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हाल-ए-झारखंड पशुपालन विभाग : बोकारो में 14 चिकित्सकों के भरोसे 23 लाख 80 हजार 670 पशु-पक्षी

प्रभात खबर की टीम ने धनबाद, बोकारो और गिरिडीह जिले के पशु चिकित्सा केंद्रों का दौरा किया. इस दौरान कई जगहों पर पशु अस्पताल खुले तो मिले, लेकिन वहां डॉक्टर मौजूद नहीं थे. अस्पताल कर्मचारियों के भरोसे थे. इसी कड़ी में पढ़ें बोकारो जिला के सात प्रखंडों के पशु चिकित्सा केंद्रों की ग्राउंड रिपोर्ट...

प्रभात खबर की टीम ने धनबाद, बोकारो और गिरिडीह जिले के पशु चिकित्सा केंद्रों का दौरा किया. इस दौरान कई जगहों पर पशु अस्पताल खुले तो मिले, लेकिन वहां डॉक्टर मौजूद नहीं थे. अस्पताल कर्मचारियों के भरोसे थे. कुछ जगह गंदगी पसरी मिली. ग्रामीणों से जानकारी लेने पर पता चला कि पशुपालक गाय, बैल, बकरी, भैंस, कुत्ता के बीमार होने पर अस्पताल की दौड़ लगाते हैं, लेकिन वहां जल्दी डॉक्टर नहीं मिलते. ऐसे कई अस्पताल हैं, जहां न डॉक्टर हैं, न कर्मचारी. बोकारो जिला के सात प्रखंडों के पशु चिकित्सा केंद्रों का प्रभात खबर के सात रिपोर्टरों ने जायजा लिया. पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट…

बोकारो में सालों से है चिकित्सकों और कर्मियों की कमी

बोकारो जिला पशुपालन विभाग पशु चिकित्सकों व कर्मचारियों की कमी पिछले कई सालों से झेल रहा है. फिलहाल 14 चिकित्सक के भरोसे जिला के 23 लाख 80 हजार 670 पशु-पक्षी (बछड़ा, भैंस, भेड़, बकरी, सुकर, बत्तक व पक्षी के सभी प्रकार) हैं. जिला में भ्रमणशील पशु चिकित्सक के 18 स्वीकृत पदों के एवज में 11 चिकित्सक ही हैं. बेरमो, चंदनकियारी, चंद्रपुरा, नावाडीह में पशु चिकित्सक नहीं है.

पशुपालन पदाधिकारी को लेकर उदासीनता

प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी के नौ पद स्वीकृत हैं, जबकि तीन (गोमिया, चास, जरीडीह) चिकित्सक ही कार्यरत हैं. कसमार में पदस्थापित महिला चिकित्सक की प्रतिनियुक्ति कोडरमा में है. अनुमंडल पशुपालन पदाधिकारी के दो स्वीकृत पदों (चास व तेनुघाट) में दोनों कार्यरत हैं. कर्मचारी के 41 स्वीकृत पदों में सिर्फ 29 से ही विभाग का काम चल रहा है. जिला में फिलहाल लंपी का प्रकोप नहीं है.

निजी चिकित्सक से कराते हैं पशुओं का इलाज

चास प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित प्रखंड भ्रमणशील पशु चिकित्सालय ग्रामीण क्षेत्रों से काफी दूर है. इस कारण ग्रामीण क्षेत्र के पशुपालक अपने पशुओं का इलाज कराने नहीं आ पाते. अस्पताल की अव्यवस्था के कारण शहरी क्षेत्र के पशुपालक निजी चिकित्सक से अपने पशुओं का इलाज कराते हैं. फिलहाल यहां चिकित्सक नियमित नहीं आते. बताते चलें कि चले कि चास शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में करीबन तीन लाख से अधिक पशु हैं और अस्पताल में अभी तक सभी प्रकार की दवाएं उपलब्ध नहीं हैं. फिलहाल यहां विटामिन व विभिन्न प्रकार के टीका ही सिर्फ उपलब्ध हैं. चंपी बीमारी के इलाज की व्यवस्था नहीं है. अस्पताल कर्मियों ने बताया कि यहां के चिकित्सक घूम-घूम कर ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं का इलाज करते हैं. उपलब्ध दवाएं पशुपालकों के बीच नियमित वितरित की जाती हैं.

पेटरवार के पशु अस्पताल में ताला लटका

पेटरवार प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर स्थित पशुपालन कार्यालय एवं अस्पताल स्थित है. शुक्रवार को पशु अस्पताल में ताला लटका मिला. न कोई पशुचिकित्सक और न ही चिकित्साकर्मी हैं, जबकि यह प्रखंड पशुपालन की दृष्टि से बड़ा क्षेत्र है. इस अस्पताल में मात्र एक भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी और एक रात्रि प्रहरी कार्यरत हैं. शेष पद रिक्त हैं. यहां के पशु चिकित्सा पदाधिकारी को पेटरवार प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी का प्रभार एवं कसमार में भी इनकी ड्यूटी चिकित्सा पदाधिकारी के रूप में रहती है. अस्पताल भवन की मरम्मति की आवश्यकता है. पानी की सुविधा नहीं है.

चिकित्सा उपकरणों की जरूरत

अस्पताल में कैल्सियम, विटामिन, कृमि नाशक, एंटी बायोटिक आदि सहित एचएस, गलघोंटू, ब्लैक क्वाटर की वैक्सीन उपलब्ध है. हाल के दिनों में बड़ा ऑपरेशन नहीं हुआ है. चिकित्सा उपकरणों की जरूरत है. पशुओं के इलाज का रिकॉर्ड संधारित किया जाता है. क्षेत्र में सर्वाधिक इलाज बकरी एवं गायों की होती है. अभी पैरासाइटिस का प्रकोप चल रहा है. लंपी वायरस के प्रकोप को ले कर क्षेत्र में जागरूकता की आवश्यकता है. इसके लिए वैक्सीन उपलब्ध है. पदस्थापित पशु चिकित्सक डॉ कुमार अनंत सागर ने फोन पर बताया कि ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम में रहने के कारण मजबूरी में अस्पताल बंद कर आना पड़ा.

चंदनकियारी में बंद मिला पशु चिकित्सालय

चंदनकियारी प्रखंड की सिलफोर पंचायत में ‘सरकार आपके द्वार’ के आयोजन के कारण शुक्रवार को चंदनकियारी पशु चिकित्सालय बंद मिला. प्रखंड के तीन पशु चिकित्सालय चंदनकियारी, बरमसिया और भोजूडीह में मात्र दो चिकित्सक ही पदस्थापित हैं. डॉ आभा कुमारी कुमारी को प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी का अतिरिक्त प्रभार प्राप्त है. अन्य चिकित्सक डॉ लक्ष्मी कुमारी भोजूडीह में पदस्थापित हैं.

चंदनकियारी बरमसिया चिकित्सालय जर्जर

चिकित्सालय में उपकरण उपलब्ध हैं. अधिकांश पशुपालक गाय, बकरी व मुर्गी की कीड़ा, गला घोंटू व खूर चपका की शिकायत लेकर आते हैं. आवारा पशुओं का इलाज के बाद उनका रख-रखाव नहीं हो पाता. बरमसिया चिकित्सालय जर्जर है. प्रखंड मुख्यालय स्थित चिकित्सालय में भवन है, पर चिकित्सक नहीं हैं. फिलहाल देश भर में फैल रहे लंपी वायरस के मद्देनजर जागरूकता कैंप लगाकर पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है. हालांकि वायरस की अब तक कोई वैक्सीन नहीं है. पशुपालकों को वायरस का लक्षण दिखने पर चिकित्सक के साथ संपर्क करने की सलाह दी जा रही है.

अतिरिक्त प्रभार के भरोसे है कसमार का मॉडल पशु चिकित्सालय

मॉडल चिकित्सालय का दर्जा प्राप्त कसमार प्रखंड का पशु चिकित्सालय गत तीन महीनों से अतिरिक्त प्रभार में चल रहा है. इसके एकमात्र चिकित्सक डॉ मनोहर निचित का तबादला 29 जुलाई को गढ़वा कर दिया गया है. उनके स्थान पर पेटरवार पशु चिकित्सालय के डॉ अनंत सागर एवं जरीडीह पशु चिकित्सालय की डॉ ललिता कुमारी को कसमार का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.

शिविर में चिकित्सक तैनात

प्रतिनियुक्त चिकित्सकों में डॉ अनंत को बतौर बीएचओ ब्लॉक एवं डॉ ललिता को मॉडल अस्पताल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. इस चिकित्सालय में मात्र एक चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी (पति महतो) हैं. प्रतिदिन दर्जनों लोग पशुओं को दिखाने आते हैं, पर ग्रामीणों को इन दिनों समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. शुक्रवार को चिकित्सालय में एक भी चिकित्सक नहीं थे. बताया गया कि वे ‘सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम में तैनात हैं. केंद्र आये लोगों को बैरंग लौट जाना पड़ा.

दवाओं के नियमित आपूर्ति नहीं

देश भर में फैले लंपी वायरस को लेकर वैक्सीन उपलब्ध कराई गई है. इस अस्पताल में जरूरी उपकरण उपलब्ध हैं. इसके अलावा बिजली, पानी (बोरवेल) की सुविधा भी है. हर महीना कई मवेशियों का कृत्रिम गर्भाधान भी होता है. दवा की आपूर्ति हर माह नहीं होती. एक जनवरी 2022 को दवा की एक खेप मिलने के बाद मई में थोड़ी-बहुत दवा मिली.

चिकित्सकों की नियमित सेवा नहीं, पशुपालक हो रहे परेशान

जरीडीह प्रखंड में पशुपालकों के लिए दो पशु चिकित्सालय हैं. प्रखंड में तीन चिकित्सक समेत तीन कर्मी सेवारत हैं. यहां प्रखंड स्थित केंद्र में एक डॉक्टर, बहादुरपुर अस्पताल में एक डॉक्टर व एक कर्मचारी तथा जरीडीह प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय में एक डॉक्टर दो कर्मचारी मौजूद हैं. प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय जैनामोड़ में डॉ स्मृति सिंह पदस्थापित हैं. शुक्रवार को वह अस्पताल में मौजूद नहीं थीं. इस दौरान अस्पताल में मौजूद कर्मचारी ने कहा कि चिकित्सक दो दिनों की छुट्टी में हैं. कर्मचारी ने बताया कि अस्पताल में दवा उपलब्ध हैं.

33 हजार मवेशियों के लिए दो भाइल

जानकारी के अनुसार लगभग सभी पंचायतों में लंपी वायरस का मामला है. हर गांव में 10-15 जानवर लंपी वायरस से ग्रस्त हैं. इससे गांव के पशुपालकों के लिए गंभीर समस्या आ गई है. इधर, डॉ स्मृति सिंह ने कहा कि जिला से अस्पताल को लंपी वायरस के लिए दो भाईल दवा उपलब्ध कराई गई है. एक भाईल में लगभग 33 जानवर को ही वैक्सीनेट किया जा सकता है. पूरे प्रखंड में 33 हजार मवेशी हैं. फलत: वायरस से पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

एक पशु चिकित्सक के भरोसे पिंड्राजोरा चिकित्सालय

पिंड्राजोरा पशु चिकित्सालय एक डॉक्टर तथा एक रात्रि प्रहरी के भरोसे है. डॉ अनिल कुमार भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी यहां पदस्थापित हैं. सुरेंद्र कुमार मुंडा रात्रि प्रहरी हैं. पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार ने बताया कि मिनरल मिक्सचर, कृमि नाशक, दूध की कमी, चर्म रोग, डायरिया, तनाव अफरा, सर्राक आदि की दवा उपलब्ध है. अंतिम बार दवा की खेप 18 अगस्त 2022 को आयी थी. चिकित्सा उपकरण उपलब्ध हैं.

बड़े ऑपरेशन की सुविधा नहीं

पशुओं में आम बीमारी कृमि रोग, पतला दस्त, तनाव, दूध की कमी है. हाल के दिनों में कोई बड़ा ऑपरेशन नहीं हुआ है, ना ही यहां इसकी सुविधा है. पशु चिकित्सा संबंधी रिकॉर्ड संधारित है. पशु चिकित्सालय पिंड्राजोरा द्वारा कुल चिकित्सा एवं बधियाकरण 1824 तथा पशु चिकित्सा शिविर में पशु पक्षियों 7200 की स्वास्थ्य जांच इस वर्ष की गयी है. यहां अधिकांश इलाज पक्षी एवं बकरी का इलाज किया जाता है. आवारा पशुओं का इलाज सूचना मिलने पर किया जाता है. पशु अस्पताल के पास अपना कैंपस नहीं है. लंंपी वायर से झारखंड में मृत्यु दर बहुत कम है. बचाव के लिए विभाग टीकाकरण करवाया जा रहा है.

मुर्गी फार्म में चलता है बेरमो प्रखंड का पशु चिकित्सालय

बोकारो थर्मल के मुर्गी फार्म में बेरमो प्रखंड का पशु चिकित्सालय है. यहां एकमात्र डॉक्टर अजय कुमार हैं और एक कर्मी के रूप में शिव शंकर रजक हैं, जबकि सृजित पद की संख्या दो है. चिकित्सालय में कृमिनाशक दवा एवं मिनरल मिक्सर की उपलब्धता है. अगस्त 2022 में दवा की अंतिम खेप आयी थी. बोकारो से दवा स्वयं के वाहन या अन्य वाहन से जाकर लाना पड़ता है. यहां सर्जरी की व्यवस्था नहीं है. शुक्रवार को दिन 11 बजे प्रभात खबर टीम पहुंची तो चिकित्सालय बंद मिला. कार्यालय में सफाई कर्मी सफाई ने बताया कि डॉक्टर अजय कुमार और रात्रि प्रहरी सह अनुसेवक शिव शंकर रजक गोविंदुपर बी पंचायत सचिवालय में आयोजित आपकी योजना,आपकी सरकार,आपके द्वारा कार्यक्रम में गये हुए हैं. डॉक्टर अजय से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि क्षेत्र के पुशओं में कृमि जनित रोग, संक्रामक रोग, गर्भ से संबंधित रोग, लम्पी बीमारी, सुकरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर और बकरी में पीपीआर नामक बीमारी की शिकायत आती है. इस वर्ष अप्रैल से अक्टूबर तक कुल 15 सौ पशुओं का इलाज किया गया है.

प्रभारी चिकित्सक के भरोसे चंद्रपुरा का पशु चिकित्सालय

चंद्रपुरा प्रखंड में पशु चिकित्सालय संडे मार्केट में डीवीसी क्वार्टर में चल रहा है. डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह के स्थानांतरण के बाद तेलो के पशु चिकित्सक डॉ आलोक कुमार को यहां का प्रभार मिला है. शुक्रवार को दिन साढ़े दस बजे जब प्रभात खबर टीम पहुंची तो चिकित्सालय खुला हुआ मिला. अनुसेवक शहाबुद्दीन अंसारी ने बताया कि चिकित्सक तेलो में आयोजित सरकार आपके द्वार शिविर में गये हुए हैं. डॉ आलोक ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र में 10-20 गायों में लम्पी वायरस के मामले आये थे. जिला से मिले 200 वैक्सीन में 150 वैक्सीन का वितरण इफेक्टेड एरिया में किया गया है. तरंगा क्षेत्र में वायरस की अधिक सूचना आयी थी. पशुपालकों की सूचना पर भ्रमणशील चिकित्सक गांवों में जाकर पशुओं का इलाज करते हैं. पशुपालकों द्वारा चिकित्सालय लाये गये पशुओं का भी इलाज यहां किया जाता है.

अस्पतालों और डॉक्टरों की स्थिति पर एक नजर

जिला अस्पताल स्वीकृत पद कार्यरत डॉक्टर रिक्ति

धनबाद 20 35 24 11

बोकारो 09 27 14 13

गिरिडीह 25 41 13 28

बोकारो जिले में पशु-पक्षी की संख्या

प्रखंड का नाम पशु-पक्षी

बेरमो प्रखंड 15696

चंदनकियारी 401011

चंद्रपुरा प्रखंड 113628

चास प्रखंड 604949

गोमिया प्रखंड 232686

जरीडीह प्रखंड 256976

कसमार प्रखंड 95937

नावाडीह 178178

पेटरवार 481609

नौ प्रखंड 23,80,670

क्या कहते हैं जिला पशुपालन पदाधिकारी

चिकित्सकों की कमी से परेशानी हो रही है. सभी पदों पर चिकित्सकों व कर्मचारियों की पदस्थापना जरूरी है. बोकारो में लंपी का कोई प्रकोप नहीं है. इसके लिए 19000 भाईल आई थी, सभी लगा दी गई. 46000 अतिरिक्त की मांग की गई है.

– डॉ मनोज कुमार मणी, बोकारो जिला पशुपालन पदाधिकारी

इनपुट : बोकारो से रंजीत कुमार, चास से राजू नंदन, चंदनकियारी से डीएन ठाकुर, पिंड्राजोरा से ब्रह्मदेव दुबे , कसमार से दीपक सवाल, जैनामोड़ से विप्लव सिंह तथा पेटरवार से नागेश्वर महतो, बोकारो थर्मल से संजय मिश्रा, चंद्रपुरा से विनाेद सिन्हा

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