– अनुमंडलीय अस्पताल व पीएचसी में तैयार किया जा रहा बेड – गंभीर रूप से भर्ती मामलों के सैंपल को राष्ट्रीय लैब में भेजने का स्वास्थ्य विभाग ने दिया निर्देश सुपौल. चीन में फैले ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) देश के कुछ प्रदेशों में सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड में आ गया है. केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग पटना से मिले निर्देशों के आलोक में तैयारी शुरू कर दी गयी है. फिलहाल सदर अस्पताल में 10 आइसोलेशन बेड तैयार किया गया है, जबकि अनुमंडलीय अस्पतालों में पांच-पांच आइसोलेशन बेड और पीएचसी में दो-दो बेड एक-दो दिनों में तैयार किया जाएगा. सिविल सर्जन डॉ. ललन ठाकुर ने बताया कि एचएमपीवी वायरस से बचाव के लिए कोरोना की तर्ज पर ही व्यवस्था करने का निर्देश मिला है. बताया कि यह श्वासन तंत्र से जुड़ा हुआ वायरस है. इसके संक्रमण से बचने के लिए कोई विशेष एंटी वायरल या वैक्सीन अब तक उपलब्ध नहीं है. विभाग ने निर्देश दिया है कि सभी स्वास्थ्य संस्थानों द्वारा इन्फ्लूएंजा के समान बीमारी एवं सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी न्यूमोनिया (सारी) का सर्विलांस सुनिश्चित करते हुए इसको आईएचआईपी पोर्टल पर प्रतिदिन रिपोर्ट दी जाए. कोविड-19 से संबंधित दवा, किट, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, मास्क इत्यादि की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. इसके ट्रेंड पर ध्यान रखने और इसके बढ़ने की स्थिति में सभी अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण गतिविधियों की सघन निगरानी करने को कहा गया है. अस्पताल में गंभीर रूप से भर्ती मामलों के सैंपल को राष्ट्रीय लैब में भेजकर जांच कराने के भी निर्देश दिए गए हैं जिससे एचएमपीवी की लैब में पुष्टि हो सके. एचएमपीवी वायरस का लक्षण विभाग के अनुसार इसके लक्षणों में कफ, बुखार, नाक में संक्रमण, श्वास में परेशानी, गंभीर स्थिति में ब्रोंकाइटिस एवं न्यूमोनिया शामिल है. एचएमपीवी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने अथवा छींकने से फैलता है. साथ ही संक्रमित व्यक्ति को छूने, एवं संक्रमित वस्तुओं के मुंह, आंख अथवा नाक के संपर्क होने से फैल सकता है. एचएमपीवी से बचाव के लिए कोरोना के समान ही प्रमुख विधि बताई जा रही है. विशेषकर छोटे बच्चे, 60 वर्षो से अधिक अधिक उम्र वाले व्यक्ति तथा कमजोर इम्यूनिटी वाले व्यक्ति के लिए एहतियात बरतने का सुझाव दिया गया है. कहते हैं माइक्रो बायोलॉजिस्ट माइक्रो बायोलॉजिस्ट डॉ सुभाष मिश्रा ने कहा कि एचएमपीवी एक वायरस है जो श्वान तंत्र में संक्रमण करता है. यह पैरामाइक्सोविरिडे परिवार का हिस्सा है और इसका असर सर्दी, फ्लू या आरएसवी जैसे होता है. यह बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए सबसे अधिक खतरनाक है. इसकी पहचान पहली बार 2001 में नीदरलैंड में पहचाना गया. इसकी पहचान खांसी, बुखार, बंद नाक और गले में खराश है. जबकि गंभीर लक्षण में सांस लेने में दिक्कत, सीटी जैसी आवाज और होठों का नीला पड़ना है.
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