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मौसम ने बदला मिजाज: बिहार में आंधी-तूफान के साथ बारिश शुरू, किसानों की फसल चौपट

बेमौसम बारिश ने किसानों की बढ़ायी चिंता, गेहूं-तेलहन और मसूर की फसल बर्बाद

पटना: बिहार की राजधानी पटना में गुरुवार से ही रुक-रुक कर बारिश हो रही है. शुक्रवार की देर रात से पटना समेत पूरे बिहार में आंधी-तूफान के साथ बारिश लगातार हो रही है. तेज हवा के साथ हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. बेमौसम बारिश होने के कारण किसानों की फसल चौपट हो गयी है. अब उनकी लागत भी निकल पाना मुश्किल है. बिहार में मसूर, चना, सरसों, दलहनी और तेलहनी फसल पूरी तरह से खेतों में खराब हो गयी है. बिहार के कई जिलों में तेज बारिश हुई है, जिससे किसानों के खेतों में पानी भर गया है. जिन खेतों में पानी भर गया है, उन खेतों की फसल चौपट हो जाएगी.

मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार बिहार में अगले 24 घंटे तक तेज हवा के साथ बारिश होगी. इस दौरान ओलावृष्टि और ठनका भी गिरने की आशंका है. मौसम विभाग ने अलर्ट जारी कर कहा है कि किसानों से सचेत रहने की जरूरत है. इस साल एक मार्च से 13 मार्च तक पूरे प्रदेश में 20 मिलीमीटर से अधिक बारिश हो चुकी है, जो इस सीजन की सामान्य बारिश से 500% अधिक है. मौसम बैज्ञानिक भी मसूर और सरसों की फसल के लिये इस मौसम में हो रही बारिश को घातक बताया. जानकारों के अनुसार आम और लीची को भी भारी नुकसान होगा. बारिश के कारण कीड़ों का प्रकोप बढ़ जायेगा. कीड़ों का प्रक्रोप अधीक होने से दूसरी फसलों पर भी असर पड़ेगा, लेकिन चना और गेहूं को नुकसान कम होगा. जिन खेतों में बारिश का पानी लग गया है उन खेतों की फसल चौपट हो जाएगी.

ठनके से दो भाइयों सहित चार की मौत

सासाराम और फतुहा में शुक्रवार को ठनका गिरने से बिहार में चार लोगों की मौत हो गयी है. फतुहा के विक्रम टाल में किसान की मौत हो गयी. वहीं सासाराम मुफस्सिल थाने के गिंजवाही गांव से सटी पहाड़ी पर शुक्रवार की सुबह सात बजे ठनका गिरने से दो सगे भाइयों सहित तीन युवकों की मौत हो गयी. तीनों पहाड़ी पर शौच के बाद वापस लौट रहे थे.

सामान्य तौर पर मार्च के पहले पखवारे में बिहार में 2.7 मिलीमीटर ही बारिश दर्ज की गयी थी. आइएमडी, पटना के मुताबिक उत्तरी बिहार के दो-चार जिलों को छोड़कर पूरे बिहार में तेज हवा के साथ बारिश और ओलावृष्टि हो सकती है. किसानों को चाहिए कि अपने मवेशी और सूखी फसल को सुरक्षित रखने का इंतजाम कर लें. उल्लेखनीय है कि पूरे प्रदेश में एक तिहाई से अधिक फसल खेत में सूखी खड़ी है, जो बारिश के कारण पूरी तरह से चौपट होने के कगार पर पहुंच गई है.

जून-जुलाई की अपेक्षा अगस्त और सितंबर में हुई अधिक बारिश

जून-जुलाई के अपेक्षा अगस्त और सितंबर में अधिक बारिश दर्ज की गयी. सामान्य बारिश न होकर भारी बारिश हुई. इस तरह किसानों को सिंचाई के लिहाज से बारिश का समुचित फायदा नहीं हो सका. मॉनसूनी सीजन में ड्राइ स्पैल भी खूब रहे. शीतकालीन बारिश 10 सालों में सर्वाधिक दर्ज की गयी.

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