Kumari Shailaja: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे कल यानी की 8 अक्टूबर को घोषित होंगे. नतीजों से पहले आए सभी एजेंसियों के एग्जिट पोल में हरियाणा में कांग्रेस की जीत का दावा किया गया है. राजनीतिक विश्लेषकों का भी अनुमान यही है कि यहां 10 साल बाद भाजपा सत्ता से दूर रहेगी. कांग्रेस अकेले दम पर सरकार बनाने जा रही है. एग्जिट पोल की भविष्यवाणी के बाद हरियाणा में सीएम फेस को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है. वोटों की गिनती से पहले हरियाणा सीएम फेस को लेकर कई नेताओं की दावेदारी दिख रही हैं. जिसमें पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हु्ड्डा, उनके पुत्र और सांसद दीपेंद्र हुड्डा, रणदीप सिंह सूरजेवाला और कुमारी शैलजा के नाम की चर्चा है. लेकिन इन सभी नेताओं में फिलहाल कुमारी शैलजा का नाम सबसे आगे चल रहा हैं. कई राजनीतिक विश्लेषक हरियाणा सीएम रेस में कुमारी शैलजा की दावेदारी प्रबल बता रहे हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं वो 6 प्रमुख कारण, जिसके चलते हरियाणा की अगली सीएम के रूप में कुमारी शैलजा का नाम सबसे आगे चल रहा है.
कुमारी शैलजा का दलित होना
कुमारी शैलजा दलित समाज से आती हैं. हरियाणा कांग्रेस में इस समाज का अहम रोल है. कहा जा रहा है कि इस बार के मतदान में भी दलित समाज ने कांग्रेस को वोट दिया है. हरियाणा में दलित वोट कांग्रेस के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसे इसी से समझ सकत हैं कि कांग्रेस ने पिछले दो दशक से वहां अपना अध्यक्ष पद दलित को ही सौंप रही है. इसमें फूलचंद मुलाना, अशोक तंवर, कुमारी शैलजा और अभी के प्रदेश अध्यक्ष उदय भान का नाम आता है.
कुमारी शैलजा का महिला होना
कुमारी शैलजा महिला हैं. उनकी गिनती खुद के दम पर राजनीति में एक लंबी लकीर खिंचने वाली नेता के रूप में होती है. कुमारी शैलजा गांधी परिवार की करीबी है. राहुल-प्रियंका के साथ-साथ उनकी सोनिया गांधी से भी अच्छी बनती है. माना जाता है कि इस बार हरियाणा में कांग्रेस में महिलाओं का वोट खूब मिला है. ऐसे में पार्टी महिला नेता को सीएम का सर्वोच्च पद देकर बड़ा संदेश दे सकती है.
कुमारी शैलजा की साफ-सुधरी छवि
पांच बार की सांसद कुमारी शैलजा की छवि साफ-सुधरी है. अभी तक उनपर भ्रष्टाचार या फिर अन्य बड़े विवाद का दाग नहीं लगा है. दूसरी ओर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा पर कई घोटालों के आरोप लग चुके हैं. ऐसे में बदलाव के दौर से गुजर रही कांग्रेस कुमारी शैलजा को आगे बढ़ा सकती है.
विवादों से कोई नाता नहीं
कुमारी शैलजा का विवादों का कोई नाता नहीं है. इस बार भले ही चुनाव से ठीक पहले उनकी नाराजगी की चर्चाएं चली थी. लेकिन ये महज चर्चा ही थी. शैलजा चुनाव प्रचार में भी सक्रिय रही. साथ ही दलित और महिला वोटरों को एकजुट कर कांग्रेस में पाले में लाने की कवायद करती रही.
विकास प्रेरित राजनीति
इस साल हुए चुनाव में कई जगहों से विकास, रोजगार, महंगाई जैसे बुनियादी मुद्दे वोटरों के मन में थे. माना जाता है कि वोटिंग भी इन सब मुद्दों पर ही हुई. भाजपा का ब्रांड मोदी अब कमजोर पड़ चुका है. ऐसे में कांग्रेस धीरे-धीरे वापसी कर रही है. हरियाणा में भी ऐसा ही कुछ हुआ है. अब बात सीएम फेस की है तो यहां बनने वाले नए सीएम की सोच, समझ, अनुभव के साथ-साथ उनकी विकास प्रेरित छवि को ध्यान में रखा जाएगा. इन सब चीजों में कुमारी शैलजा आगे निकलती नजर आ रही है.
शैलजा का जनाधार बड़ा
कुमारी शैलजा भले ही सिरसा की लोकसभा सांसद हैं. इससे पहले वो दो बार राज्यसभा की भी सदस्य रही हैं. लेकिन इसके बाद भी पूरे हरियाणा में उनका प्रभाव अच्छा है. खास कर दलित और महिलाओं पर कुमारी शैलजा की पकड़ मजबूत है. कुमारी शैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह ने राजनीति में जो कुछ हासिल किया था, उसे उनकी बेटी अब और आगे बढ़ा रही है. ऐसे में शैलजा के नाम की चर्चा सीएम फेस पर ज्यादा हो रही है. हालांकि रिजल्ट के बाद सीएम कौन होगा, इसकी घोषणा कांग्रेस हाईकमान ही करेगी.