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सेवाती घाटी सीमा विवाद : पश्चिम बंगाल ने झारखंड का 600 फुट किया है कब्जा, सर्वे में हुआ खुलासा

सेवाती घाटी सीमा विवाद को लेकर प्रभात खबर की कोशिश रंग लायी. शुक्रवार को प्लेन टेबल सर्वे से विवाद का पटाक्षेप हुआ. सर्वे में खुलासा हुआ कि पश्चिम बंगाल ने झारखंड में 600 फुट जमीन कब्जा किया हुआ है. सर्वे से साफ हुआ कि सेवाती घाटी का झरना ही झारखंड और बंगाल की अंतरराज्यीय सीमा है.

कसमार (बोकारो), दीपक सवाल : बोकारो जिले के कसमार प्रखंड स्थित सेवाती घाटी में बोकारो फॉरेस्ट डिवीजन द्वारा प्लेन टेबल सर्वे का काम शुक्रवार 19 मई, 2023 को पूरा हो गया. इस दौरान खुलासा हुआ कि बंगाल फॉरेस्ट ने करीब 85 फुट अंदर घुसकर झारखंड के हिस्से में अपना बोर्ड लगाया है. सर्वे में यह भी स्पष्ट हुआ कि बंगाल फॉरेस्ट ने झारखंड के हिस्से में लगभग 600 फुट अंदर तक कब्जा करने का प्रयास किया है.

अंतरराज्यीय सीमा का हुआ रेखांकन

बोकारो फॉरेस्ट के अमीन विनय महतो ने बताया कि करीब एक सप्ताह के प्लेन टेबल सर्वे में यहां अंतरराज्यीय सीमा के रेखांकन में सफलता मिली है. श्री महतो के अनुसार यह स्पष्ट हो गया है कि सेवाती घाटी का झरना ही झारखंड और बंगाल की अंतरराज्यीय सीमा है और बंगाल फॉरेस्ट ने सीमा रेखा से करीब 85 फुट अंदर झारखंड के हिस्से में बोर्ड लगाया है. उन्होंने बताया कि एक सप्ताह के दौरान सीमावर्ती गांव जुमरा एवं पाड़ी गांव के सभी रैयती प्लॉट, नदी-नाला, तालाब आदि के अलावा सेवाती के पहाड़ी हिस्सों तथा बंगाल के तीन सीमाना तक का मिलान व सर्वे किया गया. बताया कि सर्वे रिपोर्ट तथा उसका नक्शा बनाकर एक-दो दिनों में बोकारो डीएफओ को सौंप दिया जायेगा. उन्होंने यह भी बताया कि रविवार को रांची के विशेषज्ञ संतोष कुमार सिंह डीजीपीएस सर्वे के अधूरे कार्य को भी पूरा करेंगे. इसके तहत गूगल मैप में दिखनेवाली गड़बड़ी में सुधार किया जाएगा, ताकि सीमा रेखा को लेकर कोई दुविधा नहीं रहे.

बंगाल फॉरेस्ट का दावा गलत : डीएफओ

इधर, बोकारो डीएफओ रजनीश कुमार ने बताया कि सेवाती घाटी को लेकर सभी जरूरी डाटा जुटाये जा रहे हैं. डीएफओ ने कहा कि उन्हें भी यही लगता है कि सेवाती घाटी पर बंगाल फॉरेस्ट का दावा गलत है. उन्होंने कहा कि प्लेन टेबल और डीजीपीएस सर्वे के अलावा कसमार सीओ को भी सरकारी अमीन से मापी कराने का निर्देश बोकारो डीसी ने दिया है.

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अपना हासिल पाकर लोगों ने जतायी खुशी

मौके पर प्लेन टेबल सर्वे के सहयोगी टेकलाल गोस्वामी, वनरक्षी पिंटू सोरेन, आजसु नेता महेंद्रनाथ महतो, मुखिया प्रतिनिधि मनोज कुमार महतो, स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता रूपेश कुमार महतो, रमेश महतो, परेश महतो, नकुल महतो, सुखराम मुंडा, रामेश्वर महतो, कुल्लू महतो, मनोज महतो, प्रकाश महतो, अखिलेश्वर महतो, विजय मुंडा, कामेश्वर महतो आदि मौजूद थे. स्थानीय ग्रामीणों ने प्लेन टेबल सर्वे में सेवाती घाटी झारखंड के हिस्से में स्पष्ट होने पर खुशी जताई है.

प्रभात खबर ने ही पहली बार उठाया मुद्दा

मालूम हो कि तीन मई, 2023 को बंगाल फॉरेस्ट ने सेवाती घाटी में अपना एक बोर्ड लगा कर उसे अपना हिस्सा बताया था. इस पर गोमिया विधायक डॉ लंबोदर महतो के अलावा स्थानीय ग्रामीणों ने कड़ी आपत्ति जतायी थी. सात मई के अंक में प्रभात खबर ने इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया. खबर के बाद बोकारो डीएफओ रजनीश कुमार ने इसे गंभीरता से लिया और यहां अंतरराज्यीय सीमा को रेखांकित करने के लिए मापी का काम शुरू कराया. दो दिनों की मापी में कोई निष्कर्ष नहीं निकला, तो उन्होंने प्लेन टेबल सर्वे और डीजीपीएस सर्वे का निर्णय लिया. हजारीबाग पूर्वी फॉरेस्ट डिवीजन से जरूरी सामग्री मंगाकर वरीय भूमापक विनय महतो ने प्लेन टेबल सर्वे को पूरा किया. रांची से आये विशेषज्ञ संतोष कुमार सिंह द्वारा डीजीपीएस सर्वे भी अंतिम चरण में है. इस बीच बोकारो डीएफओ ने पुरुलिया डीएफओ से नक्शे की मांग भी की, पर वह उपलब्ध नहीं कराया गया. डीएफओ ने बोकारो डीसी को मामले से अवगत कराते हुए सरकारी अमीन से मापी कराने का भी आग्रह किया. वहीं, राज्य सरकार को भी चिट्ठी लिखकर पूरे मामले से अवगत कराया गया है. इस दौरान प्रभात खबर लगातार इसे प्रमुखता से छापता रहा.

बोकारो डीएफओ जता चुके हैं आपत्ति

इस मामले में बोकारो डीएफओ रजनीश कुमार आपत्ति जता चुके हैं. कहा है कि बंगाल फॉरेस्ट ने सीमा का निर्धारण हुए बिना वहां अपना बोर्ड लगाकर गलत किया है. नियमतः पहले वहां मापी करानी चाहिए थी. उसमें कोई निर्णय आने के बाद ही किसी प्रकार की कार्रवाई उचित होती. डीएफओ ने कहा कि उस बोर्ड के चलते ही विवाद उत्पन्न हुआ है.

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