गांधीनगर, अंजनी कुमार सिंह. भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाये गये हैं. इस कड़ी में आयुष मंत्रालय का गठन किया गया और पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को लेकर शोध को बढ़ावा दिया गया. सरकार की कोशिशों के कारण पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को लेकर वैश्विक स्तर पर एक नयी सोच विकसित हुई है और लोगों का इसके प्रति आकर्षण बढ़ रहा है. इन प्रयासों का नतीजा है कि दुनिया का पहला पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. गांधी नगर में 17-18 अगस्त को होने वाले सम्मेलन का आयोजन आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन मिलकर कर रहा है. सम्मेलन का उद्घाटन विश्व स्वास्थ्य संगठन के महासचिव डॉक्टर ट्रेडोस एधनोम घेब्येययस करेंगे.
सम्मेलन में दुनिया के 90 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल होंगे, जिसमें स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े लोग और देश दुनिया की सिविल सोसाइटी के सदस्य हैं और वे पारंपरिक चिकित्सा के विभिन्न पहलू पर विस्तार से चर्चा करेंगे. दो दिवसीय वैश्विक शिखर सम्मेलन की जानकारी देते हुए आयुष सचिव राजेश कोटेचा ने कहा कि सरकार ‘आयुष वीजा’ जारी करेगी. यह वीजा’ हमारी वसुंधैव कुटुंबकम की नीति का हिस्सा है और इसके जरिये दुनिया के लोग भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति का लाभ उठाने के लिए भारत आ सकेंगे.
उन्हें इलाज के साथ ही योग-ध्यान और जड़ी बूटी से इलाज जैसी देसी चिकित्सा पद्धति सीखने का मौका भी उपलब्ध कराया जायेगा. उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा जिसमें देश के अलग अलग इलाकों में प्रचलित पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को दर्शाया जायेगा. साथ ही योग और ध्यान के विशेष सत्र का भी आयोजन किया जायेगा और पौराणिक ‘कल्पवृक्ष’ के संदेश को भी प्रमुख स्थान दिया जायेगा. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव लव अग्रवाल ने पारंपरिक चिकित्सा के फायदों का जिक्र करते हुए कहा कि पारंपरिक चिकित्सा सस्ती होने के साथ ही लोगों को आसानी से उपलब्ध हो जाती है. पारंपरिक चिकित्सा ने कोरोना महामारी के कारण चरमरा गयी वैश्विक स्वास्थ्य सेवा को फिर से पटरी पर लाने में अहम भूमिका निभा सकता है.
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‘पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रगतिशील और सकारात्मक सोच का नतीजा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से पारंपरिक चिकित्सा का महत्व समझाया था. गांधीनगर में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री व्यस्त कार्यक्रम के कारण शिरकत नहीं करेंगे लेकिन सम्मानित श्रोताओं और अतिथियों को वीडियो मैसेज जारी कर संदेश देंगे. गौरतलब है कि पिछले साल गुजरात के जामनगर में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के शिलान्यास के बाद अब देश में पारंपरिक चिकित्सा पर पहला वैश्विक शिखर सम्मेलन का आयोजन होना एक बड़ी उपलब्धि है.