बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा. सीसीएल का ढोरी एरिया कोयला उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहा है. प्रबंधन की योजना है कि अगले दो-तीन साल में इस एरिया का सालाना उत्पादन क्षमता नौ मिलियन टन किया जाये. माइंस विस्तार के क्रम में कई नयी माइंसों की प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनायी जा रही है. कई बंद माइंसों को चालू करने के लिए काम चल रहा है. फिलहाल क्षेत्रीय प्रबंधन बंद पिछरी व अंगवाली माइंस को चालू करने की दिशा में गंभीर है.
पिछरी माइंस में कुल जमीन 455 एकड़ है, जिसमें 300 एकड़ रैयती तथा शेष जीएम लैंड व जेजे (जंगल-झाड़) लैंड है. माइंस से सटे दामोदर नदी को किसी तरह का नुकसान नहीं हो, इसके साइंटिफिक स्टडी के लिए किसी आइटीआइ को अवार्ड की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. इसके बाद नया इनवायरमेंट क्लीयरेंस लेना होगा, क्योंकि पुराना इसी एक्सपायर हो गया है. 455 एकड़ में फिलहाल 98.4 एकड़ जमीन प्रबंधन द्वारा चिह्नित की गयी है, जो हिंड्रेंस फ्री है. पिछरी माइंस का माइन प्लान सीएमपीडीआइ बना रहा है और 90 फीसदी काम हो गया है. 10-15 दिन के अंदर माइन प्लान मिल जायेगा. इसके बाद इसी के लिए अप्लाई होगा. तीन माह के अंदर इसी मिल जाने की उम्मीद है.
प्रबंधन के अनुसार आरआर पॉलिसी के तहत दो एकड़ जमीन पर नौकरी, एक एकड़ के लिए नौ लाख रुपया मुआवजा तथा नौकरी नहीं लेने वाले रैयत को एलआर एक्ट के तहत प्रति एकड़ चार गुना मुआवजा दिया जायेगा. सीओ द्वारा सत्यापित रैयत को ही मुआवजा व नौकरी मिलेगा. इस माइन प्लान में बताया गया है दो मिलियन कोयला तथा छह मिलियन ओबी है. यानि हर साल यहां से छह लाख टन कोल प्रोडक्शन होगा. कुल 98.4 एकड़ में से 23 एकड़ जमीन का सत्यापन कर सीओ ने दे दिया है. 10 दिन के अंदर करीब 40-45 एकड़ जमीन का सत्यापन सीओ से मिल जायेगा. शेष 50-55 एकड़ जमीन का भौतिक सत्यापन होगा.
जरूरत के अनुसार इसके लिए जागरूकता अभियान गांवों में चलाया जायेगा. अपनी जमीन होने का दावा करने वालों को कागजात दिखाना होगा, तभी मुआवजा मिलेगा. यह सारी प्रक्रिया दो-तीन माह में हो जाने की उम्मीद है. प्रबंधन के अनुसार आने वाले पांच-छह माह के अंदर इस माइंस को चालू कर दिया जायेगा. आउटसोर्सिंग कांट्रेक्ट का प्रपोजल इसके लिए आगे बढ़ाया जायेगा.
अंगवाली माइंस से 18 लाख टन खनन की है योजना बंद अंगवाली माइंस से भी 18 लाख टन कोयला खनन की योजना पर काम चल रहा है. जियोलॉजिकल रिपोर्ट के अनुसार इस माइंस में कोल रिजर्व 15 मिलियन टन से ज्यादा है जो 85 हेक्टेयर में है. पिछरी माइंस के तर्ज पर इसका भी माइन प्लान बनाया जा रहा है. यहां की रैयती जमीन के लिए वर्षों पहले 75 नौकरी देने का दावा प्रबंधन की ओर से किया जा रहा है. फिलहाल यहां जिस जमीन पर कोयला खनन किया जाना है, उस पर किसी तरह की विस्थापन समस्या नहीं है. इसे भी आउटसोर्सिंग पर चलाया जायेगा.
एसडीओसीएम में है 46 मिलियन टन कोल रिजर्व
ढोरी एरिया की एसडीओसीएम में फिलहाल दो मिलियन का पीआर और दो मिलियन के इसी के अनुसार कोयला उत्पादन किया जा रहा है. इसके अलावा दो साल का एक नया कांट्रेक्ट भी है जो 67 हेक्टेयर जमीन पर है तथा वन विभाग से मुक्त है. यहां के 50 हेक्टेयर वर्क एरिया हटा लिया गया. इसके बाद 40 हेक्टेयर का दो साल का कांट्रेक्ट बनाया गया है. इसमें 146 लाख ओबी और चार लाख घन मीटर टन रि-हैडलिंग ओबी है. यहां से 33 लाख टन वाशरी ग्रेड 3 और जी-9 का कोयला मिलेगा. इसके अलावा एसडीओसीएम में 755 हेक्टेयर का एक नया पीआर बनाया गया है, जिसमें 46 मिलियन टन वाशरी ग्रेड-3 तथा जी-9 का कोल रिजर्व है. इसके लिए फोरेस्ट क्लीयरेंस लिया जायेगा और माइन प्लान बनेगा. पुरानी तारमी, पुराना कल्याणी एवं तिसरी को मिला कर सालाना 2.7 लाख टन की यह माइंस कल्याणी एक्सपेंशन के नाम से जानी जायेगी.
ढोरी एरिया अंतर्गत एएओडीसीएम की अमलो परियोजना फिलहाल सालाना तीन मिलियन टन की है. यहां के लिए 4.5 मिलियन टन का एक नया माइन प्लान सीएमपीडीआइ ने बनाया है. एक माह के अंदर इसी के लिए अप्लाई होगा. सालाना 3.6 लाख टन का इसी मिलेगा. इसके बाद कोयला खनन अगले साल से होगा. 39.67 हेक्टेयर में काम चल रहा है. इसके अलावा अमलो में ही सालाना पांच मिलियन टन की एक नयी पीआर 90 फीसदी बन गयी है. यहां 100 मिलियन टन कोल रिजर्व है. इससे से पहले 15 मिलियन टन कोयला निकाला जा चुका है. आने वाले कुछ माह में यह मामला सीसीएल बोर्ड तथा इसके बाद कोल इंडिया बोर्ड में जायेगा.
ढोरी एरिया के महाप्रबंधक एमके अग्रवाल ने बताया कि बंद पिछरी व अंगवाली माइंस को चालू करने की दिशा में तेज गति से काम चल रहा है. इन दोनों माइंस से सालाना एक मिलियन टन कोयला उत्पादन होगा. इसके अलावा अमलो परियोजना से सालाना पांच मिलियन टन उत्पादन को लेकर नयी प्रोजेक्ट रिपोर्ट बन रही है. एसडीओसीएम में कल्याणी एक्सपेंशन से सालाना 2.7 लाख टन उत्पादन होगा. आने वाले दो-तीन साल में ढोरी एरिया से सालाना नौ मिलियन टन कोल प्रोडक्शन होगा, लेकिन इसके लिए गंभीरता से सभी को काम करने की जरूरत है.