सीवान. सीवान सूता फैक्ट्री के बंद होने के 24 साल बाद यहां सेवारत रहे कर्मियों के पक्ष में एक बड़ा फैसला आया है, जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने यहां अंतिम समय में कार्यरत रहे तकरीबन 537 कर्मियों के सभी तरह के बकायों का भुगतान करने का आदेश दिया है. सर्वोच्च न्यायालय के जारी आदेश का अनुपालन कराने संबंधित पटना हाइकोर्ट के डबल बेंच ने दो माह के अंदर बकाये का भुगतान करने को सरकार को आदेश दिया है. यहां के कर्मियों के मुताबिक तकरीबन 40 कराेड़ से अधिक की धनराशि का भुगतान करना होगा. इस फैसले पर कर्मियों ने यहां जश्न मनाया. बताया जाता है कि तीन सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने भुगतान संबंधित अपना आदेश पारित किया था. इस आदेश के अनुपालन को लेकर पटना हाइकोर्ट के न्यायाधीश पीवी वैद्यंत्री व आलोक पांडे के कोर्ट ने सरकार को दो माह का समय दिया है. हाइकोर्ट ने यह आदेश एक अक्तूबर को जारी किया है. कर्मियों ने जतायी प्रसन्नता : आदेश की जानकारी मिलने पर सरकारी सूता मिल के कर्मचारी और पदाधिकारी में खुशी की लहर दौड़ गयी है. इस बाबत सभी कर्मचारियों द्वारा पुराने कैंपस में एक मीटिंग की गयी. मौके पर सीवान सहकारी सूता मिल के कर्मचारी रहे बच्चा सिंह, गोरखनाथ सिंह, संजय चौधरी, जगन चौधरी, अनिल यादव, मुंशी खान, उदयभान सिंह, आशा देवी, आभा देवी सहित सैकड़ों मजदूर मौजूद रहे. मिल की जमीन पर चलता है कॉलेज : सूता फैक्ट्री की स्थापना वर्ष 1982 में हुई थी. लेकिन, दो वर्ष बाद मिल ने उत्पादन शुरू किया. हालांकि मिल अपनी क्षमता के अनुसार कभी भी सूता का उत्पादन नहीं कर सकी. लिहाजा वर्ष 2000 में पूरी तरह मिल में ताला लग गया. इसके बाद से ही यहां कार्यरत रहे कर्मियों के बकाये का भुगतान लंबित रहा. कहा जाता है कि अंतिम समय में यहां 537 कर्मी सेवारत थे, जिनका प्रतिकर्मी बकाये की रकम औसतन सात लाख रुपये से अधिक है, जिन्हें कोर्ट के फैसले के बाद भुगतान की उम्मीद जगी है.
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