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ना रास्ता ना बिजली, कैसे पढ़ेंगे झारखंड के आदिवासी बच्चे, आज भी कोयला से बनता है यहां भोजन

आज भी आदिवासी समाज उपेक्षित है. झारखंड के आदिवासी बच्चों को स्कूल तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है. बच्चे पगडंडी पर चलकर स्कूल आने-जाने को विवश है.

बालीडीह (बोकारो), कृपाशंकर पांडेय : झारखंड की पहचान आदिवासियों से मानी जाती है. राज्य निर्माण होने के करीब दो दशक बीत चुके है, लेकिन आज भी आदिवासी समाज उपेक्षित है. बालीडीह थाना क्षेत्र का नरकरा पंचायत आदिवासी बहुल है. नरकरा के रुपायडीह में एक नव प्राथमिक विद्यालय है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है. बच्चे पगडंडी पर चलकर स्कूल आने-जाने को विवश है. शिक्षा पाने की ललक बच्चों में है. कल यही बच्चे शिक्षित होकर अपने परिवार और समाज के लिए कीर्तिमान स्थापित करेंगे. जब सरकार और समाज श्रेय लेने की होड़ में पहली कतार पर खड़ा मिलेगी, जो आज इन बच्चों को स्कूल तक जाने का सुगम रास्ता देने में रुचि नहीं दिखा रही है.

झाड़ियों के बीच स्कूल जाने को विवश

इस विद्यालय तक जाने के लिए बच्चों के पास एक मात्र रास्ता है. जो एक पगडंडी है. बारिश में यह संकीर्ण व मुश्किलों भरी हो जाती है. झाड़ियां रास्ता को दोनों ओर से अपने आगोश में छिपा लेती है, लेकिन बच्चे कहा मानने वाले हैं. झाड़ियों को चीर कर अपना रास्ता बना लेते है. इधर स्कूल का आंगन भी बारिश में फिसलन भरा हो जाता है.

करीब दो वर्षों से स्कूल में बिजली कनेक्शन नहीं

2021 से पहले स्कूल में बिजली कनेक्शन था. नरकरा मांझी टोला से बांस लगा कर स्कूल तक बिजली की सुविधा उपलब्ध करायी गयी थी. कोरोना काल के समय हुई बारिश से बांस सड़कर गिर गया. तब से आज तक स्कूल में दुबारा बिजली आपूर्ति नहीं हो सकी. आज तक सरकार और पंचायत ने स्कूल में बिजली व्यवस्था को पुनर्बहाल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखायी. इधर मुखिया द्वारा स्कूल में आरो वाटर प्यूरीफायर लगाया गया है. जो खराब हो गय है.

गैस कनेक्शन के अभाव में कोयला से बनता है भोजन

सरकार जो सुविधाएं उपलब्ध करा रही है, इस स्कूल में उसके भी लाले पड़े हुए हैं. मसलन रसोई गैस का कनेक्शन भी आज तक स्कूल को नहीं मिल सका. आज भी बच्चों का खाना के लिए स्कूल में कोयला का उपयोग किया जाता है.

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किसने क्या कहा

विद्यालय प्रांगण में कचरा निस्तारण के लिए एक गड्डा बना दिया गया है. कचरा को ढक कर रखना चाहिए. खुले गड्डे में कभी भी कोई बच्चा गिर कर घायल हो सकता है. विद्यालय प्रबंधन को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

-रीना एक्का, पंसस, नरकरा

सब कुछ मनमाने ढंग से चलाया जा रहा है. बिजली सहित आने-जाने के लिए रास्ते की समस्या पहले की तरह है. जहां से राज्य और देश का भविष्य गढ़ा जा रहा है, उस स्कूल की दशा बेहद दयनीय है.

-बबलू गोडसोरा, प्रबंधन समिति अध्यक्ष

अपने स्तर से विद्यालय तक सड़क निर्माण का प्रस्ताव पंचायत को दिया है. जल्द ही इस दिशा में पहल किये जाने की उम्मीद है. विद्यालय के विकास में योगदान देना पहली व सर्वोच्च प्राथमिकता है.

-रानी हांसदा, वार्ड सदस्य

विकास कोष में पांच हजार रु व पांच हजार की रंग रोगन सामग्री आयी थी. इससे स्कूल के लिए अन्य जरूरी सामग्री खरीदी गयी. बिजली के लिए बांस खरीद का फंड नहीं बचा. गैस कनेक्शन के लिए जब फंड आया तो मातृत्व अवकाश पर थी.

-फूलमणि कुमारी, प्रधानाध्यापिका

गैस कनेक्शन के लिए सभी विद्यालयों को फंड भेज दिया गया है. बावजूद रुपायडीह नव प्राथमिक विद्यालय में गैस कनेक्शन नहीं लिया गया है, इसकी जानकारी ली जायेगी. वहीं, बिजली कनेक्शन के लिए भी सभी विद्यालय के हेडमास्टर के साथ बैठकर आवेदन करने के लिए निर्देश दिया गया. विद्यालय तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क का निर्माण जिला प्रशासन के माध्यम से होगा.

-नूर आलम खान, डीएसइ, बोकारो

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