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सोनपुर मेला फिर से हुआ शुरू, SDO से वार्ता के बाद दूर हुई मेला संचालकों की नाराजगी, जानें क्यों हुआ था बंद

सारण जिला प्रशासन ने सोनपुर के स्थानीय लोगों और मेला संचालकों से वार्ता कर उनकी परेशानियों के समाधान का रास्ता निकाला. एसडीओ द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद शनिवार दोपहर को मेला एक बार फिर से शुरू हो गया.

विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला को व्यापारियों और ग्रामीणों द्वारा बंद करने के निर्णय के बाद प्रशासन की नींद खुली. प्रशासन ने स्थानीय लोगों से वार्ता कर उनकी परेशानियों के समाधान का रास्ता निकाला. इस संबंध में अनुमंडल पदाधिकारी के साथ बैठक कर मेला में आने वाली विभिन्न समस्याओं पर चर्चा की गयी. एसडीओ से वार्ता के बाद मीटिंग में शामिल लोगों ने बताया कि थियेटर और खेल तमाशा का लाइसेंस देने के साथ-साथ मेले के बाद भी खेल तमासे की अनुमति देने पर भी विचार करने की बात अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा है.

मेला खुलने के साथ उमड़ी लोगों की भीड़

शनिवार को मेला खुलने के साथ ही दोपहर के बाद लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी और मेले में रौनक आ गयी. छुट्टी का दिन होने के कारण मेले में वैसे भी लोगों की काफी भीड़ होती है. ऐसे में आज लोगों की काफी भीड़ रही लेकिन मेला बंद होने के कारण लोग दुकानों से सामान खरीद नहीं सके जिसका मलाल मेला घूमने आए लोगों को भी रहा.

घूमने पहुंचे लोगों को हुई परेशानी

मेला घूमने आए लोगों का कहना था कि मेला बंद होने के कारण चाय से लेकर पानी तक की दुकान बंद है किसी तरह के दुकान नहीं खुलने के कारण हम लोगों को पानी और चाय की दिक्कत हो रही है. हम लोग किसी तरह समय निकालकर मेला घूमने आए थे लेकिन यहां आने पर पता चला कि प्रशासन द्वारा लाइसेंस नहीं दिए जाने के कारण दुकान बंद रखा गया है.

दुकानदारों को उठाना पड़ा नुकसान

मेला में दुकानों के बंद रहने के कारण मेला में आए दुकानदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ा. दुकानदारों का कहना है कि लगभग 1 करोड़ रूपये से अधिक का कारोबार शनिवार को होता. लेकिन मेला बंद होने से हम लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. मेले में लगभग छोटे बड़े मिलाकर कुल 500 के आसपास दुकान है. जिसमें सभी की बिक्री शनिवार के दिन काफी अच्छी रहती है.

लोगों को मेला क्षेत्र से दूर ही रोक दिया जा रहा था

मेला क्षेत्र में आने वाले लोगों को मेला से काफी दूर ही रोक दिया जा रहा था जिसके कारण लोग मेला आने से वंचित रह जा रहे थे. किसी को बजरंग चौक पर रोक दिया गया तो किसी को बाइपास में, किसी को शिव बच्चन चौक पर रोक दिया गया तो किसी को गोला बाजार पर ही रोक दिया गया. जिसके कारण लोगों को मेला आने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. बुजुर्ग लोग ने तो वापस लौटने में ही भलाई समझी क्योंकि वो चल नहीं सकते बहुत से लोग मेला घूमने के साथ-साथ बाबा हरिहरनाथ का दर्शन करने भी आते हैं लेकिन गाड़ियों के दूर रोक दिए जाने के कारण वह बाबा हरिहरनाथ के दर्शन करने से भी वंचित रह गए.

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क्यों बंद किया गया था सोनपुर मेला

दरअसल, शुक्रवार को सोनपुर के चिड़िया मठ पर ग्रामीणों एवं व्यापारियों की प्रशासन द्वारा व्याप्त कुव्यवस्था के विरोध में एक महाबैठक की गई थी. इस बैठक में चर्चा हुई थी कि बिहार के राजगीर में कुछ दिन पहले ही मलमास मेले का आयोजन हुआ था, जिसमें पहले दिन से ही खेल-तमाशे, झूला, मारुती, मौत का कुआं, सर्कस, थियेटर आदि का लाइसेंस देकर मेले को सजाया गया था. परंतु, हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले के उद्घाटन के सप्ताह भर बाद भी किसी प्रकार का लाइसेंस न देकर मेले को पूरी तरह से समाप्त करने की साजिश रची जा रही है. बैठक में लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री बिहार के नहीं नवादा, नालंदा और राजगीर के ही मुख्यमंत्री हैं या फिर हम शायद बिहार में नहीं है. सोनपुर मेले के सभी व्यापारियों एवं ग्रामीणों ने यह निर्णय लिया कि जबतक हमारी समस्याओं पर सरकार और प्रशासन समुचित समाधान नहीं निकालती, मेला अनिश्चितकालीन बंद रहेगा.

सोनपुर मेले के साथ सौतेला व्यवहार किए जाने का लगाया आरोप

बैठक में लोगों ने कहा कि सोनपुर मेले के पूर्णिमा के दिन से ही सात किमी दूर ही गाड़ियों को रोक दी गयी, जिसके कारण इस बार मेला में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम रही. लोगों का कहना था कि मेले के उद्घाटन के सप्ताह भर बीत जाने बाद भी विभिन्न चौक-चौराहों पर बैरिकेडिंग कर गांव में भी ग्रामीणों को प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है. साथ ही व्यापारियों के सामान को भी मेले में लाने नहीं दिया जा रहा है. विभिन्न मेले सहित राजगीर मेले में भी पारंपरिक अस्त्र तलवार, बरछी, भाला इत्यादि की बिक्री की जाती थी, परंतु इसे प्रतिबंधित कर दिया जाता है. इन सब बातों से मुख्यमंत्री का सोनपुर मेले के प्रति सौतेला व्यवहार प्रतीत होता है.

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