13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड में फिर से रसोई की शान बनेगा ‘श्री अन्न’, जानें कैसे

झारखंड में 'श्री अन्न' यानी मोटा अनाज एक बार फिर रसोई की शान बनेगा. राज्य सरकार ने मोटा अनाज यानी मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए 50 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया है. यह हर रूप से फायदेमंद है. इसका सेवन करने वाला कभी बीमार नहीं होता. वहीं, रसोई से इसके हटने से लोग रोगी हो रहे हैं.

बोकारो, सीपी सिंह : केंद्र सरकार मोटे अनाज की उपयोगिता के लिहाज से ‘श्री अन्न’ को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है. इसी के तहत केंद्र और राज्य सरकार दोनों मोटा अनाज यानी मिलेट की खेती को बढ़ावा देने की दिशा में बजटीय घोषणा की है. साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोटा अनाज वर्ष घोषित किया गया है. झारखंड सरकार ने इस साल के बजट में 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.

किसानों को किया जा रहा जागरूक

इस योजना में बोकारो जिला भी कदमताल करने के लिए तैयार है. इसको लेकर जिला कृषि विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. किसानों को इस संबंध में जागरूक किया जा रहा है. हर बैठक और कार्यशाला में मोटा अनाज को लेकर प्रेरित किया जा रहा है.

बोकारो में 200 हेक्टेयर भूमि पर होगा मोटा अनाज का उत्पादन

जिला कृषि पदाधिकारी उमेश तिर्की की मानें, तो मोटा अनाज के लिहाज से बोकारो जिले की स्थिति ठीक है. इस साल 200 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर मिलेट का उत्पादन होगा. इससे पहले जिले के किसानों को पूर्ण रूप से तैयार किया जाएगा. इसके बाद जरूरत के हिसाब से बीज की मांग की जाएगी. मड़ुआ, बाजरा, मक्का समेत अन्य फसल को बढ़ावा देने की दिशा में पहल की जा रही है. कहा कि मिलेट हर रूप से फायदेमंद है. बता दें कि बोकारो जिले में करीब ढाई लाख किसान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हैं, जो करीब 86 हजार हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है.

Also Read: झारखंड में मिलेट्स को मिलेगा बढ़ावा, राज्य में 3 प्रकार के मोटे अनाज की होती है उपज, पढ़ें पूरी खबर

270 किसान को मोटे अनाज की खेती से जोड़ रही बीजेपी

इधर, भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा (श्री अन्न) भी मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाबद्ध तरीके से काम कर रही है. जिले को 27 मंडल में चिह्नित किया गया है. पहले फेज में हर मंडल से 10 किसान को इस तरह की खेती से जोड़ा जा रहा है. पहले फेज में 50 डिसमिल से दो एकड़ खेत में उत्पादन शुरू होगा. भाजपा किसान मोर्चा (श्री अन्न) के प्रदेश संयोजक अर्जुन सिंह ने बताया कि 10-15 साल पहले तक मड़ुआ, ज्वार और बाजरा की खेती जिले में होती थी. इसलिए पहले किसानों को इन फसलों से ही जोड़ा जाएगा.

बोकारो की मिट्टी है उपयुक्त

पेटरवार स्थित कृषि केंद्र के वैज्ञानिक डॉ अनिल कुमार ने कहा कि बोकरो जिले की मिट्टी मोटा फसल के लिहाज से उपयोगी है. मड़ुआ, बाजरा, कोदो समेत अन्य मिलेट के उत्पादन में मिट्टी की क्षमता किसानों के लिए मददगार होगी. पहले इन फसलों की खेती होती भी थी.

फैशनेबल दुनिया ने मोटे अनाज से बनायी दूरी : किसान

आमूरामू गांव के किसान लाल मोहन महतो कहते हैं कि मोटा अनाज हर रूप से फायदेमंद है. लेकिन, बाजारीकरण के इस दौर में यह सब पीछे रह गया. मड़ुआ समेत अन्य मोटा अनाज लोगों के आधुनिक जीवन से दूर हुआ. मांग नहीं होने के कारण किसानों को इससे दूरी बनानी पड़ी.

Also Read: हेल्दी रहने के लिए मिलेट्स हैं कितने फायदेमंद ?बता रहे हैं बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार

रसोई से मोटा फसल के हटने से लोग हो रहे रोगी : अनिल महतो

वहीं, उलगोड़ा गांव के किसान अनिल महतो कहते हैं कि मोटा फसल का सेवन करने वाला कभी बीमार नहीं होता. यही कारण है कि 15-20 साल पहले तक बीपी-शुगर जैसे रोग कुछेक लोगों तक ही पहुंचा था. रसोई से मोटा फसल के हटने से लोग रोगी हो रहे हैं. मोटा फसल के सेवन से पेट, खून, किडनी सब साफ रहता है. फैशन और प्रचार से प्रभावित हाेकर लोग पांरपरिक खानपान से दूर हुए. विवशता में किसानों ने उत्पादन छोड़ दिया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें