रांची : जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) ने बोकारो जिला स्थित आदिवासी संतालियों के धार्मिक धरोहर लुगु पहाड़ पर दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित लुगु पहाड़ हाइडल पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट को किसी भी हाल में स्थापित नहीं होने देने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया है. परिषद की गुरुवार को हुई बैठक में मुख्यमंत्री सह अध्यक्ष (टीएसी) हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार हर हाल में आदिवासी समुदाय की आस्था और विश्वास का धार्मिक धरोहर लुगु पहाड़ को संरक्षित करने का काम करेगी. सरकार किसी भी समुदाय की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं होने देगी. जन भावना के अनुरूप टीएसी द्वारा लुगु पहाड़ हाइडल पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट को लुगु पहाड़ में नहीं स्थापित होने दिया जायेगा.
बैठक में मंत्री सह टीएसी के उपाध्यक्ष चंपई सोरेन, विधायक सह टीएसी सदस्य प्रो स्टीफन मरांडी, सीता सोरेन, दीपक बिरुआ, भूषण तिर्की, सुखराम उरांव, दशरथ गगराई, विकास कुमार मुंडा, राजेश कच्छप, सोनाराम सिंकू, शिल्पी नेहा तिर्की, विश्वनाथ सिंह सरदार, जमल मुंडा आदि मौजूद थे.
बैठक में वन अधिकार अंतर्गत अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान के तहत राज्य के वैसे आश्रित, जो वनों पर निर्भर हैं, उनके बीच व्यक्तिगत एवं सामुदायिक पट्टे का वितरण तेज गति से किये जाने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिये गये. बैठक में झारखंड में पेसा कानून लागू किये जाने संबंधी प्रस्ताव पर विचार-विमर्श हुआ.
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आपकी योजना, आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में जन-प्रतिनिधि की भूमिका अहम :
बैठक में वर्तमान राज्य सरकार के चार वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में 15 नवंबर से 29 दिसंबर 2023 तक राज्यव्यापी अभियान आपकी योजना, आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में जन-प्रतिनिधिगण एवं प्रभारी मंत्री को अपनी भूमिका के निर्वहन का निर्देश दिया गया. योजना के तहत आयोजित होनेवाले शिविरों में बिरसा आवास योजना, बिरसा सिंचाई कूप योजना, जाति/आय/जन्म/मृत्यु/ दिव्यांगता प्रमाण पत्र सहित सर्वजन पेंशन, सावित्रीबाई फुले बालिका समृद्धि योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना, मुख्यमंत्री पशुधन योजना आदि का लाभ शत प्रतिशत लाभुकों को सुनिश्चित कराया जा सके इसके लिए गहन विचार-विमर्श किया गया.
रांची : जनजातीय परामर्शदातृ परिषद के पूर्व सदस्य रतन तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के झारखंड में थाने की बाध्यता समाप्त किये जाने के निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा यह झारखंड के आदिवासियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि थाना की बाध्यता पूरे राज्य में आदिवासियों के लिए समाप्त होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के लिए 30 डिसमिल जमीन दी जानी चाहिए. ताकि बेरोजगार युवा 15 डिसमिल में गृह निर्माण और बाकी 15 डिसमिल में बैंक या स्वयं के पैसे से धंधा व्यवसाय कर सकें. श्री तिर्की ने कहा कि यह भी निर्णय हो कि आदिवासी सिर्फ एक जगह ही 30 डिसमिल जमीन खरीद सकें. ऐसा न हो कि आदिवासी 30 डिसमिल जमीन की खरीद बांट-बांट कर अलग-अलग जिलों में करे. उन्होंने कहा कि थाना की बाध्यता समाप्त किये जाने की मांग राज्य निर्माण के पहले से की जाती रही है. इसलिए अविलंब झारखंड में थाने की बाध्यता खत्म की जानी चाहिए. इस पर राज्यपाल को गंभीरता से विचार-विमर्श करना चाहिए.
राज्यपाल की अनुमति के बिना 2021 में राज्य सरकार द्वारा टीएसी गठन की अधिसूचना जारी करने पर पूर्व राज्यपाल रमेश बैस ने अटॉर्नी जनरल से कानूनी राय ली थी. अपनी राय में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पांचवीं अनुसूची के तहत बनाया गया 2021 का नियम एक ऐसा मामला है, जो झारखंड में अनुसूचित जनजातियों के हितों को प्रभावित करेगा. सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुसार टीएसी को राज्य में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण अौर उन्नति से संबंधित मामलों पर राज्यपाल से सलाह लेना आवश्यक है. अटॉर्नी जनरल ने यह भी कहा कि राज्यपाल के संदर्भ के बिना 2021 के नियमों की अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 166 (3) के तहत उल्लंघन है. राज्यपाल का पद एक बहुत ही महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है. टीएसी के मामले में राज्यपाल से परामर्श की कमी को हल्के में नहीं लिया जा सकता है. राय मिलने के बाद राजभवन की अोर से कई बार पत्र लिख कर राज्यपाल की अनुमति के बिना टीएसी के गठन व निर्णय के संबंध में राज्य सरकार से जवाब मांगा गया, लेकिन किसी का भी जवाब नहीं दिया गया. वर्तमान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने एक इंटरव्यू में कहा था कि टीएसी राज्य सरकार के हाथों में है. मुझे इसे अपने हाथ में लेना होगा अौर हमें उन्हें प्रोत्साहित करना होगा, ताकि विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाया जा सके.