आमतौर पर वीआरएस लेने या रिटायरमेंट के बाद लोग पार्ट टाइम नौकरी की तलाश करते हैं. लेकिन, बिहार के पूर्वी चम्पारण के रहने वाले राजेश कुमार ने ऐसा नहीं किया. सेना से वीआरएस लेने के बाद उन्होंने बैंक या अन्य संस्थानों में नौकरी के लिए आवेदन नहीं दिए. उन्होंने खेती करने का फैसला किया. उनके इस फैसले का तो शुरू में तो काफी उपहास उड़ाया गया. लेकिन, इससे वे परेशान नहीं हुए. अपने मिशन में लगे रहे. उनका परिश्रम ने रंग लाया. और आज राजेश अपने गांव ही नहीं आस-पास के गांव के लोगों के लिए भी आदर्श बन गया है.
पूर्वी चम्पारण के पिपरा कोठी प्रखंड के सूर्य पूर्व पंचायत के रहने वाले राजेश कुमार पेशे से फौजी थे. इस कारण वे हर तरह की चुनौती का सामना करना भी बखुबी जानते थे. इसके साथ ही वे प्रयोग करने में भी विश्वास करते थे. यही कारण है कि उन्होंने सबसे पहले प्रयोग के तौर पर पपीता की खेती शुरू की. उनका यह प्रयोग सफल रहा और पहले वर्ष ही उन्होंने 12.30 लाख का पपीता बेचकर सभी लोगों का मुंह बंद कर दिया. पपीता की खेती से राजेश को अच्छा मुनाफा हुआ. इसके बाद उसने सब्जी की खेती में अपनी किस्मत आजमाई. यहां भी उन्होंने अच्छा खासा मुनाफा कमाया.
इसी क्रम में उन्होंने इस बार अपने 8 कट्ठा की खेत में कद्दू की खेती की. बरसात में फसल खराब होने की चुनौती को स्वीकार करते हुए फसल को न सिर्फ बचाया, बल्कि आज प्रतिदिन 300 से अधिक पीस कद्दू बेच रहे हैं. राजेश का कहना है कि व्यपारी मेरे खेत से 10 से 15 रुपया प्रति पीस कद्दू ले जाते हैं.इस प्रकार से प्रति दिन 4 से 5 हजार तक की आमदनी हो रही है. वे कहते हैं कि अगर किसी प्रकार का कोई दैवीय प्रकोप ना हुआ तो लगातार 30 दिनों तक इसी तरह की आमदनी जारी रहेगी.
राजेश कहते हैं कि मुझे सब्जी बेचने के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता है. व्यपारी कुमार बताते हैं कि इसके लिए उन्होंने वीएनआर सरिता किस्म के कद्दू का बीज खेत में लगाया था. यह कम समय में ही फल देने लगता है. साथ ही शुरुआत से अगले एक माह तक धमाकेदार उत्पादन होता है. उन्होंने बताया कि उनकी खेत में उत्पादित कद्दू को मार्केट में भी नहीं ले जाना पड़ता है. दूर-दराज के व्यापारी उनकी खेत से ही कद्दू खरीद कर ले जाते हैं. इनमें गोपालगंज, सीवान, सीतामढ़ी और शिवहर के व्यापारी प्रमुख हैं.
उन्होंने बताया कि मंडी में भी 15 से 22 रुपए का रेट चल रहा है. स्थानीय व्यापारी इसी रेट पर खेत पर कद्दू खरीद ले रहे हैं. इससे उन्हें प्रतिदिन 4 से 5 हजार तक की आमदनी हो रही है. किसी तरह की कोई दैवीय प्रकोप ना हो तो लगातार 30 दिनों तक इसी तरह की आमदनी जारी रहेगी. राजेश ने अपने 8 कट्ठा की खेत में कद्दू की खेती की. बरसात में फसल खराब होने की चुनौती को स्वीकार करते हुए फसल को न सिर्फ बचाया, बल्कि आज प्रतिदिन 300 से अधिक पीस कद्दू बेच भी रहे हैं.