बेरमो अनुमंडल के नावाडीह और ऊपरघाट के बाद बोकारो थर्मल में पिछले 20 दिनों तक कहर बरपाने के बाद 32 हाथियों का झुंड पिछले तीन दिनों से गोमिया के झुमरा और लुगू पहाड़ की तलहटी वाले गांवों में खूब कोहराम मचा रहा है. बीते 20 दिनों में झुंड ने तकरीबन 50 घरों को निशाना बनाया है. वहीं घरों में रखा हजारों क्विंटल धान, चावल, मकई, महुआ और गेंहू चट कर गया है. हाथी सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसल को भी नुकसान पहुंचा चुके हैं. कई मवेशियों की कुचलने और मलबे में दबकर मौत हो गयी है. अब झुमरा में झुंड के प्रवेश होने से नुकसान बढ़ेगा, इसकी पूरी संभावना है. इससे ग्रामीण डरे-सहमे हैं.
वन विभाग बंगाल से आये हाथी भगाओ दल और स्थानीय स्तर के प्रशिक्षित लोगों को हाथियों को खदेड़ने में लगाने के अलावा और कुछ नहीं कर पा रहा. ग्रामीण ऐसी लगातार शिकायत करते हैं. वहीं, नुकसान के बाद आवेदन देने के महीनों बाद तक मुआवजा नहीं मिलने और कई-कई महीने बाद मुआवजा मिलने की शिकायत भी आम है.
समन्वय और संवाद के अभाव में बढ़ रहा नुकसान का दायरा
बड़ा सवाल यह है कि नुकसान का दायरा कम करने के लिए हाथियों को रोकने या क्षेत्र से खदेड़ने को लेकर वन विभाग क्या किसी रोडमैप पर काम कर रहा है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि वन विभाग के रेंज अधिकारी एक दूसरे से समन्वय स्थापित नहीं कर पाते हैं. अगर समय रहते समन्वय स्थापित करते हुए हाथियों की चहलकदमी रोका जाये, तो बहुत हद तक नुकसान को रोका जा सकता है. गांवों में स्थानीय स्तर की वन सुरक्षा समिति को भी सक्रिय रहना होगा. कुछ दिनों पहले बेरमो फॉरेस्ट रेंज से हाथियों को नरकी जंगल तक खदेड़ दिया गया था. वहां से हाथी तेनुघाट रेंज में घुस गये और उत्पात शुरू कर दिये, जो कि दोनों रेंज में समन्वय की कमी को दर्शाता है. इसी तरह, डुमरी रेंज से हाथियों का झुंड बेरमो रेंज अंतर्गत ऊपरघाट पहुंचा था. यहां से नावाडीह रेंज में प्रवेश किया. पुनः बेरमो रेंज में घुस गया. अब तेनुघाट रेंज में हाथी कहर बरपा रहे हैं.
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