20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

National Sports Day 2021: ओलिंपियन निक्की प्रधान के गांव में नहीं है हॉकी का मैदान, फिर भी ऐसे बढ़ाया मान

निक्की प्रधान को शुरुआत में हॉकी में रुचि नहीं थी. कोच दशरथ महतो ने बताया कि उन्होंने 2002 में प्रशिक्षण देना शुरू किया था. तब वह प्रैक्टिस करना नहीं चाहती थी. तीन साल तक समझा बुझाकर उसे ट्रेनिंग दी. स्थानीय प्रतियोगिता में शामिल होने के बाद रूचि बढ़ी.

National Sports Day 2021, खूंटी न्यूज (चंदन कुमार) : झारखंड के खूंटी जिले की ओलिंपियन निक्की प्रधान का गांव हेसेल खिलाड़ियों की खान है. अब तक यहां से दो दर्जन से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी निकल चुके हैं. इनमें अधिकतर महिला हॉकी खिलाड़ी हैं. खेल के बलबूते ही ये सरकारी नौकरी कर रही हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस गांव में हॉकी का मैदान नहीं है.

झारखंड के खूंटी जिले के मुरहू के एक छोटे से गांव हेसेल से निकलकर दो-दो बार ओलिंपिक तक पहुंचने वाली निक्की प्रधान इन दिनों जिले के सभी खिलाड़ियों के लिए रोल मॉडल बन गयी है. टोक्यो ओलिंपिक में महिला हॉकी टीम का सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन के बाद निक्की प्रधान खूंटी जिले के साथ-साथ पूरे राज्य के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गयी है. ओलंपिक से लौटने के बाद खूंटी की निक्की प्रधान और सिमडेगा की सलीमा टेटे का जोरदार स्वागत हुआ. राज्य सरकार भी इन पर मेहरबान रही. जगह-जगह सम्मान दिया जा रहा है. हेसेल से निकलकर ओलिंपिक तक जाने का सफर लंबा रहा है. निक्की की प्रारंभिक शिक्षा राजकीय मध्य विद्यालय पेलौल में हुई. इसके बाद आठवीं से इंटर तक की पढ़ाई राजकीय उच्च विद्यालय बरियातू में पूरी की. इंटर के बाद वह खेल में ही रम गयी.

Also Read: National Sports Day 2021 : हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का झारखंड कनेक्शन, जब 3 गोल कर जीता था प्रदर्शनी मैच

निक्की प्रधान ने 2002 से हॉकी खेलना शुरू किया था. निक्की ने 2011 में नेशनल गेम, 2012 में एशिया कप, 2013 में स्कॉटलैंड टेस्ट, 2014 में इंडियन रेलवे प्रतियोगिता, 2016 में साउथ अफ्रीका और न्यूजीलैंड में टेस्ट मैच, 2016 में ही इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में शामिल हुई. 2016 में रियो ओलंपिक में भी हिस्सा ली. निक्की की बड़ी बहन शशि प्रधान, छोटी बहन कांति प्रधान भी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं. वहीं सबसे छोटी बहन भी हॉकी खेलती है. एक भाई गोविंद प्रधान है.

Also Read: National Sports Day 2021 : विश्व की नंबर 1 तीरंदाज रांची की दीपिका कुमारी को कितना जानते हैं आप

निक्की प्रधान की ही बात करें तो उसकी तीन बहनें हॉकी खेलती हैं. वहीं गांव की पुष्पा प्रधान अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुकी हैं. वह भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान भी रही है. गांव की धांगी मुंडू, रश्मि मुंडू, सिलवंती मिंजूर, बिरसी मुंडू, रूकमनी ढोढराय, मुक्ता मुंडू, एतवारी मुंडू को खेल की बदौलत नौकरी मिली है. इसके अलावा रेश्मा मिंजूर, नीलम मुंडू, आषा कुमारी, सरीना प्रधान, विनिता मुंडू, सुमन मुंडू, सरानी मिंजूर भी अच्छी खिलाड़ी रही हैं. इसके अलावा भी कई खिलाड़ी हैं. यह जानकर आश्चर्य होगा कि गांव में एक भी हॉकी खेल का मैदान नहीं है. गांव के ज्यादातर युवा गांव से कुछ दूरी पर स्थित पेलौल स्कूल के मैदान में अभ्यास करती थीं.

Also Read: National Sports Day 2021 : राष्ट्रीय खेल दिवस से पहले झारखंड की इस हॉकी खिलाड़ी को रेलवे ने इस पद पर दी नौकरी

प्रभात खबर से बात करते हुये निक्की प्रधान ने कहा कि आने वाले साल में कई प्रतियोगिताएं हैं. एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम सहित कई प्रतियोगिताएं होनी है. अब वह उनकी तैयारियों में लग जायेगी. उसने कहा कि खिलाड़ियों का समय खेल की तैयारियों में ही लगा रहता है. निक्की ने युवाओं से कहा कि अपने लिए गोल सेट कर लें. चाहे खेल हो या कोई और क्षेत्र गोल जरूर बनायें. उसके लिए ईमानदारी से काम करें तभी सफलता मिलती है. जो कीजिये उसे पूरे दिल से कीजिये. उसने खेल के साथ युवाओं को पढ़ाई को भी साथ जारी रखने के लिए भी कहा. खूंटी में खेल के विकास के लिए निक्की प्रधान ने कहा कि खूंटी में अच्छा हॉस्टल, कोच, फिजियो और डायटिशियन होना चाहिये. जिससे खूंटी में ही खिलाड़ी तैयार हो सकें और सीधे इंडिया कैंप तक पहुंच सकें.

Also Read: Tata Steel Trade Apprentice 2021 : टाटा स्टील ट्रेड अप्रेंटिस के अभ्यर्थी परीक्षा में नहीं कर सकेंगे नकल

शुरुआत में निक्की प्रधान को हॉकी में रुचि नहीं थी. उसके कोच दशरथ महतो ने बताया कि उन्होंने निक्की को 2002 में प्रशिक्षण देना शुरू किया था. तब वह प्रैक्टिस करना नहीं चाहती थी. उसे हॉकी खेलने में रूचि नहीं थी. किसी प्रकार समझा-बुझा कर लगभग तीन साल तक दशरथ महतो उसे प्रशिक्षण देते रहे. 2005 में स्थानीय प्रतियोगिता में उसे शामिल किया. जिसके बाद उसके अंदर हॉकी को लेकर रूचि बढ़ने लगी. आज जब निक्की की हॉकी में पहचान बन गयी है तब भी वह अपने कोच को नहीं भूली है. खूंटी आने पर अपने कोच दशरथ महतो के साथ ही नजर आती है. अपनी सफलता का श्रेय वह कोच दशरथ महतो को ही देती है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें