Jharkhand Crime News, रांची न्यूज (राणा प्रताप) : रांची में अधिवक्ता मनोज झा की हत्या के बाद झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन के जूनियर अधिवक्ता दीपांकर राय के साथ मारपीट हुई है. पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. आपको बता दें कि पूरे राज्य के अधिवक्ता आज न्यायिक कार्य से अलग रहे.
बताया जाता है कि कल गुरुवार रात लगभग 9:10 बजे अधिवक्ता दीपांकर राय महाधिवक्ता के आवासीय चेंबर से घर जा रहे थे. नामकुम अमेठिया नगर के पास उनके साथ मारपीट की गई. इस घटना में दो लोग राकेश सिंह एवं गुल्लु सिंह को हिरासत में लिया गया है. बताया जाता है कि लोग जमीन दलाली का काम करते हैं. महाधिवक्ता राजीव रंजन ने घटना की पुष्टि की है. महाधिवक्ता राजीव रंजन के जूनियर अधिवक्ता दीपंकर रॉय के साथ जमीन दलालों ने मारपीट की है.
रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ता मनोज झा (Advocate Murder In Ranchi) की तमाड़ के रड़गांव में आठ गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. झारखंड हाइकोर्ट व झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. बार काउंसिल के आह्वान पर राज्यभर के लगभग 33000 अधिवक्ता आंदोलित हैं. अदालती कार्यों से अलग हैं. अधिवक्ताओं ने ऑनलाइन सुनवाई से भी अपने को अलग रखा. इस कारण आज झारखंड हाइकोर्ट में सूचीबद्ध लगभग 1000 से अधिक मामलों की सुनवाई प्रभावित हुई.
राज्य की अधीनस्थ निचली अदालतों में भी ऑनलाइन सुनवाई नहीं हो पायी. अधिवक्ता मनोज झा की हत्या का विरोध कर रहे हैं. वहीं राज्य में एडवोकेट्स प्रोटेक्शन एक्ट अविलंब लागू करने की मांग की जा रही है. कहा गया कि फिलहाल विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है. वैसी स्थिति में राज्य सरकार अध्यादेश जारी करे. यदि अध्यादेश जारी नहीं किया जायेगा, तो बार काउंसिल आगे की रणनीति तैयार करेगा.
इस संबंध में झारखंड स्टेट बार काउंसिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ल ने बताया कि पिछले वर्ष राज्यपाल को भी 12 सूत्री ज्ञापन सौंपा गया था. 12 जून को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) ने एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट के प्रारूप को तैयार करने के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया था. उक्त समिति ने एक्ट का प्रारूप तैयार कर बीसीआइ को सौंप दिया है. बीसीआइ ने संसद से पास कराने के पूर्व एक्ट के प्रारूप पर सभी राज्य बार काउंसिल व अधिवक्ता संघों से भी सुझाव मांगा है.
काउंसिल के उपाध्यक्ष श्री शुक्ल ने बताया कि बीसीआइ द्वारा तैयार एक्ट के प्रारूप में 16 धाराएं रखी गयी हैं. इसमें अधिवक्ताओं की सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा गया है. प्रस्तावित बिल में अधिवक्ता व उनके परिवार के सदस्यों को किसी प्रकार की क्षति और चोट पहुंचाने की धमकी देना, किसी सूचना को जबरन उजागर करने का दबाव देना, वकीलों को किसी पैरवी करने से रोकना, वकील की संपत्ति को क्षति पहुंचाना, किसी वकील के खिलाफ अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करना जैसे कार्यों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
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Posted By : Guru Swarup Mishra