बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की सेहत में सुधार के लिए गुरुवार को मिशन परिवर्तन की लांचिंग की गयी. उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने मिशन की लांचिंग के साथ ही मेडिकल कॉलेजों में इलाज को टास्क दिया कि जिस कॉलेज में जितने मानव बल हैं, उसका भरपूर उपयोग करें. अब यह बहाना नहीं चलेगा. चिकित्सक, नर्स और अन्य स्टाफ रहते हुए काम नहीं हो, ऐसा नहीं होना चाहिए. मेडिकल कॉलेजों की बेसिक सुविधा में सुधार कर परफॉर्मेंस दिखाना होगा. एक माह में मेडिकल कॉलेजों की फिर से समीक्षा की जायेगी, जिससे यह आकलन किया जा सके कि कार्यशैली, व्यवस्था और इलाज की दिशा में कितना बदलाव दिख रहा है.
उपमुख्यमंत्री ने मेडिकल कॉलेजों में सुधार के लिए मिशन 60 दिन के तर्ज पर मिशन परिवर्तन को लांच किया. इसका मुख्य उद्देश्य है कि अस्पतालों को मरीज फ्रेंडली बनाया जाये. सबसे पहले इन कॉलेजों में अनुशासन को लागू किया जाये. साथ ही मैनपावर के आधार पर इलाज की व्यवस्था की जाये. उसका इंडेक्स बनाया जाये और उसकी मॉनीटरिंग की जाये. मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में साफ-सफाई, मरीजों व परिजनों के बैठने के लिए प्रतीक्षालय, साइनेज को लगाना, मे आइ हेल्प यू डेस्क स्थापित करना है.
कॉलेजों को निर्देश दिया गया कि हर दिन इवनिंग राउंड सुनिश्चित किया जाये और कम से कम असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर के डॉक्टर द्वारा वार्ड में राउंड लगाया जाये. सभी मेडिकल कॉलेजों में 611 प्रकार की आवश्यक दवाओं उपलब्ध रहें, जिससे मरीजों के पॉकेट पर बोझ कम हो. समीक्षा बैठक में मरीजों के रेफरल नीति पर भी चर्चा की गयी जिससे मेडिकल कॉलेजों पर अनावश्यक दबाव नहीं बढ़े.
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समीक्षा में पाया गया कि बेतिया, मधेपुरा और पावापुरी मेडिकल कॉलेजों की स्थिति में और सुधार करने की आवश्यकता है. उपमुख्यमंत्री ने 28 अप्रैल को एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर का औचक निरीक्षण किया था. उसको लेकर वहां के अधीक्षक को इशारों में सरकार की भावना से अवगत कराया गया. मेडिकल कॉलेजों को मिशन -60 दिन की सफलता का पावर प्वाइंट दिखाया गया. मेडिकल कॉलेज अस्पतालों द्वारा उपमुख्यमंत्री को बताया गया कि प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की बड़ी संख्या में पद खाली हैं. अब मेडिकल कॉलेजों में चलाये जा रहे मिशन परिवर्तन का रिव्यू एक माह बाद किया जायेगा.