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नवादा में कागज पर टॉयलेट बना हड़प लिये 10-10 हजार रुपये, अब अधिकारी नहीं उठाये फोन

Nawada : पंचायत की महिला मुखिया रूबी कुमारी ने बताया कि उनकी पंचायत की 80 फीसदी घरों में शौचालय का अभाव है.

नवादा जिले में आमलोगों के लिए कई योजनाएं चलायी जा रही हैं. इसका लाभ भी लोगों को मिल भी रहा है. लेकिन कई योजनाओं में लूट-खसोट मचा है. कुछ ऐसा ही मामला सिरदला प्रखंड में भी सामने आया है. शौचालय योजना के अनुदान में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा का खेल खेला गया है. दरअसल प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित चौकिया पंचायत में लोहिया बिहार स्वच्छ अभियान के तहत बगैर शौचालय निर्माण कराये ही ग्रामीणों के बैंक खाते में अनुदान के 12000 रुपये भेज दिया गया है. इसके बाद ग्रामीणों से 10-10 हजार रुपये वसूल लिये गये.

पंचायत के 80 फीसदी घरों में नहीं है शौचालय

पंचायत की महिला मुखिया रूबी कुमारी ने बताया कि वर्ष 2014 से आज तक 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी उनकी पंचायत की 80 फीसदी घरों में शौचालय का अभाव है. इसके लिए प्रखंड स्तर से कोई पहल भी नहीं की जा रही है. बावजूद आठ अक्त्तूबर को दशहरा पर्व का मानो खर्च जुगाड़ करने के लिए ग्रामीणों के खाते में अनुदान की राशि भेज कर एलएसबीए के कर्मी और अधिकारियों ने रुपये हड़प लिये. जिसकी जानकारी पंचायत के सुरजूडीह गांव के आधा दर्जन ग्रामीणों ने दी है.

लोगों ने बतायी अपनी समस्याएं

सुरजुडीह निवासी प्रकाश प्रसाद और उनकी पत्नी कौशल्या देवी ने पंचायत कार्यालय में आवेदन देकर शिकायत दर्ज करवाते हुए बताया कि न तो उनके घर पर पहले से शौचालय निर्मित था और न ही आज भी है. इसके बावजूद उनके खाते में अनुदान की राशि 12000 भेजी गयी और तथाकथित स्वछताग्रही रंजीत कुमार जलछाजन की राशि बता कर 10-10 हजार रुपये ले लिये. वहीं, सुरजुडीह गांव का ही गिरिजा प्रसाद के साथ भी यही वाक्या हुआ. जहां बगैर शौचालय निर्माण कराए ही अनुदान की राशि 12000 भेज कर 10000 रंजीत कुमार से ले लिया गया. जबकि सुनरवा देवी ने खाते में भेजी गयी रकम को नहीं दिया, लेकिन पंचायत कार्यालय में शिकायत जरूर की है.

मुनेश्वरी देवी ने बताया कि उनके खाते में भी 12000 की राशि आयी, जिसके बाद रंजीत कुमार आया और सुखाड़ की राशि बात कर 8000 रुपये ले लिये. शिकायत प्राप्त होने के बाद पंचायत की महिला मुखिया रूबी कुमारी ने आवेदन को पंचायत पर्यवेक्षक और पंचायत सचिव को अग्रसारित कर अविलंब जांच प्रतिवेदन की मांग की है.इस बाबत एलएसबीए के प्रखंड समन्वयक राकेश कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास ऐसी कोई भी शिकायत नहीं आयी है. शिकायत मिलने के बाद दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

अधिकारी नहीं उठाये फोन

शौचालय योजना में हुए भ्रष्टाचार पर स्थानीय प्रखंड विकास पदाधिकारी दीपेश कुमार से भी संपर्क किया गया, लेकिन आमजनों के लिए उपलब्ध बीएसएनल का सरकारी मोबाइल 9431818494 सर्विस में नहीं होने की जानकारी मिली, वहीं, खास लोगों के लिए उपलब्ध 9031071702 निजी नंबर भी कवरेज क्षेत्र से बाहर बता रहा है.

भुगतान से पूर्व जांच की जिम्मेदारी किसकी:

चौकिया पंचायत शौचालय घोटाले को लेकर एक बात तो स्पष्ट है कि चूक, तो सरकारी कुर्सी पर आसीन पदाधिकारी द्वारा हुई है. नियमानुसार जैसे ही किसी ग्रामीण का आवेदन कार्यालय को प्राप्त होता है. ऑपरेटर द्वारा इंट्री करने के बाद संबंधित पंचायत पर्यवेक्षक ग्रामीण से प्राप्त आवेदन की जांच कर, प्रतिवेदन प्रखंड समन्वयक को देता है. इसके बाद प्रखंड समन्वयक प्राप्त जांच प्रतिवेदन को अपने स्तर से भी जांच उपरांत प्रखंड विकास पदाधिकारी को अग्रसारित करता है. जहां समन्वयक द्वारा जांच प्रतिवेदन को वीडियो लॉगिन से डिजिटल हस्ताक्षर के उपरांत ही राशि भुगतान की अनुशंसा की जाती है. जबकि चौकिया पंचायत शौचालय घोटाले से पूर्व जिम्मेवारों द्वारा क्रॉस जांच या कहिये तो स्थल निरीक्षण नहीं किया गया. आंख मूंदकर एक-दूसरे पर विश्वास और भरोसा जताते हुए सरकारी अनुदान की राशि को अपात्र लाभुकों के बैंक खाते मे भेज कर बंदरवाट कर लिया गया है.

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