना है कि मौसम के बदलने और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे बुखार के बैक्टीरिया आसानी से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. बुखार शरीर को कमजोर कर देता है, जिससे कई तरह की परेशानियां आने लगती हैं. ऐसे लोगों को सेहत के प्रति सतर्क रहना चाहिए. लोगों को खूब पानी पीना चाहिए. मौसमी बीमारी में जूस और कैफीन रहित चाय का सेवन करें. फलों में एंटी आक्सिडेंट्स पाये जाते हैं, जिनका सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं. यदि डायरिया या उल्टी की शिकायत है, तो इलेक्ट्राॅल का सेवन फायदेमंद होगा. इसके अलावा, नींबू, लैमनग्रास, पुदीना, साग, शहद आदि भी फायदेमंद हो सकते हैं. इसके बाद यदि राहत न मिले, तो चिकित्सकों से संपर्क कर इलाज कराना चाहिए. खरीफ फसल की खेती के लिए भी बारिश की बहुत जरूरत थी. देर से ही सही लेकिन बारिश होने से किसानों की खुशी बढ़ गयी है. समय से बारिश की उम्मीद में किसानों ने धान के बिचड़े लगा दिये थे. लेकिन, उन बिचड़ों को जिंदा रखने के लिए किसानों को 300 से 400 रुपये प्रति घंटे की दर से खेतों का पटवन करना पड़ रहा था. धान की फसल किसानों के लिए महंगी साबित हो रही थी. अब बारिश से खेतों में नमी लौट आयी है और किसानों द्वारा लगाये गये धान के बिचड़ों के भी बचने की उम्मीद बढ़ गयी है. यदि ऐसे ही झमाझम बारिश होती रही, तो धान के बिचड़ों के साथ ही धान की रोपनी का भी कार्य शुरू हो जायेगा. झमाझम बारिश तथा सुहाना मौसम को देखकर किसान धान का बिचड़ा गिराने में लग गये हैं. कृषि विभाग द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक अभी तक लक्ष्य के 60 से 70 फीसदी ही धान का बिचड़ा गिराया गया है. अब बिचड़ा गिराने में तेजी आयी है. आकाश में उमड़ते बादलों को देख किसानों के मुरझाये चेहरे पर अचानक रौनक लौट आयी है. मौसम के मिजाज को भांप किसान धान की नर्सरी की तैयारियों में जुट गये हैं. उन्हें भरोसा है कि मॉनसून के सक्रिय होने के बाद आने वाले दिनों में अच्छी बारिश होगी. वहीं, कृषि विभाग का मानना है कि जुलाई के प्रथम सप्ताह के साथ अगस्त माह में और बेहतर बारिश होगी. इससे धान की रोपनी के लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर लिया जायेगा. किसानों ने बताया कि बिना बारिस के धान की खेती करना असंभव है. मानसून की सक्रियता से अच्छी पैदावार की उम्मीद जगी है. गुरुवार को हुई बारिश से उत्पादन को लेकर किसानों में खुशी का माहौल है. किसान खरीफ फसल की तैयारी में जुट गये हैं. जो किसान रोहिणी व मृगशिरा नक्षत्र में धान का बिचड़ा लगाये हैं, उस बिचड़ा के लिए यह बारिश संजीवनी का काम किया. धान के सूख रहे बिचड़े में बारिश होने से काफी लाभ मिला. वहीं, सब्जी की खेती के लिए भी यह बारिश फायदेमंद साबित होगी. वहीं बारिश के चलते न्यूनतम व अधिकतम तापमान में गिरावट दर्ज की गयी है. तापमान के गिरावट से लोगों को गर्मी से राहत मिली है. खरीफ फसल के लिए खेतों में धान की नर्सरी रोहिणी नक्षत्र में तैयार की गयी थी, जो अधिक धूप होने से सूख रही थी. पौधों का ऊपर वाला हिस्सा पीला पड़ रहा था. किसी तरह खेतों का पटवन कर किसान पौधों को सुरक्षित रखने के लिए मेहनत कर रहे थे. कृत्रिम संसाधनों से नर्सरी में पानी डाला जा रहा था. इधर बारिश से धान के खेतों में पानी की कमी पूरी हो गयी. इससे किसानों के चेहरे खिले नजर आये. कृषि के जानकारों का कहना है कि खरीफ फसल के लिए अभी खेतों में डाले जा रहे धान के बीज के लिए भी यह बारिश का पानी लाभदायक सिद्ध हुआ है. शनिवार से आद्रा नक्षत्र की शुरुआत होगी. इस नक्षत्र में भी धान की नर्सरी लगाने से बढ़िया उत्पादन होगा.

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