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World Milk Day : अब 400 ग्राम दूध रोज पी रहे बिहारवासी, राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंचा बिहार

बिहार में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता में पिछले 19 वर्षों में चार गुनी से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है. हर साल बाढ़ और सुखाड़ की मार को झेलने के बाद भी बिहार ने प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता की बड़ी खाई को लगभग पाट दिया है.

अनुज शर्मा, पटना. बिहार में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता में पिछले 19 वर्षों में चार गुनी से भी अधिक बढ़ोतरी हुई है. हर साल बाढ़ और सुखाड़ की मार को झेलने के बाद भी बिहार ने प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता की बड़ी खाई को लगभग पाट दिया है. शराबबंदी के बाद इसमें और भी बढ़ोतरी हुई है. बिहार के लोग अब प्रतिदिन 400 ग्राम दूध पी रहे हैं, जो राष्ट्रीय औसत 407 ग्राम से मात्र सात ग्राम कम है.

19 साल पहले 2001 में राष्ट्रीय स्तर पर प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 225 ग्राम थी, उस समय एक बिहारी को मात्र 88 ग्राम दूध पीने को मिल रहा था. बीते 10 वर्षों में बिहार ने न केवल दूध का उत्पादन 39.66 लाख टन बढ़ाया है, बल्कि उसे लोगों तक पहुंचाया भी है. वर्ष 2011-12 में राज्य में दूध का उत्पादन 65.17 लाख टन से बढ़कर 2019-20 में 104.83 लाख टन पर पहुंच गया. गौरतलब है कि देश मे दूध उत्पादन मामले में बिहार अब छठे स्थान पर है.

बिहार कृषि प्रधान राज्य भले ही शुरू से रहा है, लेकिन दूध के उत्पादन, प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता और इसे आय का साधन बनाने का श्रेय बीते 15 सालों को जाता है. सरकार के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1994-95 के दौरान दूध की प्रतिदिन की औसतन खरीद 114.32 हजार किलो (टीकेपीडी )थी. 2006-07 में पांच गुनी से अधिक बढ़कर लगभग 608.38 हजार किलो हो गयी. 2011-12 के दौरान दैनिक औसत दूध खरीद 1074.92 हो गयी.

ये हैं बिहार के दुग्ध उत्पादक संघ

देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड (डीआरएमयू) बरौनी, तिरहुत दुग्ध संघ मुजफ्फरपुर, वीपी मिल्क यूनियन पटना, मिथिला दुग्ध संघ समस्तीपुर, मगध दुग्ध परियोजा गया, कोसी दुग्ध परियोजना पूर्णिया, शाहाबाद दुग्ध संघ आरा, बिक्रमशिला दुग्ध संघ भागलपुर.

दूध में मिलावट बताने वाला स्ट्रिप पेपर बाजार में जल्द आ रहा

दूध और उससे बने उत्पादों में मिलावट लोगों की सेहत के लिए खतरा बनी हुई है. माना जाता है कि दूध में मिलावट का स्तर लगभग 50% है. इससे छुटकारा दिलाने के लिए भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) ने ‘ फोकस मिशन’ के तहत एक डिवाइस बनायी है.

इसकी मदद से पता लगाया जा सकता है कि दूध में मिलावट है या नहीं. आइआइटीआर के निदेशक ने एक साक्षात्कार में बताया था कि स्ट्रिप पेपर से दूध में यूरिया, बोरिक एसिड और डिटर्जेंट की पहचान की जा सकेगी. यह स्ट्रिप जल्द ही आम आदमी को आसानी से उपलब्ध होगी.

प्रतिदिन की प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता

वित्तीय वर्ष भारत बिहार

  • 2020-21 407 400

  • 2018-19 394 251

  • 2013-14 307 195

  • 2009-10 273 175

  • 2005-06 241 154

  • 2001-02 225 88

(दूध की मात्रा ग्राम में)

स्रोत: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय , भारत सरकार)

लोगों की पहली पसंद गाय का दूध

बिहार में दूध कारोबार की सबसे बड़ी संस्था काॅम्फेड है. इसकी डेयरी को-ऑपरेटिव सोसाइटी की संख्या वर्तमान में करीब 24 हजार है. इनमें 12 लाख 50 हजार पशुपालक सदस्य हैं. 1.53 लाख महिलाएं भी इससे जुड़ी हैं. राज्य भर से रोजाना 17.5 लाख किलो दूध की खरीद की जा रही है. इसमें करीब 16 लाख लीटर दूध को पाउच में पैक कर प्रतिदिन उसकी बिक्री की जा रही है.

ढाई लाख लीटर दूध के उत्पाद बाजार में बिकने जाते हैं. बिहार के लोग गाय का दूध पीने के शौकीन हैं. इसके दूध का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है. कुल दूध में गाय के दूध की मात्रा 58.2 फीसदी है. गाय के दूध उत्पादन में समस्तीपुर और बेगूसराय के अलावा पटना टॉप थ्री जिलों में है. भैंस के दूध में सुपौल और नालंदा आगे हैं.

अभी बहुत कुछ करने की जरूरत : मुकेश सहनी

पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी ने कहा कि दुग्ध विकास के क्षेत्र में बिहार ने बहुत अच्छा काम किया है. फिर भी अभी बहुत कुछ काम करने की जरूरत है. अभी दूध का संग्रहण पूरी क्षमता से नहीं हो रहा है. छोटे किसान और गरीब लोगों को दूध के कारोबार से जोड़कर आय बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. दो-तीन वर्षों में बिहार दूध के कारोबार में कई सोपान आगे होगा.

Posted by Ashish Jha

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