श्रावणी मेला में प्रशासन द्वारा किए गए दावे की पोल शुक्रवार को हुई झमाझम बारिश में खुल गई. कांवरिया पथ में बारिश से बालू का बहाव हो गया और जगह-जगह फिसलन की स्थिति उत्पन्न हो गई. जिससे कई कांवरिया गिरकर चोटिल भी हो गये. जबकि कांवरिया मार्ग में दो सेंटीमीटर मोटाई के साथ बालू का बिछाव करना था. लेकिन अभिकर्ता द्वारा सही ढंग से बालू का बिछाव नहीं किया गया.
बारिश के बाद मिट्टी से बनी फिसलन
बारिश होने के बाद पूरे मार्ग में बालू कहीं नजर नहीं आ रहा है और सिर्फ मिट्टी ही नजर आ रही है. जिससे कांवरिया पथ कीचड़ में तब्दील हो गया. खासकर गोगाचक धर्मशाला एवं छत्रहार मोड़ के पास गोगाचक मुहल्ले के पास कीचड़ के कारण इतनी फिसलन हो गई है कि पैदल चलने वाले कांवरिया गिरकर चोटिल हो रहे हैं. इसके अलावा धोबई मोड़ के पास भी कीचड़ इतनी अधिक है कि दर्जनों कांवरिया गिरकर चोटिल हो गये.
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प्रशासन की बढ़ी चुनौती
हद तो यह है कि कांवरिया का पूरा पैर कीचड़ में सन जा रहा था. कांवरिया के गिरने की खबर जब प्रशासन को लगी तो प्रशासन हरकत में आयी और जहां फिसलन थी वहां पुलिस जवानों को लगाया गया. लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी रही. स्थानीय दुकानदार एवं कांवरिया ने फिसलन वाली जगह पर पेड़ की टहनी को रख दिया. जिससे कांवरियों को राहत मिली.
फिसलन से गिरे कई कांवरिये, कमर में लगी चोंट
धनबाद के संजय राय जो सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर देवघर जा रहे थे, उसने गोगाचक के पास इस स्थिति को देखकर घंटों बैठे रहे और कांवरियों की मदद करते रहे. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा और जो व्यवस्था की गई है वह किसी ढंग से ठीक-ठाक है. लेकिन मार्ग में बालू का विछाव सही तरीके से नहीं किया गया है. जिसके कारण यह दुर्दशा बनी है. दर्जनों तीर्थ यात्री महिला, पुरुष, बच्चे, बूढ़े इस कीचड़ में गिरकर चोटिल हो रहे हैं. उन्हें एक दूसरे कांवरिया सहयोग कर उठाते हैं. लेकिन शुक्रवार को अनवरत कांवरियों की भीड़ के कारण लोगों को अंदाजा नहीं रहता है कि किस जगह फिसलन है. यही कारण है कि कांवरिया गिरकर चोटिल हो रहे हैं. किसी के कमर में ज्यादा चोट है तो किसी के पैर में चोट लगी है.