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Bokaro Vidhan Sabha: बोकारो विधानसभा में अब तक कोई दल या प्रत्याशी नहीं लगा पाया हैट्रिक

Bokaro Assembly Election: बोकारो विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक रूप से प्रदेश में अलग पहचान रखता है. इस क्षेत्र से कई विधायक मंत्री भी बने हैं. बावजूद इसके अब तक किसी दल व प्रत्याशी ने इस विधानसभा सीट से जीत की हैट्रिक नहीं लगायी है.


Bokaro Assembly Election|Bokaro Vidhan Sabha|Jharkhand Assembly Election 2024| बोकारो, सीपी सिंह: बोकारो विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक रूप से प्रदेश में अलग पहचान रखता है. इस क्षेत्र से कई विधायक मंत्री भी बने हैं. बावजूद इसके अब तक किसी दल व प्रत्याशी ने इस विधानसभा सीट से जीत की हैट्रिक नहीं लगायी है. दिवंगत समरेश सिंह बोकारो विधानसभा से पांच बार चुनाव जरूर जीते, लेकिन वह भी जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाये. स्वर्गीय सिंह व वर्तमान विधायक बिरंची नारायण लगातार दो बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं.

पहली बार विधायक बनने का इतिहास रचा

बोकारो विधानसभा क्षेत्र 1977 में अस्तित्व में आया. पहले चुनाव में मजदूर नेता इमामुल हई खान को समरेश सिंह (स्वतंत्र) ने 205 वोट से पराजित कर पहली बार विधायक बनने का इतिहास रचा. समरेश सिंह को 10356 वोट मिले थे, वहीं इमामुल हई खान को 10151 वोट. इस चुनाव में कांग्रेस के वनमाली सिंह को 7,163, स्वतंत्र प्रत्याशी अकलू राम महतो को 6,088, कामेश्वर झा को 2,088, गोविंद महतो को 1,980, बलराम मांझी को 1,627, एचआर बखला को 1,593, वीरेंद्र सिंह को 948, रमता प्रसाद सिंह को 772, एपी सिंह को 527 व लाल बाबू अंसारी 3,965 वोट मिले थे. 1980 के चुनाव में समरेश सिंह को हार का सामना करना पड़ा. समरेश सिंह इस चुनाव में बीजेपी के से चुनाव लड़े थे. 1980 में अकलूराम महतो (जेएनपी एससी) को 32969 वोट व समरेश सिंह को 23145 वोट मिले थे.

1985 व 1990 में लगातार दो बार बने विधायक

1985 के चुनाव में समरेश सिंह ने फिर से वापसी की. उन्होंने बीजेपी के टिकट पर लड़ कर 35834 वोट प्राप्त किया. जबकि, एलकेडी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़नेवाले अकलूराम महतो को 17467 वोट मिले. इसके बाद 1990 के चुनाव में समरेश सिंह को भाजपा ने फिर उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में समरेश सिंह ने 49739 वोट प्राप्त किया. इस चुनाव में अकलू राम महतो निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए 45400 वोट प्राप्त कर दूसरे स्थान पर रहे.

2005 में इजरायल अंसारी ने बदला चुनावी समीकरण

वर्ष 2005 में बोकारो का चुनावी समीकरण बदला. 1977 से बारी-बारी से चुनाव जीतते आ रहे समरेश सिंह व अकलू राम महतो को बोकारो में पहली बार चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी इजरायल अंसारी के हाथों हारना पड़ा. जदयू के अशोक चौधरी दूसरे स्थान पर रहे. अन्य प्रमुख उम्मीदवारों में बच्चा सिंह, गुलाबचंद्र, राजेंद्र महतो, साधु शरण गोप, एनके राय आदि शामिल थे.

पाला बदलने में समरेश और अकलू आगे

समरेश सिंह व अकलू राम महतो राजनीतिक रूप से एक-दूसरे के विरोधी रहे. लेकिन, दोनों में एक समानता रही. दोनों ने समय के साथ पाला बदला. समरेश सिंह दो बार भाजपा, दो बार निर्दलीय व एक बार झारखंड विकास मोर्चा से विधायक रह चुके थे. वहीं, अकलू राम महतो जेएनपीएससी, जनता दल, राजद, झामुमो सहित कई दलों से चुनाव लड़ चुके थे. समरेश सिंह वर्ष 2010 में झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2014 में उन्होंने फिर से भाजपा में वापसी की, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर फिर से निर्दलीय चुनाव लड़े.

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जनता मांग रही है हिसाब : श्वेता सिंह

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पिछले चुनाव में कांग्रेस से उम्मीदवार रहीं श्वेता सिंह ने कहा कि वर्तमान विधायक के कार्यकाल में कोई काम नहीं हुआ है. बोकारो विधानसभा को क्षेत्र के हिसाब से 07 कलस्टर (विस्थापित, बोकारो स्टील क्षेत्र, चास ननि, चास प्रखंड व अन्य) में बांटा गया है. किसी भी कलस्टर में लोगों के बीच संतुष्टि नहीं है. राज्य सरकार की योजना के तहत बनी सड़क का ही शिलान्यास किया गया है. अंतिम समय जनता की आंख में धूल झोंकने के लिए दनादन शिलान्यास किया गया है. जनता अब पूरी तरह से तैयार है, कामकाज का हिसाब मांग रही है. चुनाव का इंतजार कर रही है.

जनता के हर सुख-दुख में सहभागी रहा

बोकारो विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए शत प्रतिशत दिया हूं. जनता के हर सुख-दुख में सहभागी रहा हूं. चुनाव पूर्व जो वादा किया था, उसे पूरा करने का सफल प्रयास किया. 1.5 दर्जन बड़ा पुल बनवाया. कोई ऐसा गांव नहीं है, जहां सड़क नहीं बनी है. टाउन हॉल का निर्माण पूरा हुआ. सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल में इलाज शुरू हुआ. बोकारो एयरपोर्ट से राज्य सरकार के निकम्मेपन के कारण उड़ान शुरू नहीं हो पाया. विस्थापित गांव को पंचायत में शामिल नहीं करा पाने का अफसोस है. शहर में शांति व्यवस्था स्थापित हो, इस दिशा में काम किया. किसी को चंदे की राजनीति नहीं करने दी.

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कई जगहों की जर्जर सड़कें बनी हैं. पानी और बिजली की सुविधाएं मिली हैं. इससे जनता को काफी राहत मिली है. लेकिन, शहर में बेहतर स्वास्थ्य सेवा व उच्च शिक्षा की भारी कमी है.

शुभम कुमार, चास

शहर के पढ़े-लिखे युवा आज रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं. क्षेत्र में रोजगार देने के लिए उचित कदम नहीं उठाये गये. विवश होकर दूसरे राज्यों में लोग पलायन कर रहे हैं.

उदित कुमार, बांसगोड़ा

स्वास्थ्य सेवा बेहतर नहीं है. स्थानीय सरकारी अस्पतालों में दवा की भारी कमी रहती है. गंभीर इलाज के लिए कोलकाता, वेल्लोर, चेन्नई आदि जगहों पर लोगों को जाना पड़ता है.

गोल्डी कुमारी, सेक्टर-02

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