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बोकारो के गोमिया आवासीय‌ आश्रम विद्यालय मरम्मत के अभाव में जर्जर, छात्रों ने की है पेयजल की व्यवस्था

बोकारो जिला के गोमिया प्रखण्ड अंतर्गत‌ तुलबूल पंचायत में करोड़ों की लागत‌ से निर्मित आवासीय आश्रम विद्यालय 2013 से संचालित है. इसे कल्याण विभाग संचालित करता है. इस स्कूल में झारखंड के विभिन्न जिलों के 200 से अधिक आदिवासी बच्चे क्लास 6 से 10 क्लास तक पढ़ाई करते हैं. पर आज इसकी स्थिति जर्जर है.

बोकारो जिला के गोमिया प्रखण्ड अंतर्गत‌ तुलबूल पंचायत में करोड़ों की लागत‌ से निर्मित आवासीय आश्रम विद्यालय 2013 से संचालित है. इसे कल्याण विभाग संचालित करता है. इस स्कूल में झारखंड के विभिन्न जिलों के 200 से अधिक आदिवासी बच्चे क्लास 6 से 10 क्लास तक पढ़ाई करते हैं. विद्यालय स्थापना के 9 वर्षो में एक बार भी रंग रोगन और रिपेयरिंग का कार्य नहीं हुआ है. जिस वजह से खिड़की में लगे शीशे क्षतिग्रस्त हो गये हैं. रिपेयरिंग के अभाव में जो दरवाजे खुलते हैं वो बंद नहीं होते हैं. स्कूल में 24 कमरे हैं. अधिकांश की स्थिति जर्जर हैं.

स्टूडेंट्स में है नाराजगी

क्लासरूम के अलावा छात्रावास में भी 24 कमरे हैं. सभी की खिड़कियां बर्बाद हो चुकी हैं. छात्रों का कहना है कि ठंढ में खुली खिड़की से काफी हवा आती है. जिससे काफी ठंढ लगती है. बारिश के दिनों में और भी बुरा हाल होता है. सरकार तो हम सबों को छोड़ दी है. आश्रम विध्यालय से कुछ ही दूरी पर लुगूबुरू घंटावाडी धोरोम गाढ धार्मिक स्थल है. वहां पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर कई भवन और आश्रम भवन बनाये हैं, लेकिन स्कूल की स्थिति जर्जर होना, चिंता का विषय है. स्कूल में प्ले ग्राउंड की स्थिति भी काफी अच्छी नहीं है.

चंदा जमा कर पेयजल की व्यवस्था की

पानी सप्लाई में आ रही तकनीकी गड़बड़ी को दूर करने के लिये सत्र 2020-21 में पास आउट छात्रों ने चन्दा जमाकर तकनीकी‌ गड़बड़ी को दूर किया. स्कूल कैंपस में बोरिंग का पानी भी काफी प्रदूषित हो गया है. स्कूल आने-जाने के लिए एप्रोच‌ पथ भी नहीं है. इस प्रकार स्कूल के प्राचार्य एके सिन्हा ने कहा कि स्कूल में जो भी कमियां है, उसकी जानकारी विभाग को दे दी गयी है. कई बार जेई आए और देखकर चले गए.

अब तक नहीं निकला समाधान

साल 2017-18 में तत्कालिन उपायुक्त मनोज कुमार ने भी स्कूल का जायजा लेकर समाधान का वादा किया. पर आज तक समस्या का समाधान नहीं हो सका.

रिपोर्ट : नागेश्वर

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