कसमार, दीपक सवाल. झारखंड के वन विभाग की आपत्ति के बाद प. बंगाल के वनकर्मी सेवाती घाटी मामले में पीछे हटने को तैयार हो गये हैं. प. बंगाल घाटी में लगाया अपना बोर्ड हटायेगा. बताते चलें कि कसमार प्रखंड की सेवाती घाटी में उत्पन्न अंतरराज्यीय सीमा विवाद के बाद डीएफओ रजनीश कुमार ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. प्रभात खबर में इससे संबंधित खबर छपने के बाद उन्होंने कहा कि बंगाल फॉरेस्ट ने झारखंड के हिस्से में बोर्ड लगाया है, लेकिन मामले को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है. बंगाल फॉरेस्ट ने आश्वस्त किया है कि वह वहां से बोर्ड हटा लेगा. डीएफओ ने यह भी कहा कि मामला संज्ञान में आने के बाद लगातार नजर रखी जा रही है. वनकर्मियों को भेजकर वस्तुस्थिति का जायजा लिया गया है. उन्होंने कहा कि वहां झारखंड और बंगाल का फॉरेस्ट एरिया आसपास है. बंगाल फॉरेस्ट ने झारखंड के एरिया में आकर बोर्ड लगा दिया है. हमारे वन कर्मियों ने बंगाल फॉरेस्ट के कर्मियों से बातचीत की है. डीएफओ रजनीश कुमार ने यह भी कहा कि बोकारो वन प्रमंडल वहां अपना बोर्ड लगायेगा. डीएफओ के अनुसार, बंगाल फॉरेस्ट के कर्मियों से बोर्ड लगाने के संबंध में पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि कुछ ग्रामीण जंगल-झाड़ी साफ कर वहां गैर वानिकी कार्य करना चाह रहे थे. उसे रोकने के लिए बोर्ड लगाया गया, ताकि कोई गैर वानिकी कार्य नहीं कर सके. डीएफओ ने बताया कि बंगाल का बोर्ड हटाने और वहां बोकारो प्रमंडल का बोर्ड लगाने के बाद संबंधित भूमि पर पौधे लगाये जायेंगे, ताकि वन की सुंदरता बरकरार रखी जा सके. श्री कुमार ने ग्रामीणों से सेवाती घाटी में किसी भी प्रकार का गैर वानिकी कार्य नहीं करने का अनुरोध भी किया है.
नापी में नहीं निकला ठोस नतीजा
डीएफओ रजनीश कुमार के निर्देश पर बोकारो वन प्रमंडल अंतर्गत खैराचातर (बगियारी) वन प्रक्षेत्र के कर्मियों ने झालदा वन प्रक्षेत्र (बंगाल) के वन कर्मियों की उपस्थिति में संबंधित स्थल की नापी की. हालांकि एकतरफा नापी होने के कारण कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है. खैराचातर (बगियारी) वन परिसर के प्रभारी वनपाल विजय कुमार ने बताया कि उनके स्तर से जो नापी की गयी, उसके अनुसार बंगाल फॉरेस्ट द्वारा लगाया गया बोर्ड वाला हिस्सा उन्हीं का है और उनके अनुसार सेवाती घाटी का झरना बंगाल सीमा में पड़ता है. हालांकि वनपाल ने यह भी कहा कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. इसे अधिक स्पष्ट करने के लिए दोनों राज्यों को मिलकर एक बार फिर से बारीकी से नापी करने की जरूरत है.
सेवाती में हम करते आ रहे हैं वनों की रखवाली
सेवाती घाटी कसमार प्रखंड की जुमरा वन सुरक्षा समिति के अधीन है. झारखंड क्षेत्र से बोर्ड समिति के वर्तमान अध्यक्ष वीरेंद्र महतो ने कहा कि सेवाती घाटी में झरना तक को सीमारेखा मानकर हम यहां के जंगल की सुरक्षा करते आ रहे हैं. आज अचानक बंगाल फॉरेस्ट ने इसे अपना घोषित कर दिया, जबकि यहां बंगाल के हिस्से में कोई फॉरेस्ट है ही नहीं. उन्होंने कहा कि अनावश्यक विवाद से दोनों राज्यों के बीच सीमा पर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी. इसे सही तरीके से सुलझाने की जरूरत है.