Chaitra Navratri 2024: आज 9 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. माता शैलपुत्री बेहद दयालु और कृपालु हैं. मां शैलपुत्री बाएं हाथ में कमल पुष्प और दाएं हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं, इनकी सवारी वृषभ है. मां शैलपुत्री चन्द्रमा से सम्बन्ध रखती है. इन्हे सफ़ेद रंग खाद्य पदार्थ का भोग लगाया जाता है जैसे खीर, रसगुल्ले, पताशे आदि. बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए मां शैलपुत्री को गाय के घी का भोग लगाएं या गाय के घी से बनी मिठाइयों का भोग लगाना चाहिए.
शुभ योग
नव संवत्सर के राजा मंगल देव और मंत्री शनि देव होंगे. देव गुरु बृहस्पति मेष राशि में चंद्रमा के साथ विराजमान होकर गज केसरी योग का निर्माण कर रहे है. शनिदेव अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान होकर शुभ फल प्रदान करेंगे. शुक्र देव अपनी राशि में बैठकर सुख सुविधाओं में वृद्धि करेंगे. नवरात्रि के मध्य क्रमस: 9, 10,15,16 अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होगा इसके अतिरिक्त 9 अप्रैल को अमृत सिद्धि योग बनने से सभी कार्य सिद्ध एवं शुभ फल प्रदान करेंगे.
माता के आगमन की सवारी
देवी शक्ति का वाहन शेर होता है. देवी जब भी पृथ्वी लोक पर विचरण करती हैं तो अलग अलग वाहन पर सवार होकर आती है, जोकि सप्ताह के दिनों पर निर्भर करता है. नवरात्र का प्रारंभ मंगल वार को होने से देवी दुर्गा घोड़े पर सवार होकर पृथ्वी लोक में विचरण करेंगी. घोड़े पर सवार होकर आने का अर्थ सर्वसिद्धिदायक होता है. शुभ फलों की प्राप्ति होगी वर्षा पर्याप्त मात्रा में होगी. भौतिक सुख सुविधाओं में वृद्धि होगी सभी मनोरथ पूर्ण होंगे.
नवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त
09 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार को कलश स्थापना का समय प्रातः 05 बजकर 52 मिनट से 10 बजकर 04 मिनट तक है. वहीं दूसरा शुभ मुहूर् 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा. कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त में करना सबसे शुभ रहेगा. हालांकि इन दोनों मुहूर्त में घट स्थापना कर सकते हैं.
नवरात्रि पूजा की विधि क्या है ?
स्नानादि करने के उपरांत संपूर्ण घर और पूजा स्थल को स्वच्छ करने के बाद घर में गंगाजल व गोमूत्र से छिड़काव करें. इसके बाद पूजा स्थल पर आसन ग्रहण करें. माता रानी को गंगाजल से स्नान करा लें. फिर लाल वस्त्र और सोलह सिंगार समर्पित करें. स्वच्छ स्थान से मिट्टी लेकर, मिट्टी को चौड़े मुंह वाले बर्तन में रखें और उसमें सप्तधान्य बोएं. अब ऊपर कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग (गर्दन) में कलावा बांधें. इसके बाद आम के नौ पत्तों को कलश के ऊपर रखें. नारियल में कलावा लपेटें. फिर नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पत्तों के मध्य रखें. घटस्थापना पूरी होने के पश्चात् मां दुर्गा का आह्वान करें. घी का दीपक जलाएं कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप नैवेद्य, फल अर्पित करें. दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. घी के दीपक से मां दुर्गा की आरती करें. मां शैलपुत्री को गाय के दूध से बने हुए पकवानों का भोग लगाया जाता है. इसके अतिरिक्त मीठा पान अवश्य चढ़ाएं और गुड़ का भोग भी आप लगा सकते हैं. सायं काल अपने घर के मुख्य द्वार पर नौ दीपक अवश्य जलाएं सभी कष्टों का नाश होगा.
मां शैलपुत्री का प्राथना मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम:।
मां शैलपुत्री का उपासनामंत्र
वन्देवांछितलाभाय चन्दार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
माता शैलपुत्री की आरती