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बोकारो के डॉ जयदेव जला रहे हैं ज्ञान की ज्योति, अमेरिका की उच्च वेतन वाली नौकरी छोड़ दे रहे मुफ्त शिक्षा

डॉ जयदेव ने देश के सर्वोच्च शिक्षण संस्थान बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर और आइआइटी आइएसएम धनबाद से ड्रिंकिंग वाटर में पीएचडी पूरी की थी.

ब्रह्मदेव दुबे, बोकारो: शिक्षा दुनिया में दिया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण उपहार है, जो समाज को शक्तिशाली और प्रगतिशील बनाता है. अगर मेरी उच्च शिक्षा मेरे गांव और देश के काम नहीं आ पायी तो उसका कोई महत्व नहीं है. ये बातें बोकारो जिला के चास प्रखंड अंतर्गत पिंड्राजोरा गांव निवासी पूर्व मुखिया गोरा चांद महतो तथा पूर्व मुखिया तारा देवी के पुत्र डॉ जयदेव कुमार महतो ने कही. डॉ जयदेव अमेरिका में उच्च वेतन वाली नौकरी छोड़ ग्रामीण बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देने का काम कर रहे हैं.

बीएचयू से किया पीजी, आइआइटी आइएसएम से पीएचडी :

डॉ जयदेव की प्रारंभिक शिक्षा इसी गांव के सरकारी स्कूल सर्वोदय उच्च विद्यालय प्लस टू पिंड्राजोरा से हुई. डॉ जयदेव का मानना है कि उस समय ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का उचित मार्गदर्शन, आर्थिक समस्या तथा अंग्रेजी भाषा में जागरूकता की कमी के कारण उच्च शिक्षा का सपना देखना एक बड़ी चुनौती थी. इन सारी चुनौतियों को जयदेव ने एक अवसर के रूप में देखा और अंततः उनकी शैक्षणिक योग्यता उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका तक ले गयी.

जहां उनका चयन स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयार्क में पोस्ट डॉक्टरल साइंटिस्ट पद के किया गया. इससे पहले डॉ जयदेव ने देश के सर्वोच्च शिक्षण संस्थान बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) से पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में स्नातकोत्तर और आइआइटी आइएसएम धनबाद से ड्रिंकिंग वाटर में पीएचडी पूरी की थी. अमेरिका में डॉ जयदेव ने वहां के वैज्ञानिक के साथ मिलकर पेयजल में पाए जाने वाले एक उभरते प्रदूषक पीएफएएस कंपाउंड के उपचार तथा फूड वेस्ट से बायोडीजल बनाने की प्रक्रिया पर शोध किया.

वाटर रिसर्च से क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अब तक इनके 20 से ज्यादा इंटरनेशनल रिसर्च आर्टिकल, छह बुक चैप्टर और एक पूरी किताब प्रकाशित है. एक साल के पोस्ट-डॉक्टरेट के बाद उनको अमेरिका में नौकरी का प्रस्ताव भी मिला, पर समाजसेवा में रूचि होने के वजह से जयदेव ने अपनी उच्च वेतन वाली नौकरी छोड़ भारत लौटने का निर्णय लिया. विदेश से आने के बाद अपनी एनजीओ के माध्यम से शिक्षा, पर्यावरण, ग्रामीण विकास पर योगदान दे रहे हैं.

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‘शिक्षा सबका अधिकार’ अभियान :

अमेरिका से पिंड्राजोरा आने के बाद वे अपने एनजीओ ‘झारखंड फाउंडेशन केंद्र’ के माध्यम से ग्रामीण विकास, शिक्षा, और पर्यावरण के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं. उनका मानना है की ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की एक बड़ी समस्या वित्तीय सहायता और उचित दिशा-निर्देश है. हर साल हजारों छात्रों को अपने परिवारों की वित्तीय सहायता की कमी के कारण अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ती है. आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे विद्याथियों के लिए डॉ जयदेव ‘शिक्षा सबका अधिकार’ नामक एक अभियान चला रहे हैं.

वह सुदूर ग्रामीण स्कूलों में जाकर ग्रामीण बच्चों की प्रतिभा और सपनों को उजागर के लिए छात्रवृत्ति जागरूकता एवं व्यापक करियर दिशा-निर्देश कार्यक्रम चला रहे हैं, ताकि पैसे के अभाव में एक भी बच्चे पढ़ाई से वंचित न रह जाएं. अभी तक वह झारखंड के 10 से भी ज्यादा स्कूल तक पहुंच चुके हैं. वह राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में पहुंच कर शिक्षा में क्रांति लाना चाहते हैं. वह नहीं चाहते की अपनी शैक्षणिक अवधि के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में होने की वजह से जिन संसाधनों और जागरूकता की कमी का सामना उन्होंने किया कोई और करे.

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