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40 Years of Prabhat Khabar: मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों ने कहा- सशक्त आवाज है प्रभात खबर

40 Years of Prabhat Khabar: प्रभात खबर 40 साल का होने जा रहा है. इस अवसर पर मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों ने कहा कि प्रभात खबर हमारी सशक्त आवाज है.

40 Years of Prabhat Khabar: अखबार नहीं आंदोलन इस बात को प्रभात खबर पिछले 40 वर्षों से चरितार्थ करता आ रहा है. समाज के सभी वर्गों की आवाज को अखबार हमेशा बुलंद करता रहा है. साथ ही सामाजिक सौहार्द के लिए हमेशा प्रयासरत रहा है. यह कहना है मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवियों का.

उनका कहना है संकट की हर घड़ी में अखबार उनकी आवाज को सरकार और प्रशासन के सामने मजबूती के साथ उठाता रहा है. साथ ही कौम के लिए समय-समय पर आईना का काम करता है. इससे न केवल समाज प्रभावित हाेता है, बल्कि लोग भी प्रोत्साहित होते हैं. मुस्लिम बहुल इलाके में प्रभात खबर सबसे ज्यादा पढ़े जानेवाला अखबार है. अखबार की दूरदृष्टिता समाज के उत्थान में सहयोगात्मक भूमिका अदा कर रही है.

अमेरिका जाने पर भी इंटरनेट पर प्रभात खबर जरूर पढ़ता हूं : प्रो शाहिद

रांची विवि मनोविज्ञान विभाग के पूर्व एचओडी प्रो (डॉ) शाहिद हसन का कहना है कि प्रभात खबर हमेशा से सर्वधर्म समभाव के सिद्धांत पर कायम रहा है. मैं पिछले 40 वर्षों से प्रभात खबर का नियमित पाठक रहा हूं. जब अमेरिका भी गया, तो इंटरनेट पर प्रभात खबर जरूर पढ़ता हूं. प्रभात खबर पूरे झारखंडी समाज को एक सूत्र में बांधने की जोरदार कोशिश करता रहा है. प्रभात खबर विशेष रूप से रमजान के महीने में पूरे 30 दिन इस्लाम धर्म के अलग-अलग मूल्यों व धर्मनिरपेक्ष अवधारणाओं को प्रकाशित करता रहा है. ईद-बकरीद, मुहर्रम और ईद-उल-मिलादुन्नबी में भी अच्छा कवरेज मिलता है.

समाज के आयोजनों को प्रमुखता से मिलती है जगह : डॉ रिजवान अली

रांची विवि उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मो रिजवान अली ने कहा कि 40 वर्षों में रांची से प्रकाशित हो रहा प्रभात खबर बिल्कुल अलग है. प्रभात खबर मुस्लिम समाज, संस्कृति, राजनीति, शिक्षा, स्वास्थ्य और धार्मिक आयोजनों को प्राथमिकता के साथ प्रकाशित करता रहा है. मुस्लिम कला, संस्कृति, समाज, धार्मिक विश्वास और उर्दू भाषा से संबंधित इसका विशिष्ट लेख सराहनीय है. इसकी तुलना अन्य किसी भी अखबार से नहीं की जा सकती है. प्रभात खबर मुस्लिम समाज से जुड़ी समस्याओं को लेकर हमेशा से गंभीर रहा है.

मुस्लिम समाज के बीच प्रभात खबर काफी लोकप्रिय : इबरार अहमद

साझा मंच झारखंड के इबरार अहमद ने कहा कि मुस्लिम समाज में प्रभात खबर बेहद लोकप्रिय रहा है. मुस्लिम समाज की समस्याओं और मुद्दे पर बेबाकी से अखबार में लिखा गया. खास कर रमजान के मौके पर इसका कवरेज लाजवाब है. कई वर्षों तक उर्दू-हिंदी में रमजान पर विशेष अंक निकाला गया. समाज के ज्वलंत मुद्दे को लेकर प्रभात खबर हमेशा गंभीर रहा है. उर्दू अखबारों की दुनिया का कॉलम भी लंबे अरसे तक प्रकाशित होता रहा है. हालांकि अब भी समाज में हो रहे सकारात्मक बदलाव और बेहतर ढंग से काम कर करनेवाली संस्थाओं को और भी जगह देने की जरूरत है.

भावना का ख्याल रखता है यह अखबार : मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी

एदारा-ए-शरिया, झारखंड के महासचिव मौलाना कुतुबुद्दीन रिजवी कहते हैं : मुस्लिम अल्पसंख्यकों के बीच प्रभात खबर अत्यंत लोकप्रिय है. इसकी खबरें, लेख, सामाजिक विचार पर मुस्लिम समाज का काफी भरोसा है. मुसलमानों की बुनियादी समस्याओं को प्रमुखता के साथ प्रकाशित करता रहा है. रमजान महीने में प्रभात खबर में प्रकाशित रचनाएं बेहद पसंद की जाती हैं. त्योहारों के अवसर पर रांची सहित झारखंड के विभिन्न जिलों में स्थानीय पन्नों पर बढ़िया कवरेज मिलता रहा है. प्रभात खबर मुस्लिम समाज की भावना का ख्याल रखता है. 40 वर्ष पूरे होने पर प्रभात खबर परिवार को मुबारकबाद.

संस्कृति को बढ़ावा देने में प्रभात खबर का अहम योगदान : डॉ अब्बास

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि के डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ एसएम अब्बास ने कहा कि 40 वर्षों के सफर में प्रभात खबर झारखंड की मिट्टी में रच-बस गया है. इसकी संस्कृति से गहरा जुड़ाव है. मुस्लिम समाज की संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने में इसकी भूमिका सराहनीय रही है. पर्व-त्योहारों पर विशेष कवरेज इसकी बानगी है. रमजान के महीने में पिछले 25-30 वर्षों से विशेष आलेख प्रकाशित होते आ रहे हैं, जिसका इंतजार मुस्लिम समाज के पाठकों को रहता है. इसमें इस्लाम धर्म के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी मिलती है. प्रभात खबर को पढ़े बिना दिन अधूरा लगता है.

प्रभात खबर के कारण हल हुए कई नीतिगत मामले : एस अली

सामाजिक कार्यकर्ता व अल्पसंख्यक मामलों के जानकार एस अली ने कहा कि प्रभात खबर शुरुआती दिनों से मुस्लिम समाज की प्राथमिकता और प्रमुखता के आधार पर उनकी आवाज बना है. कई नीतिगत मामले अखबार के कारण हल भी हुए हैं. चाहे मदरसों का मामला हो, उर्दू शिक्षकों की बहाली का मुद्दा हो या अल्पसंख्यकों विद्यालयों में शिक्षकों की बहाली, प्रोन्नति, वेतन और पेंशन का मामला रहा हो. साथ ही मुसलमानों के कई अहम व बड़े मसलों को गंभीरता से उठाया. स्वच्छ वातावरण, साफ-सफाई के मुद्दे पर मुस्लिम इलाकों में घूम कर उनकी समस्याओं को उठाया जाता रहा है.

शिक्षा और रोजगार से जुड़ी सामग्री काफी अच्छी : रुकैया परवीन

छात्रा रूकैया परवीन ने कहा कि प्रभात खबर युवा पाठकों के बीच काफी लोकप्रिय है. शिक्षा और रोजगार के लिए इसकी सामग्री काफी अच्छी रहती है. प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में यह काफी सहायक सिद्ध होता है. विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि अर्जित करनेवाले युवाओं की स्टोरी प्रेरणा देती है. मुस्लिम समाज में शैक्षणिक स्तर पर होनेवाले परिवर्तनों पर भी अखबार का कवरेज बेहतर रहा है. शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे अहम मुद्दे पर भी अखबार की भूमिका हमेशा सकारात्मक रही है. इसी कारण प्रभात खबर की लोकप्रियता इतनी अधिक है.

प्रभात खबर ने झारखंड के नौ रत्नों में दी मुझे जगह : इमरान जाहिद

अभिनेता इमरान जाहिद ने कहा कि प्रभात खबर की लेखन शैली का शुरुआत से ही मुरीद रहा हूं. 10 वर्ष पूर्व प्रभात खबर जब अपनी यात्रा का 30 वर्ष पूरा कर रहा था, उसी समय मैं अभिनय की दुनिया में दाखिल ही हुआ था. जेएनयू के एक लीडर हुआ करते थे चंद्रप्रकाश प्रसाद चंदू उनपर फिल्म बनी थी और मैं उसका हिस्सा था. तब अखबार ने मेरे हुनर को सराहते हुए राज्य के नौ रत्नों में जगह दी थी. अगले दिन खबर लोगों के बीच पहुंची. इसके बाद मेरे प्रति लोगों का नजरिया बदल गया.

लोगों की आवाज को प्रखरता से सामने लाते रहा है : इमरान अली

मैथ्स टीचर सह न्यूटन ट्यूटोरियल प्रालि के निदेशक इमरान अली कहते हैं : प्रभात खबर पहली पसंद है. इसके कई कारण हैं. चाहे वह न्यूज सेलेक्शन हो या फिर खबर को पढ़ाने की शैली. प्रभात खबर समाज के लोगों की आवाज को प्रखरता से सामने लाते रहा है. मेरी शैक्षणिक योग्यता के कारण अखबार ने मुझे एक्सपर्ट की जगह दी. इससे समाज के बीच सकारात्मक संदेश गया. प्रतिष्ठा बढ़ी. प्रभात खबर समाज के हर तबके की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करता है.

आलेखों की विश्वसनीयता बरकरार : नसीम

अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद 1988 से प्रभात खबर के पाठक हैं. वे कहते हैं कि हर रोज सुबह 4:30 बजे जग जाता हूं. नमाज पढ़ने के बाद सबसे पहला काम अखबार पढ़ना ही होता है. कई अखबार आये, लेकिन प्रभात खबर की साख आज भी बरकरार है. इसका कारण है कि करेंट अफेयर, शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति और सामाजिक मुद्दे पर प्रकाशित होनेवाली अच्छी खबरें. रोचकता के साथ-साथ आलेखों की विश्वसनीयता बरकरार है. यदि मुस्लिम समाज की खबरों को और ज्यादा प्रकाशित करे, तो समाज में बदलाव आयेगा. जागरूकता बढ़ेगी.

व्यापक दृष्टिकोण देता है अखबार : डॉ परवेज

रांची विवि मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ परवेज हसन कहते हैं : प्रभात खबर 40 वर्षों से प्रकाशित हो रहा है. शुरुआत से ही इसका पाठक हूं. अखबार में न केवल राजकीय खबरें होती हैं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचारों को जगह मिलती है. कोरोना काल में पाठकों की संख्या घटी, पर पत्रकारिता, निष्ठा और निष्पक्षता के कारण ही दोबारा पाठक जुड़े. इसका बड़ा कारण है कि अखबार में राजनीति, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, खेल, मनोरंजन और सामाजिक मुद्दों पर विस्तृत रिपोर्टिंग मिलती है.

भ्रामक खबरों से दूर रखने में अहम भूमिका : आरिफ हुसैन

एक्सआइएसएस के इंटरप्रेन्योर डेवलपमेंट प्रोग्राम के आरिफ हुसैन ने कहा कि मुस्लिम समाज में आज भी साक्षरता दर कम है. ऐसे में लोग सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास कर लेते हैं. लेकिन प्रभात खबर ऐसे वर्ग के बीच विश्वसनीय खबर पहुंचाता है. इससे समाज में सकारात्मकता बनी हुई है. लोग सही जानकारी के बाद जागरूक होते हैं. अखबार ने बस्तियों में होनेवाले अच्छे कार्यों को जगह दी है. अखबार की इस पहल से लोगों को खुद को जिम्मेदार नागरिक बनाने में मदद मिलती है.

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जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा प्रभात खबर : आसिफ इकबाल

झारखंड स्टार्टअप यात्रा से जुड़े माई ढोला के संस्थापक आसिफ इकबाल ने कहा कि प्रभात खबर उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा. लोग उन्हें स्मॉल स्केल बिजनेस या फिर हाथ के हुनर को अपनी ढाल बनाने की सलाह देते थे, लेकिन आसिफ ने स्टार्टअप चुना. स्टार्टअप जर्नी की खबर प्रकाशित होने के बाद लोगों ने उत्साह के साथ हाथ मिलाया. समाज में आज भी यह नजरिया है कि किसी व्यक्ति को अखबार ने जगह दी है, तो भरोसेमंद होगा. इस कारण मेरे स्टार्टअप को सहयोग मिलता गया. प्रभात खबर की बदौलत ही मुझे समाज में प्रतिष्ठा मिली है. इसके लिए मैं आभारी हूं.

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