सीवान.शनिवार को पिछले दो माह से चल रहा गेहूं खरीद का सरकारी अभियान खत्म हो गया.साठ दिनों के अंदर पैक्स समेत अन्य क्रय ऐजेंसियों के लाख प्रयास व अधिकारियों के निरंतर अभियान के बाद भी मात्र 1.09 फीसदी ही धान की खरीद हो सकी. एमएसपी पर अनाजों की खरीद की कोशिश को एक बड़ा झटका लगा है. किसानों से सरकारी दर पर गेहूं खरीद को लेकर शासन से लेकर विभागीय अफसर दो माह तक लगातार लगे रहे.इसके पहले से ही किसानों के पंजीकरण से लेकर क्रय केंद्रों को खोलने को लेकर अफसर निरंतर बैठक व दिशा निर्देश जारी करते रहे.इसके बाद भी आंकड़ों में गेहूं खरीद का प्रदर्शन बहुत ही निराशा जनक रहा है. पंजीकृत 624 किसानों में से मात्र 58 ने ही बेचा अनाज अनाज की खरीद उन किसानों से ही की जाती है, जिनका विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण होता है.इसकेे लिए पंचायती विभाग से लेकर अन्य ब्लाक स्तरीय कर्मचारियों को लगाया जाता है.जिनके द्वारा प्रचार प्रसार कर किसानों से पंजीकरण कराने पर जोर दिया जाता है.इसके बाद भी हाल यह रहा कि पूरे जिले में मात्र 624 किसानों ने ही अपना पंजीकरण कराया.जिसमें से 58 किसानों ने क्रय एजेंसियों को अपना गेहूं दिया. दो माह में मात्र 147.900 एमटी हुई खरीद जिले में गेहूं खरीद के लिए 237 क्रय समितियों को लगाया गया था.जिसमें पैक्स व व्यापार मंडल शामिल रहा. 15 अप्रैल से 15 जून तक 147.900 एमटी की गेहूं की खरीद किसानों से की गयी.जबकि विभाग ने दो माह के अंदर 13 हजार 547 एमटी खरीद का लक्ष्य तय किया था.इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम ने अपने तीन केंद्रों के माध्यम से 50 किसानों से 102.700 एमटी धान की खरीद की गयी. गेहूं खरीद में सक्रिय रहे बिचौलिये गेहूं खरीद की निराशाजनक सरकारी प्रगति के पीछे बिचौलियों के खेल को प्रमुख माना जा रहा है.क्रय केंद्र पर किसानों को गेहूं ले जाकर बेचने में हाेनेवाली कठिनाई का लाभ बिचौलियों ने खुब उठाया.सरकार ने किसानों से 2275 रुपये कुंतल के दर से खरीद का मूल्य तय किया था.उधर बिचौलिये किसानों से दरवाजे से ही 2500 रुपये से लेकर 2600 रुपये के दर से गेहूं खरीदते रहे.बिचौलियों की यह कोशिश के सामने सरकारी विभाग के कर्मचारी व अधिकारी से लेकर क्रय एजेंसी के स्टाफ भी अपने को कमजोर साबित करते रहे.लिहाजा आंकड़ो में देखें तो मात्र तकरीबन एक फीसदी ही खरीद हुई.
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