Giridih News| गिरिडीह, राकेश सिन्हा : जिले के सरिया में स्थित एफसीआई (पीईजी-1) गोदाम से अनाज की हेराफेरी के मामले की जांच अब सीबीआई करेगी. इस मामले में एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) के प्रधान कार्यालय ने अपनी सहमति दे दी है.
गोदाम से ही होती थी अनाज की हेराफेरी
जब निर्धारित मात्रा का अनाज झारखंड राज्य खाद्य निगम को नहीं मिला और खोजबीन शुरू की गयी तो एफसीआई गोदाम से ही अनाज की हेराफेरी कर दिये जाने का मामला सामने आया. एफसीआई के अधिकारियों की टीम ने जो जांच की है, उसमें प्रथम दृष्टया 2928 क्विंटल अनाज की गड़बड़ी की बात सामने आयी है. इसकी लागत लगभग 92 लाख रुपये बतायी जा रही है. इसमें 1401 क्विंटल चावल और 1527 क्विंटल गेहूं है.
- 2928 क्विंटल अनाज की पिछले दिनों हुई है गड़बड़ी
- विस्तृत जांच हुई तो बढ़ेगी अनाज घोटाले की मात्रा
- सीबीआई को घोटाले की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करायी गयी
गड़बड़ी देख एफसीआई के अधिकारी भी रह गए दंग
भौतिक सत्यापन के दौरान एफसीआई के अधिकारियों ने इतनी बड़ी गड़बड़ी देखी तो आश्चर्यचकित हो गये. यह गड़बड़ी कुछ ही महीने की थी. अब एफसीआई के अधिकारियों को आशंका है कि अनाज हेराफेरी में बड़ी गड़बड़ी की गयी है. यही कारण है कि इस मामले की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराने के लिए एफसीआई के प्रधान कार्यालय से पत्राचार किया गया.
क्षेत्रीय कार्यालय ने सीबीआई जांच की अनुशंसा पर लगाई मुहर
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, एफसीआई के प्रधान कार्यालय ने क्षेत्रीय कार्यालय को सीबीआई जांच कराने की अनुशंसा पर अपनी मुहर लगा दी है. सूत्रों की मानें तो प्रधान कार्यालय से सहमति मिलने के बाद सीबीआई को घोटाले की विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा दी गयी है.
अनाज गड़बड़ी की बढ़ सकती है मात्रा
जानकारी के अनुसार एफसीआई गोदाम से फर्जी कागजात तैयार कर अनाज को कालाबाजार में बेच दिये जाने का मामला कोई नया नहीं है. यह खेल सरिया के एफसीआई गोदाम से काफी दिनों से जारी था. फर्जी कागजात तैयार कर अनाज को गोदाम से निकाला जाता था और जीटी रोड के रास्ते बंगाल के बाजार में खपा दिया जाता था.
बंगाल के राइस मिलों में ट्रक से अनाज पहुंचे, फिर बाजार में बेच दिया
बंगाल के राइस मिलों में ट्रकों से अनाज पहुंचाया गया और फिर पॉलिस कर उसे बाजार में बेच दिया गया. इसमें जेएसएफसी के भी कई अधिकारियों की मिलीभगत है. यह अनाज जनवितरण प्रणाली के दुकानों से गरीबों को दिया जाता है.
कागजों पर ही एफसीआई के गोदाम से होता था अनाज का उठाव
सूत्रों का कहना है कि एफसीआई के गोदाम से सिर्फ कागजों पर ही अनाज का उठाव होता था और जेएसएफसी के अधिकारियों की मिलीभगत से ही सभी तरह के दस्तावेज तैयार कर लिये जाते थे. सीबीआई यदि पूरे मामले की विस्तृत जांच करेगी तो मात्रा काफी बढ़ जायेगी और कई लोग इसके जद में आयेंगे.
फर्जी तरीके से तैयार किये गये थे कागजात
एफसीआई ने सरिया में दस हजार टन क्षमता का गोदाम शास्त्रीनगर गिरिडीह में रहने वाले रामजी पांडेय से किराये पर लिया था और अनाज हथालन की जिम्मेदारी भी इसी को दी गयी थी. सूत्रों का कहना है कि गोदाम से अनाज टपाने का काम एक सुनियोजित तरीके से लंबे अर्से से चल रहा था. जब स्थानीय ग्रामीणों ने एक ट्रक का पीछा कर उसे पुलिस को सौंपा और जांच की मांग उठी तो असलियत सामने आयी.
अनाज उठाव की इंट्री गलत, गेट पास भी फर्जी
वहीं, दूसरी ओर जेएसएफसी के लिए निकला अनाज जब उसे नहीं मिला और जेएसएफसी ने आवंटन के विरुद्ध उठाव का मिलान किया तो सच्चाई खुलकर सामने आयी. भौतिक सत्यापन के दौरान एफसीआई के अधिकारियों ने पाया कि अनाज निर्गत पंजी में गलत तरीके से उठाव की इंट्री की गयी है. वहीं, गेट पास भी फर्जी तैयार किया गया है.
टर्मिनेट एजेंसी के पास 40 लाख रुपये का अब भी है बकाया
गड़बड़ी पाये जाने के बाद जब एफसीआई के अधिकारियों ने अनाज की मात्रा का व राशि का आकलन किया तो पाया कि लगभग 92 लाख रुपये के अनाज की गड़बड़ी की गयी है. विभागीय सूत्रों का कहना है कि संवेदक रामजी पांडेय का किराया बकाया लगभग 52 लाख रुपये था जिसे जब्त कर लिया गया है और लगभग 40 लाख रुपये की वसूली की प्रक्रिया अभी जारी है.
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रामजी पांडेय की एजेंसी को किया गया टर्मिनेट
एफसीआई के प्रमंडलीय प्रबंधक सिद्धार्थ चक्रपानी ने बताया कि अनाज की हेराफेरी मामले में रामजी पांडेय की एजेंसी को टर्मिनेट कर दिया गया है. 40 लाख रुपये की वसूली के लिए सिक्यूरिटी डिपोजिट या बैंक गारंटी को फोरफिट किया जायेगा. वहीं विभागीय सहमति के बाद अब मामले को सीबीआई को सौंप दी गयी है.
किराया वसूली में करार की भी अनदेखी
मिली जानकारी के अनुसार एफसीआई और संवेदक में हुए करार के मुताबिक रैक प्वाइंट से गोदाम की दूरी आठ किलोमीटर के अंदर होने पर किराया का निर्धारण किया गया था. एमटीएफ के अनुसार यदि गोदाम की दूरी रैक प्वाइंट से आठ किलोमीटर से ज्यादा होगी तो किराये में कटौती किया जाना था.
इस तरह गोदाम में पहुंचता था अनाज
जानकार बताते हैं कि रैक प्वाइंट से अनाज का उठाव कर जिस रास्ते से एफसीआई के गोदाम में पहुंचाया जा रहा था, रेलवे रैक प्वाइंट से अनाज का उठाव कर बागोडीह मोड़ से होते हुए कोल्हरिया, बराकर पुल के रास्ते छत्रबाद में स्थित गोदाम में अनाज पहुंचता था.
13 किलोमीटर दूर था गोदाम
इसकी दूरी लगभग 13 किलोमीटर बतायी जाती है. यानि गोदाम आठ किलोमीटर के दायरे में न होकर पांच किलोमीटर ज्यादा दूरी पर स्थित है. ऐसे में प्रति क्विंटल प्रति किलोमीटर 19 पैसे के दर से किराये में कटौती कर एफसीआई को किराया का भुगतान करना था. लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
एफसीआई को हुआ राजस्व का नुकसान
सूत्रों का कहना है कि लगभग 70 से 80 लाख रुपये की कटौती किराये में किया जाना था. ऐसा नहीं करने के कारण एफसीआई को राजस्व की क्षति हुई है. इस बाबत प्रमंडलीय प्रबंधक सिद्धार्थ चक्रपानी का कहना है कि उन्होंने संवेदक के साथ किये गये इकरारनामे को नहीं देखा है. यह इकरारनामा क्षेत्रीय कार्यालय से की गयी है. एमटीएफ का अध्ययन करने के बाद ही इस मामले पर कुछ कहा जा सकता है.