सुधीर सिन्हा, धनबाद : दिन गुरुवार, अपराह्न एक बजे. प्रभात खबर की टीम चांद कुइंया स्थित जमाडा की खंडहर हो चुकी अस्पताल पहुंची. अस्पताल के तीनों तरफ झाड़ी और वीरानी छायी हुई थी. इसके बाहर एक व्यक्ति कुर्सी पर बैठा था. पूछने पर कि क्या यहां कुत्तों का ऑपरेशन होता है. सकपकाते हुए कहा कि आपलोग कौन. जवाब में कहा गया कि प्रभात खबर अखबार से आये हैं. इस पर वह व्यक्ति इधर-उधर फोन लगाने लगा.
दुबारा पूछा गया, तो कहा कि हां यहां कुत्तों का ऑपरेशन होता है. ऑपरेशन के बाद कहां रखा जाता है. क्या खिलाया जाता है. ऑपरेशन थियेटर आदि एक-एक स्पॉट का निरीक्षण किया गया. यहां की सारी व्यवस्था ध्वस्त है. अस्पताल खंडहर हो चुका है. छत से प्लास्टर गिरता रहता है. सबसे बड़ी बात कि तीन माह से यहां ऑपरेशन हो रहा है और अस्पताल में बिजली कनेक्शन तक नहीं है. चोरी की बिजली से अस्पताल चल रहा है.
बिजली कटने के बाद न तो जेनेरेटर की व्यवस्था है और न ही इनवर्टर की. ऑपरेशन थियेटर के नाम पर यहां कुछ भी नहीं है. न तो टेबल है और न ही लाइट की व्यवस्था. हाइजीन से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है. अस्पताल के बरामदा में ऑपरेशन किया जाता है. बता दें कि शहर के लावारिस कुत्तों के बंध्याकरण के लिए द केयर ऑफ एनिमल सोसाइटी के साथ नगर निगम का करार हुआ है. एक कुत्ते के बंध्याकरण पर 1750 रुपये का भुगतान नगर निगम करता है.
दावा
- हर दिन 15 से 20 कुत्तों का किया जाता है ऑपरेशन
- 68 दिनों में 1500 कुत्तों का हो चुका है ऑपरेशन
हकीकत
- एक ऑपरेशन में लगता है 20 मिनट का समय
- ऑपरेशन में पांच से छह घंटे लगना चाहिए
- प्रभात खबर टीम अपराह्न एक बजे पहुंची, तो न तो डॉक्टर मिले और न सहायक
चोरी की बिजली चलता है अस्पताल
जमाडा का यह अस्पताल वर्षों से बंद पड़ा है. मेंटेनेंस नहीं होने के कारण अस्पताल खंडहर हो चुका है. जहां-तहां से प्लास्टर टूट कर गिरता रहता है. न तो सफाई की कोई व्यवस्था है और ना ही पानी की. लिहाजा अस्पताल की तीनों तरफ झांड़ी उग गये हैं. बिजली कनेक्शन नहीं है. द केयर ऑफ एनिमल सोसाइटी चोरी की बिजली से पिछले तीन माह से ऑपरेशन कर रहा है.
ऑपरेशन थियेटर ऐसा कि देखकर रह जायेंगे दंग
कुत्तों के बंध्याकरण के लिए जो ऑपरेशन थियेटर बना है, उसे देखकर दंग रह जायेंगे. धनबाद का पहला ऐसा ऑपरेशन थियेटर है, जहां न तो वैध बिजली की व्यवस्था है और न ही ऑपरेशन टेबल है. अस्पताल के बरामदे में ऑपरेशन होता है.
कुत्तों के लिए खाना बनानेवाला किचन भी कमाल का
कुत्तों के बंध्याकरण के बाद तीन दिनों तक यहां रखा जाता है. तीन दिनों तक कुत्तों को एजेंसी की ओर से खाने की व्यवस्था की जाती है. एजेंसी के मुताबिक कुत्तों के खिलाने के लिए चिकन-चावल, ब्रेड व दूध की व्यवस्था रहती है. जब प्रभात खबर की टीम अस्पताल के किचन पहुंची, तो वहां की स्थिति काफी खराब थी. जैसे-तैसे ऑपरेट कुत्तों को भोजन कराया जाता है.
ऑपरेशन के बाद कुत्तों का काटा जाता है कान
ऑपरेशन के बाद कुत्तों का कान काटा जाता है. तीन दिन के बाद जहां से कुत्तों को ऑपरेशन के लिए उठाया गया था, वहां छोड़ दिया जाता है. बंध्याकरण की पहचान के लिए कुत्तों का कान काटा जाता है.
मेल टेसटीस व फिमेल कुत्ते की निकाली जाती है ओवरी
बंध्याकरण के दौरान मेल कुत्ते का टेसटीस (अंडकोश) व फिमेल कुत्ते का ओवरी(बच्चादानी) निकाला जाता है. मेल कुत्ते के ऑपरेशन में 15 मिलन व फिमेल कुत्ते के ऑपरेशन में 25 मिनट का समय लगता है. ऑपरेशन के तीन दिनों तक कुत्ते को ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है.
पांच कर्मचारी के भरोसे अस्पताल
चांद कुइंया अस्पताल में कुत्तों का ऑपरेशन के लिए डॉक्टर सहित पांच कर्मचारी हैं. डॉग कैचर में अलग से ड्राइवर सहित पांच लोगों को लगाया गया है. हालांकि जब प्रभात खबर की टीम पहुंची, तो यहां मात्र एक कर्मचारी ही थी. न तो डॉक्टर नजर आये और न ही उनके सहायक.
अंडकोश व बच्चेदानी पर भुगतान, उठ रहे सवाल
नगर निगम व द केयर ऑफ एनिमल सोसायटी के बीच करार हुआ है. अंडकोश व बच्चादानी की काउंटिंग के आधार पर एजेंसी को भुगतान होता है. माह के एक तारीख को इसकी काउंटिंग होती है, इसके बाद इसे डिस्पोजल किया जाता है. निगम के तीन सदस्यीय टीम इसकी काउंटिंग करती है. तीन सदस्यीय टीम के एक सदस्य से प्रभात खबर ने पूछा कि जनवरी माह में कितने अंडकोश व बच्चादानी पाया गया था. उनका कहना था कि काउंटिंग में 145 काउंटिंग था. जब 145 काउंटिंग में मिला, तो तीन माह में कैसे 1500 कुत्तों का ऑपरेशन हो गया. यह जांच का विषय है.
नगर निगम अब तक लगभग 11 लाख रुपये कर चुका है भुगतान
नगर निगम अब तक लगभग 11 लाख रुपये का भुगतान कर चुका है. कुछ और बिल अंडर प्रोसेस है. पिछली एजेंसी में भी कुछ गड़बड़ी पायी गयी थी. इस कारण उसे टर्मिनेट किया गया था.
ऑपरेशन थियेटर कैसा होना चाहिए
चिकित्सा परिषद अधिनियम के अनुसार ऑपरेशन थियेटर हाइजेनिक होना चाहिए. ऑपरेशन टेबल, प्रोपर लाइटिंग की व्यवस्था, कमरा का तापमान अनुकूल होना चाहिए. सीजर, कैची, विक्रिल आदि सीजरिंग उपकरण होना चाहिए. चांद कुइंया अस्पताल में इस तरह की व्यवस्था नहीं है.
नॉर्म्स के अनुसार ही कुत्तों का ऑपरेशन होना चाहिए. व्यवस्था अनुकूल नहीं है, तो शुक्रवार को खुद चांद कुइंया अस्पताल जाकर निरीक्षण करूंगी. एग्रीमेंट के नॉर्म्स का पालन नहीं हो रहा है, तो एजेंसी पर विधि सम्मत कार्रवाई भी की जायेगी.
संतोषनी मुर्मू, सहायक नगर आयुक्त