ललपनिया (बोकारो), नागेश्वर : ललपनिया स्थित लुगु पहाड़ संतालियों के आस्था का केंद्र है. यहां हर साल संतालियों का अंतरराष्ट्रीय धर्म महासम्मेलन का आयोजन होता है. 23वां महासम्मेलन 26 नवंबर से होने जा रहा है. लुगु पहाड़ झारखंड का दूसरा सर्वोच्च शिखर है. इस पहाड़ की तलहटी में दर्जनों गांव बसे हैं. छोटानागपुर के महाराजा मदरा मुंडा के दत्तक पुत्र फनी मुंडा राय (नागवंशी) के गद्दी संभालते ही लुगु पहाड़ उनके अधिकार क्षेत्र में आ गया था. वर्ष 1368 में छोटानागपुर के महाराजा ने यह क्षेत्र होसिर के जमींदार बाघदेव सिंह देव को इसे बंदोबस्त कर दिया था. दस्तावेज के अनुसार वर्ष 1704 में एकरारनामा कर महाराजा हेमंत सिंह ने बाघदेव सिंह के वंशज ठाकुर त्रिभुवन सिंह को होसिर, साड़म समेत 28 गांवों के साथ इसे बंदोबस्त कर दिया. संग्राम राय, लक्ष्मण राय, महालौंग राय व कुशल राय ठाकुर उनके पुत्र थे. कुशल राय और लक्ष्मण राय निसंतान रहे. संग्राम राय और महालौंग राय के बीच बंटवारा हुआ. लुगुपहाड़ महालौंग राय को मिल गया.
पुन: वर्ष 1766 में महाराजा मुकुंद राय से महालौंग राय के वंशज उदय नाथ देव को यह मिला. 1900 में होसिर इस्टेट के नाम से नोटिफिकेशन जारी हुआ. 1902 में होसिर एक और दो का बंटवारा हुआ. 11 दिसंबर 1929 को चूना पत्थर निकालने के लिए लुगु पहाड़ एस एस गुजदार को लीज पर दे दिया गया था. होसिर इस्टेट के मालिकाना ठाकुर और यादव चरणदेव ने इसका पुरजोर विरोध किया था. न्यायालय के आदेश होसिर इस्टेट के पक्ष में आया और लुगु पहाड़ का अस्तित्व बच गया. वन विभाग ने वर्ष 1947-48 में इसका अधिग्रहण कर लिया. पर अभी तक इसकी क्षतिपूर्ति नहीं दी गयी. 1969-70 तक इसका सूद मिलता था, जो 1971 से बंद कर दिया गया.
गौरवान्वित महसूस करते हैं लक्ष्मी नारायण देव के वंशज
6781 एकड़ में फैले लुगुपहाड़ के प्लाॅट एक में 933 एकड़, प्लाॅट दो में 1057 एकड़, प्लाॅट तीन में 780 एकड़, प्लाॅट चार में 815 एकड़, प्लाॅट पांच में 792 एकड़, प्लाॅट छह में 717 एकड़, प्लाॅट सात में 952 एकड़, प्लाॅट आठ में 762 एकड़, प्लाॅट नौ में 573 एकड़, प्लाॅट 10 में 697 एकड़, प्लाॅट 11 में 20 एकड़ है. यह होसिर इस्टेट के लक्ष्मी नारायण देव के नाम दर्ज है. उनके वंशज गौरवान्वित महसूस करते हैं कि लुगुपहाड़ जो एक राष्ट्रीय धरोहर है, उनके पूर्वजों के नाम से दस्तावेज में नामित है.