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गिरिडीह लोकसभा सीट पर अहम भूमिका निभाते रहे हैं कोलकर्मी

गिरिडीह लोकसभा सीट पर अहम भूमिका निभाते रहे हैं कोलकर्मी

राकेश वर्मा, बेरमो :

लोकसभा चुनावों में गिरिडीह सीट पर कोलकर्मी निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं. किसी लोकसभा चुनाव में कोलकर्मियों के अहम सवाल भी चुनावी मुद्दे बनते रहे हैं तथा इसका कोपभाजन का शिकार भी प्रत्याशियों को झेलना पडा है. गिरिडीह संसदीय क्षेत्र में कोलकर्मियों और सेवानिवृत्त कोलकर्मियों और उनके परिवारों के वोटरों की संख्या दो लाख से ज्यादा हैं. गिरिडीह संसदीय क्षेत्र के बेरमो, गोमिया, बाघमारा व गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र में कोलकर्मियों की संख्या काफी है. बेरमो व गोमिया विस क्षेत्र में सीसीएल के बीएंडके, ढोरी व कथारा एरिया में कार्यरत कोलकर्मियों की संख्या लगभग 11 हजार है. बाघमारा विस क्षेत्र में बीसीसीएल के एक, दो, तीन, चार व पांच नंबर एरिया में कार्यरत कोल कर्मियों की संख्या 12 हजार के करीब है. यानि लगभग 23-24 हजार कोलकर्मी व उनके परिवार के सदस्यों को मिलाकर वोटरों की संख्या एक से सवा लाख के करीब है. सेवानिवृत्त कोलकर्मियों की संख्या भी 25 हजार से ज्यादा है. इनके परिवार के सदस्यों को मिला कर यह संख्या भी एक लाख के करीब है. गिरिडीह सीट से सांसद बनने वालों से कोयला मजदूरों की भी काफी अपेक्षाएं रहती हैं. कोलकर्मी चाहते हैं कि उनकी समस्याएं संसद भवन में उठे. कोलकर्मियों का कहना है कि जिस अनुसार उनका वेज बढ़ा है, उस अनुसार इनकम टैक्स में छूट नहीं दी गयी है. पेंशन का भी सवाल है. पेंशन की राशि को फिक्सड कर दिया है. पेंशन की राशि में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं की जाती है.

2004 के चुनाव में प्रोफेशनल टैक्स व परक्यूजिट टैक्स बना था मुद्दा

वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में कोयला मजदूरों पर लादा गया प्रोफेशनल टैक्स व परक्यूजिट टैक्स मुद्दा बना था. इस चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने कोयला मजदूरों पर दोनों टैक्स लगाया था. प्रोफेशनल टैक्स के रूप में कोलकर्मियों से .003 फीसदी (पहले स्लैब के अनुसार राशि तय थी) राशि ही ली जाने लगी. परक्यूजिट टैक्स से एक कोलकर्मी पर सालाना करीब 25-30 हजार रुपया का आर्थिक भार पड़ने लगा. इसको लेकर कोल सेक्टर के मजदूर संगठनों के नेताओं ने हंगामा शुरू किया. इसके बाद सरकार अप कीप के तहत परक्यूजिट टैक्स का लिया पैसा धीरे-धीरे मजदूरों को लौटाने लगी. जबकि प्रोफेशनल टैक्स अभी भी लगता है.

दो मजदूर नेता जीत कर गये हैं संसद भवन

गिरिडीह लोकसभा सीट से दो कोयला मजदूर नेता चुनाव जीतकर संसद पहुंचने में सफल रहे हैं. इसमें इंटक नेता बिंदेश्वरी दुबे और एचएमएस नेता रामदास सिंह शामिल हैं. तीन अन्य मजदूर नेता को चुनाव जीतने में सफलता नहीं मिली. इसमें इंटक नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह, एटक के चतुरानन मिश्र व शफीक खान शामिल हैं. 1977 के चुनाव में रामदास सिंह ने कांग्रेस के इम्तियाज अहमद को पराजित किया था. इसके बाद 1980 के चुनाव में बिंदेश्वरी दुबे ने रामदास सिंह को पराजित किया था. इसी चुनाव में एटक नेता शफीक खान भी खड़े थे. 1971 के चुनाव में एटक के चतुरानन मिश्र तीसरे स्थान पर रहे थे. इंटक नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह ने 1996, 1998 और 1999 में चुनाव लड़ा, लेकिन तीनों चुनावों में पराजित हो गये थे.

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